स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) : 357 ग्राम पंचायत खुले में शौच से मुक्त

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) : 357 ग्राम पंचायत खुले में शौच से मुक्त

मध्यप्रदेश में गाँवों को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करने के लिये राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का पूरी तत्परता से क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके चलते अब तक 357 ग्राम पंचायत खुले में शौच से मुक्त हो चुकी हैं। नरसिंहपुर जिले के चाँवरपाठा विकासखण्ड की सभी ग्राम पंचायत खुले में शौच से मुक्त हो गईं हैं। मिशन के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है।

प्रदेश में खुले में शौच से होने वाली हानियों के प्रति लगातार जन-जागरूकता बढ़ रही है। मिशन में इसके लिये गाँव-गाँव में गौरव यात्रा निकाली जा रही हैं। खुले में शौच करने वालों को समुदाय द्वारा हतोत्साहित कर उन्हें अपने घरों में शौचालय बनवाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ शौचालयों के निर्माण संबंधी आँकड़ों की हितग्राही वार सही जानकारी के संकलन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये प्रयास किये गये हैं। भौतिक प्रगति के आँकड़ों की हितग्राही वार सूची तैयार की गई है और उससे समग्र परिवार आईडी से लिंक किया गया है। इन आँकड़ों और हितग्राही सूची का मिलान और विश्लेषण नियमित रूप से किया जाता है। जनवरी 2015 से शौचालय निर्माण के बाद सामग्री प्रदायकर्ता, मजदूर अथवा हितग्राहियों को राशि का भुगतान जिलों से सीधे आरटीजीएस के माध्यम से उनके बेंक खातों में किया जाता है। दोहरीकरण को काबू करने और आँकड़ों की शुद्धता के लिये निर्मित शौचालयों का जीओ टेग फोटो वेबसाइट में सीधे अप-लोड करने की प्रक्रिया भी चल रही है। इससे पहले पंचायतों की मांग पर उन्हें शौचालय निर्माण के लिये जिलों से धनराशि आवंटित की जाती थी और पंचायतों द्वारा ही हितग्राहियों के घरों में शौचालय का निर्माण करवाया जाता था। हितग्राही द्वारा शौचालय निर्माण करवाये जाने पर पंचायत द्वारा उन्हें चेक द्वारा भुगतान किया जाता था।

प्रदेश के कई जिले अभियान के क्रियान्वयन में अग्रणी हैं। प्रतिदिन बड़ी संख्या में गाँवों को खुले में शौच मुक्त घोषित करने के लिये समारोह हो रहे हैं। ग्रामीण समुदाय द्वारा स्वयं पुरूषों, महिलाओं और बच्चों की निगरानी समिति बनाकर सक्रियता से गाँव को खुले में शौच से मुक्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं। समिति के सदस्य सुबह 4 बजे से ही खुले में शौच की आदत वाले लोगों पर निगरानी रखते हैं और उन्हें शौचालय का उपयोग करने के लिये प्रेरित करते हैं। इस संबंध में 20 जिले में स्थानीय प्रेरकों को प्रशिक्षित भी किया गया है। शेष जिलों में इसकी कार्रवाई चल रही है।

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