सोरायसिस के रोगियों का इलाज आयुर्वेद में संभव है- बता रहे है आयुर्वेद विशेषज्ञ –डाँ हरीश वर्मा

सोरायसिस के रोगियों का इलाज आयुर्वेद में संभव है- बता रहे है आयुर्वेद विशेषज्ञ –डाँ हरीश वर्मा

नई दिल्ली:-(सुरभि शर्मा)——- आयुर्वेदाचार्य डाँ हरीश वर्मा का कहना है कि सोरायसिस एक त्वचा रोग है जिससे त्वचा पर सफेद चमकीली पपड़ी-सी बन जाती है और सूखे, कड़े चकत्ते बन जाते है जो खुजलीदार हो सकते हैं और कभी-कभी चमडी मोटी होने लगती है और उस पर खुरंड और पपडीयां उत्पन हो जाती हैं।
इस रोग के भयानक रूप में पूरा शारीर लाल रंग का पपडीदार चमडी से ढक जाता है। यह रोग स्केल्प (सिर के बालों के पीछे), हाथ-पाँव अथवा हाथ की हथेलियों, पाँव के तलवों, नाख़ून में, कोहनी, घुटनों और पीठ पर अधिक होता है। हाथों के नाखूनों और पैर की उंगलियों के नाखूनों में गड्ढे हो सकते हैं और उनका रंग बदल सकता है। वे उखड़ना भी शुरू हो सकते है या वे नाखून की जड़ से अलग हो सकते हैं। सोरायसिस एक अटोइम्युन डिसअर्डर और लम्बी चलने वाली बीमारी है जो अक्सर आती और जाती है। सोरायसिस के क्रॉनिक और गंभीर होने पर रोगियों में जोड़ों का दर्द और सूजन जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं
डाँ हरीश वर्मा ने आयुर्वेद के प्राचीन चिकित्सा ग्रन्थों के आधार पर एक आयुर्वेदिक फार्मूला तैयार किया है जो सोरायसिस के रोगियों के लिये काफी कारगर है। डाँ वर्मा ने बताया कि दो प्रकार की जड़ी बूटियों के समूह को एक खास अनुपात के मिश्रण से तैयार किया गया है यह फार्मूला एक ही समय पर दिया जाता है।
प्रथम समूह में नीम, गिलोय, कालमेघ आदि तथा दूसरे समूह में हल्दी, वसाका, कंटकारी आदि दिये जाते है। यह जानकारी आयोजित एक बेविनार में आयुर्वेदाचार्य एवं कैनेडियन काँलेज आँफ आयुर्वेद एंड योग के प्रमुख डाँ हरीश वर्मा ने दी।
डाँ वर्मा ने कहा कि सोरायसिस के रोगियों के लिये तैयार किया गया यह आयुर्वेदिक फार्मूला ऐलोपेथिक दवाईयों के मुकाबलें में बहुत ही सस्ता है तथा इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। रोगियों के लिये हेल्फलाईन नबंर 9910672020 भी जारी किया गया है। डाँ हरीश वर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का यह फार्मूला सोरायसिस रोग को जड़ से खत्म कर डालने में रामबाण है।

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