- June 8, 2016
स्वच्छ ईंधन, सुरक्षित जीवन’ : निःशुल्क गैस कनेक्शन
जयपुर ———- उनकी नियति में ईंधन की तलाश में दिनभर जंगल में घूम-घूमकर लकड़ी और उपले बीनना, घर पर आकर चूल्हे में फूंक मार-मार कर परिवार के लिए रोटी बनाना लिखा था परंतु केन्द्र सरकार की एक पहल ने वागड़ वनिताओं की जिंदगी ही संवार दी है।
इन वागड़ वनिताओं को ‘स्वच्छ ईंधन, सुरक्षित जीवन’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सपने के रूप में जब सोमवार को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत निःशुल्क गैस कनेक्शन की सौगात दी गई तो उनके चेहरे पर गजब की चमक छा गई और लगा कि अब उन्हें भोजन बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे से दो-दो हाथ करने की जरूरत नहीं रहेगी।
65 परिवारों में आएगा उजाला ः आगामी तीन वर्षों में देश में बीपीएल वर्ग की पांच करोड़ महिलाओं को मिट्टी के चूल्हे से मुक्ति दिलाकर जीवन में उजाला लाने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी ‘उज्ज्वला योजना’ के द्वितीय चरण की गत दिनों वागड़ अंचल के पड़ौसी सीमावर्ती राज्य गुजरात के शहर दाहोद में शुरूआत के बाद सोमवार को बांसवाड़ा जिला मुख्यालय पर जनजाति क्षेत्र की पैंसठ बीपीएल महिलाओं को निःशुल्क गैस कनेक्शन की सौगात मिली।
समारोह में प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल, सामान्य प्रशासन, मोटर गैराज, लेखन एवं मुद्रण राज्यमंत्री जीतमल खांट ने 65 महिलाओं को निःशुल्क गैस सिलेण्डर, रेग्यूलेटर रबर ट्यूब, चूल्हा एवं गैस कनेक्शन के दस्तावेज वितरित किये गये। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती भदेल ने उज्ज्वला योजना को इस आदिवासी अंचल के लिए अनूठा वरदान बताया और कहा कि इससे क्षेत्र की महिलाओं को रसोईघर के धुंए से निजात मिल सकेंगी।
सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री खांट ने भी योजना को महिलाओं के लिए उज्ज्वल पक्ष बताया और इसके दूरगामी परिणामों की तारीफ की। वितरण के पश्चात सागर गैस सर्विस (भारत गैस सर्विस) के वितरक ने लाभार्थी महिलाओं को गैस के उपयोग एवं सुरक्षा के बारे में उपयोगी जानकारी भी दी।
सपना हुआ साकार ः सोमवार को उज्ज्वला योजना के इस समारोह में निःशुल्क गैस कनेक्शन प्राप्त करने वाली लाभार्थी महिलाओं का कहना था कि आमजनों को गैस के चूल्हे पर खाना बनाते देखकर उन्होंने भी एक सपना देखा था कि जीवन में कभी ना कभी वे भी इसी प्रकार के चूल्हे पर खाना बनाएंगी और उनका यह सपना आज साकार हुआ। इनमेंं से कई लाभार्थी महिलाएं तो ऎसी ही थी जिन्होंने गैस चूल्हे का सिर्फ नाम सुना था प्रत्यक्ष देखा ही नहीं था, वे महिलाएं इस लाल-लाल गैस सिलेण्डर बड़े गौर से देख रही थी और इसे अपने जीवन की मंगल शुरूआत मान रही थी।