- November 24, 2017
‘स्टेट एजूकेशन रिसर्च ट्रेनिंग सेंटर’ की स्थापना कि योजना
जयपुर, 24 नवम्बर। शिक्षा राज्य मंत्री श्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि पिछले चार वर्षों में राज्य में आदर्श, उत्कृष्ट और स्वामी विवेकानंद विद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया गया है। राज्य सरकार का प्रयास है कि इसी तर्ज पर प्रदेश के सभी विद्यालय ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेेंस’ के रूप में विकसित हों।
श्री देवनानी शुक्रवार को शिक्षा संकुल में राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मीडिया से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में स्टार रैंकिग की हम पहल करने जा रहे हैं। इसके अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में श्रेष्ठतम के आधार पर विद्यालयों को स्टार रैंकिंग प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्टाफ पैटर्न की हम समीक्षा कर रहे हैं, प्रयास किया जाएगा कि विद्यालय में छात्र अनुपात में सभी स्थानों पर समुचित शिक्षक पदस्थापित हों।
85 हजार करोड़ रुपये बजट व्यय कर बनाया राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि आगामी सत्र से प्रदेश में शैक्षिक गुणवत्ता के लिए ‘स्टेट एजूकेशन रिसर्च ट्रेनिंग सेंटर’ की स्थापना की जाएगी। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में स्टूडियो की स्थापना होगी ताकि विडियो कॉन्फ्रेन्स के तहत राज्यभर से इसका जुड़ाव रहे। शैक्षिक गुणवत्ता के लिए हमने कक्षा एक से 8 तक विद्यालयों में लर्निंग लेवल तय किए हैं। राजस्थान प्राथमिक शिक्षा परिषद् और रमसा को एकीकृत करके प्रदेश में शिक्षा का और अधिक प्रभावी विकास किया जाएगा।
18 वें से राजस्थान आया चौथे स्थान पर
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले चार वर्षों में नवाचारों को अपनाते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए 85 हजार करोड़ रुपये बजट व्यय कर प्रदेश को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने की पहल की है। इसी से हाल के आए राष्ट्रीय सर्वे में कभी 18 वें स्थान पर रहने वाला राजस्थान आज शिक्षा क्षेत्र में चौथे स्थान पर आ गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी के 142 पद भरे
श्री देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले चार वर्षों में प्रदेश में स्कूलों के एकीकरण, प्रत्येक ग्राम पंचायत में 9 हजार 895 आदर्श एव 9500 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की जहां पहल की वहीं एक लाख 9 हजार शिक्षकों की रिकॉर्ड पदोन्नतियां प्रदान की। इसके साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी के सभी पद भर दिए गए। आज 142 जिला शिक्षा अधिकारी पद भरे हुए हैं साथ ही प्रधनाचार्य के भी 95 प्रतिशत से अधिक पद भर दिए गए हैं।
1 लाख 50 हजार के करीब नवीन नियुक्तियां की पहल
उन्होंने कहा कि सरकार जब सत्ता में आई तब शिक्षा क्षेत्र में 52 प्रतिशत शिक्षकाें के पद रिक्त थे जो अब घट कर मात्र 15 प्रतिशत तक ही रह गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में एक लाख 50 हजार के करीब नवीन नियुक्तियां की पहल की गई है। इसमें सीधी भर्ती से 87 हजार 634 पदों पर शिक्षकों की जहां नई नियुक्तियां की है वहीं 16 हजार 669 पदों पर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रियाधीन है।
नामांकन में 22 लाख की वृद्धि
उन्होंने कहा कि आज 63 हजार विद्यालयों वाला शिक्षा प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग है। उन्होंने कहा कि चार वर्ष पहले विद्यालयों में 60 लाख का नामांकन था। राज्य सरकार द्वारा राजकीय विद्यालयों के सुदृढ़ीकरण के लिए किए प्रयासों से सरकारी विद्यालयों के स्तर में वृद्धि हुई। इसी का परिणाम रहा कि आज सरकारी विद्यालयों में 82 लाख के करीब नामांकन हो गया है। यानी पिछले चार सालों में नामांकन में 22 लाख की वृद्धि हुई है।
1 लाख 46 हजार बालिकाओं को गार्गी पुरस्कार
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्ष शिक्षा में बेहतरीन विकास के रहे हैं। राष्ट्रीय सर्वेक्षण में और ‘असर‘ की रिर्पोट में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में राजस्थान जहां पहले नम्बर पर रहा है वहीं भारत सरकार द्वारा ‘स्वच्छ विद्यालय‘ योजना के अंतर्गत भी देशभर में राजस्थान आंध्रप्रदेश और तमिलनाडू के बाद तीसरे स्थान पर रहा।
सरकारी विद्यालयों का परीक्षा परिणाम निजी विद्यालयों से आगे निकला। बालिका शिक्षा में राजस्थान अग्रणी हुआ और 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने पर मिलने वाले गार्गी पुरस्कार की संख्या में भी इन प्रयासों के कारण तीन गुना तक वृद्धि हुई। आज 1 लाख 46 हजार बालिकाओं को यह पुरस्कार दिया जा रहा है।
450 करोड़ के हुए विकास कार्य
श्री देवनानी ने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के विकास के अंतर्गत पहली बार विद्यालयों में 450 करोड़ के विकास कार्य करवाए गए हैं। हमने नाबार्ड से ऋण लेकर भी विद्यालयों के विकास के कार्य प्राथमिकता से करवाए हैं।
शिक्षा राज्य मंत्री ने विद्यालयों मे अपनाए गए नवाचारों की चर्चा करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षोें में बीएड,एसटीसी इन्र्टनशिप के तहत विद्यालयों में प्रशिक्षणरत अभ्यर्थियों की सेवाएं पढ़ाने के लिए ली गई। निजी विद्यालयों की मान्यता की ऑनलाई प्रक्रिया प्रारंभ की गई। शाला दर्शन और शाला दर्पणक के अंतर्गत शिक्षा विभाग को संपूर्ण रूप में ऑनलाईन किया गया।
ई-ज्ञान पोर्टल के जरिए विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें और तमाम शिक्षा सबंधित ज्ञानवद्र्धक जानकारियां ऑनलाईन उपलब्ध कराई गई। संस्कृत शिक्षा में पदों को बढ़ाया। पाठ्यक्रम में योग, सूर्य नमस्कार के साथ ही 200 से अधिक महापुरूषों, वीर-वीरांगनाओं के चरित्रों के प्रेरक पाठ सम्मिलित किए। उद्देश्य यही रहा है कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके।
सुदृढ़ मोनिटरिंग के लिए पंचायत एलिमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर
श्री देवनानी ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा में पंचायत स्तर पर सुदृढ़ मोनिटरिंग के लिए पंचायत एलिमेंट्री एजुकेशन ऑफिसर लगाए गए हैं।
देशभर में स्टार्फिंग पैटर्न की सराहना हुई है। चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में प्री-प्राईमरी स्कूल की शुरूआत। इसके तहत 11500 आंगनबाड़ी केन्द्रों को स्कूलों से एकीकृत किया गया। विद्यालयों के विकास के लिए विद्यालय सलाहकार समितियों का गठन किया गया। मातृशक्ति से शैक्षिक उन्नयन के लिए पहली बार ‘मदर-टीचर्स‘ बैठकों का आयोजन किया गया।
5 वीं और 8 वीं की परीक्षाएं प्रारंभ कराने की पहल
उन्होंने कहा कि प्रदेश में 5 वीं और 8 वीं की परीक्षाएं प्रारंभ कराने की पहल की गई। व्यावसायिक शिक्षा की शुरूआत हमने की। बालिकाओं को 11.3 लाख साईकिलों का वितरण किया गया। 98 हजार लैपटॉप मेधावी छात्र-छात्राओं को दिए गए। इसके साथ 5 लाख बालिकाओं को आत्म सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। दृष्टिहीन विद्यार्थियों को एण्ड्रॉयड मोबाईल फोन वितरित किए। राज्य की 43 हजार 672 स्कूलों में अक्षय पेटिका रखवाई।
विद्यालय विकास में सामाजिक भागीदारी सुविकसित करने के लिए अब तक इन पेटिकाओं में 4 करोड़ के लगभग राशि एकत्र हुई है। बालिकाओं के शैक्षिक प्रोत्साहन के लिए शारदा बालिका छात्रावासों की स्थापना की हमने पहल की है। आज 186 बालिका छात्रावासों से 181 पूर्ण रूप से क्रियाशील हैं। इनमें इस समय 13 हजार 387 बालिकाए नामांकित है।
स्मार्ट वर्चुअल क्लासरूमों के जरिए मेडिकल-इंजीनियरिंग कोचिंग
श्री देवनानी ने कहा कि कक्षा 6 से 11 तक की बालिकाओं को ट्रांसपोर्ट वाउचर सुविधा प्रदान की जा रही है। क्लिक योजना के तहत विद्यार्थियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण से 716 स्कूलों के 63 हजार 219 विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 770 राजकीय विद्यालयों तथा 11 जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थाओं मे स्मार्ट वर्चुअल क्लासरूमों के माध्यम से राज्य के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों के विद्यार्थियों को मेडिकल एवं इंजीनियरिंग परीक्षाओं की गुणवत्तापूर्ण निःशुल्क कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ‘एलन’ इन्स्टीट्यूट से एमओयू किया गया।
186 पिछड़े क्षेत्रों में स्वामी विवेकानंद विद्यालयों के जरिए अंग्रेजी माध्यम से अध्यापन की पहल। 55 प्रतिशत सीट बालिकाओं के लिये हमने आरक्षित किए।
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि विकास सतत प्रक्रिया है। इसी के तहत हम शिक्षा क्षेत्र में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में निरंतर राजस्थान को शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान आने वाले वर्षों में देश का प्रमुख शिक्षा राज्य बनकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाए।
इस अवसर पर शिक्षा विभाग के शासन सचिव श्री नरेशपाल गंगवार, रमसा की आयुक्त श्रीमती आनन्दी, विशिष्ट शासन सचिव श्री अशफाक हुसैन, निदेशक माध्यमिक शिक्षा श्री नथमल डीडेल सहित शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।