सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट : कचरों का सदुपयोग जैविक खाद के रुप में

सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट : कचरों का सदुपयोग जैविक खाद के रुप में

धमतरी शहर में घरो से निकलने वाला कचरा न अब बेकार है न ही उससे किसी प्रकार प्रदूषण हो रहा है। बल्कि यह आय का जरिया बना हुआ है और इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। सॉलिड वेस्ट मैनजमेंट के माध्यम से कचरों का सदुपयोग कर जैविक खाद बनाया जा रहा है। साथ ही कचरे से पृथक किए गए पॉलीथीन को सड़क बनाने में और सीमेंट संयंत्र में उपयोग करने की तैयारी की जा रही है। dmt-stroycc

  एक समय ऐसा था, जब धमतरी शहर घर से निकलने वाला कचरा को नष्ट करने और उसके  प्रदुषण की समस्या से जुझ रहा था। तभी इस कचरे को सदुपयोग करने का निर्णय लिया गया। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के आधार पर विशेष कार्ययोजना बनाई गई।

शहर के घर-घर से निकलने वाले कचरों को लाकर सेंकडरी कलेक्लशन पाइंट में एकत्र किया जाता है। वहां से इसे शहर में दानी-टोला में स्थित टेचिंग ग्रांउड में भेजा जाता है। वहां पर स्थापित जैविक पृथककरण यंत्र में कचरे के प्रकृति के अनुसार अलग-अलग किया जाता है।

मिट्टी और सब्जियां अलग कटेंनर में, पॉलीथीन और ईट पत्थर अलग-अलग कंटेनर में एकत्र की जाती है। वहां मिट्टी और सब्जियां इत्यादि दानीटोला स्थित जैविक खाद संयंत्र और वर्मी कम्पोस्ट संयत्र मंे भेज दी जाती है। जहां पर एक निश्चित प्रक्रिया के पश्चात जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जाता है। अलग किए हुए ईट-पत्थर का समतलीकरण में उपयोग किया जाता है।

जैविक खाद संयत्र का संचालन की जिम्मेदारी निजी संस्था अद्वितीय बॉयो फर्टिलाइजर क्राप सांइस को दी गई है। इस संयंत्र द्वारा करीब 150 टन जैविक खाद प्रति माह और 100 से 125 टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति माह उत्पादन किया जाता है। तैयार खाद टेक्टर ब्रांड जैविक खाद के नाम बाजार में उपलब्ध कराया जाता है, जो किसानों के मध्य काफी लोकप्रिय है। जिसे 5-6 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय किया जाता है।

नगर निगम को हुआ दोहरा लाभ ————————– निगम प्रशासन को इससे दोहरा लाभ हो रहा है। एक ओर कचरे से होने वाले प्रदुषण से निजात मिल रही है। वहीं दुसरी ओर अच्छी आय का साधन भी बना हुआ है। निगम को इससे सालाना 2 लाख रूपए से अधिक आय होती है।

इस कार्य में घमतरी शहर के 200 से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।  जिनसे उनका जीवन-यापन हो रहा है। जैविक खाद का उपयोग स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभप्रद माना जाता है, इससे भूमि की उर्वरा भी बनी रहती है। इस दृष्टीकोण से इसकी मांग भी निरंतर बढ़ रही है।

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