• December 2, 2022

स्कालरशिप वितरण समारोह में राष्ट्रीय संस्था पर्यावरण प्रेरणा

स्कालरशिप वितरण समारोह में राष्ट्रीय संस्था पर्यावरण प्रेरणा
भारत के प्रतिष्ठित नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया क्यूब रूट्स फाउंडेशन द्वारा फरीदाबाद में आयोजित स्कालरशिप वितरण समारोह में राष्ट्रीय संस्था पर्यावरण प्रेरणा के प्रांतीय अध्यक्ष हरियाणा अंकुर शरण द्वारा जल स्टार रमेश गोयल एडवोकेट द्वारा रचित जल चालीसा की प्रतियां वितरित की गई।  ट्यूब क्यूब रूट्स फाउंडेशन सिंगापुर आधारित वह संस्थन है
 जो वैश्विक कंपनी क्यूब हाईवेज द्वारा किए जा रहे सामाजिक कार्यों को का प्रबंधन करते हैं। हरियाणा में व दिल्ली से आगरा टोल रोड इन्हीं के संस्थान द्वारा नियंत्रित की जा रही है। उनके मुख्य अधिकारी ने जल चालीसा की प्रतियां बच्चों में वितरित करते हुए प्रसंता का प्रदर्शन किया और इस प्रयास के लिए संस्था का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सड़क सुरक्षा से संबंधित इसी प्रकार के किसी लेखन की भी आवश्यकता पर जोर दिया जिसे प्रांतीय अध्यक्ष अंकुर शरण के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष जल स्टार रमेश गोयल ने स्वीकार किया।
उल्लेखनीय है कि 2012 में जल संरक्षण निमित्त रचित जल चालीसा की अब तक 13 संस्करणों में 65000 प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इंडिया बुक आफ रिकार्ड 2021 में जून 2021 तथा ओएमजी बुक आफ रिकार्ड 2021 में जुलाई 2021 में जल चालीसा की उपलब्धियों के लिए नाम सम्मिलित किया गया है। एशिया बुक आफ रिकार्ड द्वारा ‘‘ग्रैंड मास्टर’’ सूचि में नाम स्वीकृत किया गया है।
’ भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा मान्यता प्रदान करते हुए विभागीय मासिक पत्रिका ‘जल चर्चा’ के दिसम्बर 2019 अंक के बैक टाईटल पर जल चालीसा प्रकाशित की है। अनेक पत्र व पत्रिकाओं ने भी जल चालीसा प्रकाशित की है।
’अन्तर्राष्ट्रीय न्यूज चैनल डीडी न्यूज व डीडी किसान ने अगस्त, 2015 में इस पर विशेष फीचर प्रसारित किया । ’जल चालीसा के दूसरे विडियो का विमोचन उड़ीसा के राज्यपाल श्री गणेशी लाल ने 29.8.2018 को किया था तथा चौथे विडिओ का लोकार्पण अध्यात्मिक गुरु व उत्तराखंड सरकार में मन्त्री सतपाल जी महाराज द्वारा 2 अक्तुबर 2022 को किया गया।
’फेसबुक पर ग्रुप शेयरिंग के माध्यम से ’जल चालीसा’ 30 लाख से अधिक लोगों को भेजी जा चुकी है और हजारों लोगों को ई-मेल की है। अनेक पत्र पत्रिकाओं ने भी प्रकाशित की है। भारत का कोई ऐसा प्रान्त नहीं जहां जल चालीसा न पहुंचा हो।
अंग्रेजी व फ्रेंच भाषा सहित लगभग 40 भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है जो प्रकाशनाधीन है।

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