- January 19, 2016
सौर ऊर्जा से सिंचाई :: किसानों को हेल्थ कार्ड
छत्तीसगढ ————–मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की घोषणा के अनुरूप छत्तीसगढ़ के सुदूर वनांचल एवं नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा जिले में सौर ऊर्जा के जरिये सिंचाई की योजना तैयार की गई है।
वन मंडलाधिकारी, सुकमा द्वारा जिले के अंतर्गत शबरी नदी तट पर स्थित कृषकों की कृषि भूमि में सौर ऊर्जा के माध्यम से सिंचाई की योजना मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष श्री विवेक ढांड, राज्य कैम्पा संचालन समिति की अध्यक्षता में 29 दिसम्बर 2015 को सम्पन्न राज्य कैम्पा संचालन समिति बैठक में स्वीकृत की गई है।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री बीके सिन्हा ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत शबरी नदी तट पर स्थित 203 कृषकों का चयन कर दो-दो कृषकों का समूह बनाया जाकर उनके खेतों में 05 एच.पी. क्षमता के 103 सोलर पम्प एवं सिंचाई हेतु पाईप लाइन स्थापित किये जाने हेतु कैम्पा निधि से चार करोड़ 13 लाख 20 हजार व्यय की स्वीकृति प्रदान की गई है।
इस कार्य को कैम्पा निधि से कराये जाने से सुकमा जिले के अंतर्गत शबरी नदी तट पर 203 आदिवासी वन वनवासी परिवारों को जहां एक ओर उनकी कृषि भूमि सिंचित होने के फलस्वरूप आय में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर उन्हें आजीविका के साधन जुटाने हेतु अन्यत्र जाने की आवश्यकता नहीं होगी। संचालन समिति से स्वीकृत योजना का क्रियान्वयन विभाग द्वारा शीघ्र प्रारंभ किया जा रहा है।
किसानों को उनकी जमीनों का हेल्थ कार्ड————————————–कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि केन्द्र सरकार की किसानों को उनकी जमीनों का हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना पर छत्तीसगढ़ में तेजी से अमल शुरू हो गया है। इसके लिए अभियान भी चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत छत्तीसगढ़ के लगभग 37 लाख किसानों को मिट्टी हेल्थकार्ड बांटे जाएंगे। श्री अग्रवाल सिक्किम की राजधानी गंगटोक में आयोजित जैविक खेती उत्सव एवं राज्यों के कृषि मंत्रियों के तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन आज मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन विषय पर बोल रहे थे।
कृषि मंत्री श्री अग्रवाल ने सम्मेलन में बताया कि छत्तीसगढ़ में राज्य शासन के अधीन सात स्थायी एवं चार चलित मिट्टी परीक्षण प्रयोग शाला कार्यशील है। स्थायी मिट्टी प्रयोगशालाएं जिला मुख्यालय रायपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर, धमतरी, जगदलपुर,जांजगीर और अम्बिकापुर में संचालित हैं। केन्द्र शासन के दिशा-निर्देश के अनुसार सात स्थायी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में दो पालियों में मिट्टी परीक्षण और विश्लेषण की कार्रवाई की जा रही है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि आठ जिलों बलौदाबाजार, गरियाबंद, महामसुंद, कबीरधाम, कोण्डागांव, दंतेवाड़ा, मुंगेली और सूरजपुर में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला खोलने की कार्रवाई चल रही है। इसके लिए चालू वित्तीय वर्ष के बजट में छह करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत छह जिलों में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए जरूरी उपकरण खरीदने के लिए तीन करोड़ 30 लाख रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। छत्तीसगढ़ के 11 प्रमुख मंडी प्रांगणों में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए जरूरी सेटअप स्वीकृत कर नये उपकरणों के लिए 37 लाख 50 हजार रूपए का प्रावधान भी चालू वित्तीय वर्ष 2015 के बजट में किया गया है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ के 27 में से 19 जिलों में ही कृषि विज्ञान केन्द्र संचालित है, इनमें से मात्र चार कृषि विज्ञान केन्द्रों में सम्पूर्ण सुविधायुक्त मिट्टी परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने केन्द्र सरकार से प्रदेश के बाकी सभी जिलों में सर्वसुविधायुक्त मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता की मांग की। श्री अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में विगत 15 वर्षों में लगभग आठ लाख 40 हजार किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड दिए जा चुके हैं। श्री अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा मिट्टी हेल्थ कार्ड तैयार करने के लिए प्रति नमूना पर 190 रूपए का मापदंड निर्धारित किया गया है।
चूंकि छत्तीसगढ़ में स्थापित प्रयोगशालाओं में पर्याप्त विश्लेषण क्षमता नहीं है। यह कार्य आउट सोर्सिंग के माध्यम से कराना होगा। इसलिए कार्ड तैयार करने के लिए प्रति नमूना निर्धारित वित्तीय सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की प्रयोगशालाओं में मिट्टी के सूक्ष्म तत्वों के विश्लेषण की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध कराने इन प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। इस प्रस्ताव को भी मंजूर करने की जरूरत है, ताकि छत्तीसगढ़ के किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जा सके।