- December 11, 2015
सूखे की प्राकृतिक विपदा की घड़ी में राज्य सरकार हर कदम पर किसानों के साथ
छ्तीसगढ————————————–मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के किसानों को विश्वास दिलाया है कि सूखे की प्राकृतिक विपदा की इस घड़ी में राज्य सरकार हर कदम पर उनके साथ है। डॉ. सिंह ने किसानों से अपील की है कि उन्हें किसी भी प्रकार की समस्या हो, तो वे अपने निकटवर्ती कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों से अथवा अपने जिले के कलेक्टर से सीधा सम्पर्क करें।
मुख्यमंत्री ने किसानों के नाम आज यहां जारी अपील में कहा है कि इस वर्ष छत्तीसगढ़ में कम बारिश के कारण किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन राज्य शासन द्वारा 117 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित कर राहत के उपाय भी शुरू किए गए हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि मैं स्वयं किसान परिवार से हूं, किसान का बेटा हूं, इसलिए किसानों के दर्द को दिल की गहराइयों से महसूस करता हूं। उन्होंने कहा कि सूखे खेतों को देखकर दुःख होना स्वभाविक है, लेकिन संकट की इस घड़ी में हम सबको धैर्य और हिम्मत से काम लेने की जरूरत है, ताकि समस्या का समाधान मिल-जुलकर किया जा सके।
डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के व्यापक हित में हाल ही में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। एक अभूतपूर्व और ऐतिहासिक कदम उठाकर राजस्व पुस्तक परिपत्र (आर.बी.सी.) 6-4 में प्राकृतिक आपदाओं की सूची में ’सूखे’ की विपदा कोे भी शामिल कर लिया गया है। अब राज्य के सूखा प्रभावित किसानों को भी आर.बी.सी. 6-4 के प्रावधानों के तहत मुआवजा मिल सकेगा। प्रदेश सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को प्रभावित इलाकों में राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के तहत मुआवजा वितरण युद्धस्तर पर शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
डॉ. सिंह ने कहा कि पहले प्राकृतिक विपदाओं में 50 प्रतिशत या उससे अधिक फसल नुकसान पर मुआवजा देने का प्रावधान था, लेकिन प्रदेश सरकार ने हाल ही में इस प्रावधान को संशोधित कर अब 33 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति पर भी किसानों को मुआवजा देने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। सभी 117 सूखा प्रभावित तहसीलों में इस वर्ष लगान वसूली स्थगित कर दी गई है। मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार दिया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर 150 दिन कर दिया गया है। प्रभावित किसानों को डीजल पम्पों के लिए विशेष डीजल अनुदान भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखा प्रभावित लघु और सीमांत किसानों को आगामी खरीफ फसलों की बोआई के लिए धान के बीज की चिन्ता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें खरीफ मौसम 2016 में क्षेत्रफल के आधार पर अधिकतम एक क्विंटल धान का बीज निःशुल्क दिया जाएगा। कृषक जीवन ज्योति योजना के तहत राज्य के किसानों को सिंचाई पम्पों के लिए सालाना 7500 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है।
सूखे के प्राकृतिक संकट को ध्यान में रखकर अब उन्हें 1500 यूनिट अतिरिक्त बिजली भी निःशुल्क दी जाएगी। इस प्रकार प्रभावित किसानों को इस वर्ष सालाना 9000 यूनिट बिजली सिंचाई के लिए मुफ्त मिलेगी। पात्रता रखने वाले समस्त किसानों को राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना का भी लाभ दिलाया जाएगा।
प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के सदस्य किसानों को राज्य शासन द्वारा ब्याज मुक्त ऋण सुविधा दी जा रही है। प्रत्येक जिला मुख्यालय में बहुत जल्द ’किसान-मितान’ केन्द्र भी शुरू किए जा रहे हैं, जहां कृषि, राजस्व और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी किसानों की समस्या सुनने और उचित निराकरण के लिए मौजूद रहेंगे। इसके अलावा इन किसान-मितान केन्द्रों को किसान टेलीफोन पर भी अपनी समस्या बता सकेंगे।
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों के स्तर पर पहले ही लगभग नौ हजार स्थानीय किसानों को ’किसान संगवारी’ के रूप में यह दायित्व सौंपा है कि वे अपनी ग्राम पंचायत के किसानों की समस्याओं को सुलझाने का हर संभव प्रयास करें।
सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण में लाइन विस्तार के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि 50 हजार रूपए से बढ़ाकर 75 हजार रूपए कर दी गई है। इसके साथ ही सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र और बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और ग्रामीण क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अंतर्गत असाध्य सिंचाई पम्पों को बिजली का कनेक्शन देने में 75 हजार रूपए से ज्यादा खर्च आने पर अतिरिक्त राशि का भुगतान इन प्राधिकरणों के मद से किया जा रहा है।