स्वच्छ भारत मिशन- अर्बन 2.0 और अमृत 2.0 के परिचालन दिशानिर्देश

स्वच्छ भारत मिशन- अर्बन 2.0 और अमृत 2.0 के परिचालन दिशानिर्देश

पीआईबी (नई दिल्ली)—- केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री (एमओएचयूए) श्री हरदीप सिंह पुरी ने स्वच्छ भारत मिशन- अर्बन 2.0 और अमृत 2.0 के परिचालन दिशानिर्देश जारी किए। यह 1 अक्टूबर, 2021 को प्रधानमंत्री द्वारा एसबीएम-अर्बन 2.0 और अमृत 2.0 के औपचारिक शुभारंभ, लखनऊ (एमओएचयूए के आजादी का अमृत महोत्सव समारोहों के दौरान) में 5 अक्टूबर को हितधारक परामर्श, और 12 अक्टूबर, 2021 को मिशन को मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद किया गया है।


कई चरणों के हितधारक परामर्श और उनसे मिले फीडबैक के बाद एसबीएम-यू 2.0 और अमृत 2.0 दिशा दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। दिशानिर्देशों को व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांतों के तहत डिजाइन किया गया है, जिसमें समाज के सभी तबकों तक मिशन का लाभ पहुंचाने, क्षमता विकास पर जोर, मिशन के हर भाग को लागू करने के लिए व्यापक डिजिटल सक्षमता सुनिश्चित करने के लिए समानता और समावेशिता शामिल हो।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों मिशनों का दूसरा चरण देश को वास्तव में एक स्वच्छ देश के रूप में तब्दील करने के लिए तैयार है। देश 2019 में तीसरे पक्ष के सत्यापन के आधार पर ओडीएफ बन गया था और अब यह ओडीएफ प्लस और ओडीएफ प्लस प्लस बनेगा। श्री पुरी ने कहा कि ओडीएफ से कचरा मुक्त बनने से इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि अमृत मिशन में पहले 500 शहरों को शामिल किया गया था और इसमें अब सभी शहरों को शामिल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजना सिर्फ पानी के नल के कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिए नहीं होगी, बल्कि इसमें पानी के वास्तविक मूल्य की प्राप्ति भी शामिल होगी। दिशानिर्देशों के लॉन्च का स्वच्छ पर्यावरण के लिए देश के नागरिकों को दिवाली के उपहार के रूप में वर्णन करते हुए, उन्होंने कहा कि मिशन के शुभारम्भ के चार हफ्तों के भीतर इन्हें जारी किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री ने दोनों मिशनों में पूर्ण रूप से भाग लेने और इतने कम समय में त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर के लिए राज्य सरकारों और यूएलबी की सराहना की।

वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े आवासन और शहरी कार्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने कहा कि एसबीएम एक जनांदोलन बन गया है और उनकी आदतों व व्यवहार में बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने खुद आगे आकर इसकी अगुआई की है और इससे इतने बड़े स्तर पर लोगों को एकजुट करने और भागीदारी में सहायता मिली है। उन्होंने कहा कि अमृत के द्वारा शहरों में 24X7 जलापूर्ति के प्रावधान से शहर के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

एसबीएम-यू 2.0

एसबीएम-यू 2.0 का बजट परिव्यय 1,41,600 करोड़ रुपये है। उद्घाटन समारोह के दौरान, 24 घंटे की समयसीमा के भीतर राज्यों/यूटी और लगभग 4,800 यूएलबी ने एमओएचयूए के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एमओयू के तहत, भारत सरकार, राज्यों/यूटी और यूएलबी के साथ भागीदारी में सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) 2030 को हासिल करने में योगदान के क्रम में, सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ और ‘जल सुरक्षित’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे आखिरकार जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और शहरी आबादी की जीवनशैली आसान होगी। इस प्रकार शहरी बदलाव संभव होगा।

प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप, एसबीएम-यू 2.0 हमारे सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाने की आकांक्षा को साकार करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सतत विकास लक्ष्यों 2030 को हासिल करने में योगदान करते हुए, भारत में तेज शहरीकरण की चुनौतियों के प्रभावी समाधान की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का संकेत देगा।

एसबीएम-यू 2.0 सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाने और अमृत में शामिल शहरों को छोड़कर अन्य सभी शहरों में इस्तेमाल किए गए पानी का प्रबंधन सुनिश्चित करने, सभी स्थानीय निकायों को ओडीएफ प्लस बनाने और 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों को ओडीएफ प्लस प्लस और वाटर प्लस बनाने की कल्पना करती है, इस प्रकार यह सुनश्चित किया जा रहा है कि कोई भी गैर शोधित इस्तेमाल किया गया पानी जल स्रोतों को प्रदूषित न करे। इस प्रकार शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित स्च्छता के विजन को हासिल किया जा रहा है। मिशन ठोस कचरे के प्रभावी प्रबंधन के लिए ठोस कचरे के पृथक्करण, 3आर (रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल) के सिद्धांत का इस्तेमाल, सभी प्रकार नगरीय ठोस कचरे का वैज्ञानिक प्रसंस्करण और पुरानी डम्पसाइट्स को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

पिछले सात साल में, मिशन देश के हर कोने में पहुंच गया है और इसने ‘पहले जनता’ पर जोर के साथ अनगिनत नागरिकों की जिंदगियां बदल दी हैं। मिशन ने 70 लाख घरों, सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के द्वारा शहरी भारत में स्वच्छता के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, इस प्रकार सभी के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक स्वच्छता समाधान प्रस्तुत किए गए हैं। मिशन में महिलाओं, ट्रांसजेंडर समुदायों और दिव्यांगों की जरूरतों को प्राथमिकता दी गई है।

इस यात्रा को आगे बढ़ाते हुए, मिशन 3,300 शहरों और 950 से ज्यादा शहरों को क्रमशः ओडीएफ प्लस और ओडीएफ प्लस प्लस प्रमाणित करने, और 9 शहरों को वाटर प्लस प्रमाणित करने की ओर बढ़ रहा है। वाटर प्लस में अपशिष्ट जल के शोधन और इसका अधिकतम पुनः उपयोग शामिल है। भारत में कचरे का प्रसंस्करण 2014 के 18 प्रतिशत से पढ़कर आज 70 प्रतिशत होने से कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर जोर स्पष्ट है। इससे 97 प्रतिशत वार्डों में घर-घर कचरा संग्रह और 85 प्रतिशत वार्डों में कचरे के स्रोत पृथक्करण के माध्यम से सहायता प्रदान की गई है। ज्यादा अहम बात यह है, मिशन स्वच्छता कर्मचारियों और औपचारिक अपशिष्ट श्रमिकों के जीवन में स्पष्ट अंतर आया है। कार्यक्रम में 20 करोड़ नागरिकों (भारत की शहरी आबादी की 50 प्रतिशत से ज्यादा) की सक्रिय भागीदारी ने मिशन को वास्तव में सफलतापूर्वक जनांदोलन में बदल दिया है। एसबीएम- अर्बन 2.0 के संचालन दिशानिर्देश सामने आने से राज्यों/ यूटी और यूएलबी के लिए शहरी भारत के बदलाव की दिशा में उनके सफर का अगला चरण शुरू हो गया है।

अमृत 2.0

अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) 2.0 4,700 कस्बों में घरों में नल जल कनेक्शन और 500 अमृत शहरों में घरों को सीवरेज/ सेप्टेज सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है। अमृत 2.0 के लिए कुल अनुमानित बजट 2,99,000 करोड़ रुपये है, जिसमें पहले से जारी अमृत मिशन की परियोजनाओं के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के बीच पांच साल की अवधि के लिए 22,000 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है। केंद्र के कुल 86,760 करोड़ रुपये के अंश में 10,000 करोड़ रुपये अमृत परियोजनाओं के लिए हैं।

पहला जल केंद्रित मिशन अमृत जून, 2015 में 500 शहरों में लॉन्च किया गया था। “ट्रांसफॉर्मेशन टू सैचुरेशन” की भावना के साथ, प्रधानमंत्री ने 1 अक्टूबर, 2021 को अमृत 2.0 का शुभारम्भ किया था। अमृत 2.0 आत्मनिर्भर भारत की भावना को समर्थन देने के लिए जल सुरक्षित शहर बनाने की दिशा में एक कदम है। अमृत 2.0 के तहत 2.68 करोड़ नल जल कनेक्शन और सेप्टेज प्रबंधन के साथ 2.64 करोड़ सीवर कनेक्शन/ कवरेज का प्रस्ताव है।

अमृत 2.0 के तहत, शहरों को एमओएचयूए के मिशन पोर्टल पर ऑनलाइन सिटी वाटर बैलेंस प्लान्स (सीडब्ल्यूबीपी) जमा करने होंगे। सीडब्ल्यूबीपी शहर में जल की उपलब्धता, जल की मांग और आपूर्ति की स्थिति बताएगा, जिससे सेवाओं में कमियां दूर की जाएंगी। इन कमियों को दूर करने के लक्ष्य के साथ परियोजनाओं में सिटी वाटर एक्शन प्लान के रूप में तैयार की जाएंगी। इन योजनाओं को स्टेट वाटर एक्शन प्लान (एसडब्ल्यूएपी) के रूप में राज्य स्तर पर एकीकृत किया जाएगा। मिशन 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में आवंटित धनराशि में से 10 प्रतिशत पीपीपी मोड में कार्यान्वयन को अनिवार्य करता है। 500 अमृत शहरों जहां की आबादी एक लाख से ज्यादा है, में 24X7 जलापूर्ति को प्रोत्साहित किया गया है।

पेय जल सर्वेक्षण, सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी), प्रौद्योगिकी उप-मिशन और क्षमता विकास मिशन के भी मुख्य अंग हैं। पेय जल सर्वेक्षण में नागरिकों को आपूर्ति किए जा रहे जल की गुणवत्ता और मात्रा का आकलन करेगा और नागरिकों को बेहतर जल से संबंधित सेवाएं उपलब्ध के लिए शहरों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। आईईसी अभियान जल संरक्षण को एक जनांदोलन बनाने का लक्ष्य तय करता है। जल क्षेत्र में स्टार्टअप्स को भी प्रौद्योगिकी उप-मिशन के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा। क्षमता विकास कार्यक्रम में निर्वाचित प्रतिनिधियों, नगर पालिका अधिकारियों और ठेकेदार, प्रबंधकों, प्लम्बरों, प्लांट ऑपरेटर, वर्कमैन, सलाहकारों, छात्रों, महिलाओं और नागरिकों के लिए प्रशिक्षण शामिल किया जाएगा।

राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को परियोजना कार्यान्वयन, प्रशासनिक और अन्य खर्चों के लिए वित्तपोषण किया जाएगा। परियोजना धनराशि 20:40:40 की तीन किस्तों में जारी की जाएगी। तीसरे वर्ष लगातार धनराशि प्राप्त करने के लिए संपत्ति कर और उपयोग शुल्कों में सुधार करना अनिवार्य है। शहरों को जल स्रोतों में सकारात्मक भूजल बनाए रखने पर जोर के साथ सिटी एक्विफर मैनेजमेंट प्लान्स भी जमा करने होंगे। मिशन अमृत के अलावा अन्य स्रोतों के माध्यम से हासिल किए गए परिणाणों के लिए भी वित्तपोषण करेगा। मिशन का प्रबंधन कागजरहित और पूर्ण रूप से एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होगा। छोटे-छोटे कार्यों पर आधारित अर्थव्यवस्था के तहत, मिशन अपनी प्रगति के बारे में समवर्ती फीडबैक के लिए महिलाओं और युवाओं को समायोजित करेगा। मिशन में शहरों में नगरीय शासन और जल सुरक्षा को मजबूत बनाने पर लक्षित एक सुधार का एजेंडा भी शामिल है। बड़े सुधारों में गैर राजस्व पानी को 20 प्रतिशत से नीचे लाना; इस्तेमाल हुए पानी को रिसाइकिल करके शहर की कुल पानी की मांग का 20 प्रतिशत और राज्य स्तर पर 40 प्रतिशत औद्योगिक पानी की मांग पूरी करना; ‘नल से पानी’ की सुविधा से 24X7 जलापूर्ति; जल स्रोतों के नवीनीकरण; शहरों के जीआईएस आधारित मास्टर प्लान्स और कुशल नगर नियोजन; शहरों की क्रेडिट रेटिंग और म्यूनिसिपल बॉन्ड जारी करके धनराशि जुटाना शामिल है। सुधारों के सफल कार्यान्वयन को प्रोत्साहित किया जाएगा।

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