• July 16, 2015

सैनिक स्कूलों में बालिकाओ को भी प्रवेश मिले

सैनिक स्कूलों में बालिकाओ को भी प्रवेश मिले

जयपुर – शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा है कि देश के सैनिक स्कूलों में बालिकाओ को भी प्रवेश मिले। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान लिंगभेद की इजाजत नहीं देता, इस आधार पर सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश की व्यवस्था हो।  उन्होंने कहा कि सैनिक स्कूलों की स्थापना क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए की गई थी। इसी कड़ी में यह जरूरी है कि वहां पर लड़के-लड़कियों की समानता को ध्यान में रखते हुए लड़कियों को भी प्रवेश का समान अवसर दिया जाए।

प्रो. देवनानी ने एन.डी.ए. के अंतर्गत सैनिक स्कूलों का भी अलग से कोटा रखे जाने और सैनिक स्कूलों से संबंधित समस्याओं के प्रभावी समाधान के लिए राज्यों में राज्य स्तरीय कमेटियों के गठन करने और उनमें केन्द्र के साथ राज्यों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किए जाने की भी मांग रखी है।

प्रो. देवनानी बुधवार को यहां नई दिल्ली में सैनिक स्कूलों के लिए बनी शाषी परिषद् की बैठक में बतौर राज्यों के शिक्षामंत्री सदस्य के रूप में संबोधित कर रहे थे। सैनिक स्कूलों की शाषी परिषद् की यह 20 वीं बैठक थी। प्रो. देवनानी ने शाषी परिषद् की बैठक 18 वर्षों के बाद आयोजित किए जाने पर भी आपत्ति जताई तथा कहा कि बैठक प्रतिवर्ष आयोजित की जानी चाहिए ताकि सैनिक स्कूलों से संबंधित मसलों पर नियमित रूप में समीक्षा की जा सके। उन्होंने सैनिक स्कूलों के छात्रावासों में अधीक्षकों  और बैण्ड मास्टर नियुक्त किए जाने की भी मांग रखी।

बैठक में प्रो. देवनानी ने बताया कि प्रदेश में झुन्झुनू और अलवर में सैनिक स्कूल प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार ने एमओयू कर दिया है। झुन्झुनू में राज्य सरकार ने सैनिक स्कूल के लिए भूमि का आवंटन भी कर दिया है। वहां पर भवन निर्माण से संबंधित परियोजना भी इसी 31 जुलाई तक तैयार हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि आगामी 20 अक्टूबर से सैनिक स्कूल का निर्माण कार्य भी प्रारंभ हो जाएगा। सैनिक स्कूल, झुन्झुनू वर्ष 2016 से प्रारंभ हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह अलवर में भी सैनिक स्कूल के लिए राज्य सरकार के स्तर पर जमीन आरक्षित कर दी गई है। शीघ्र ही वहां पर भी स्कूल प्रारंभ करने की कार्यवाही कर दी जाएगी। बैठक में शिक्षा विभाग के उप सचिव श्री दिनेश जांगीड़ ने भी भाग लिया।

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