• July 16, 2018

सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद की बैठक में 96 प्रकरणों का आपसी समझाइश से निस्तारण

सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद की बैठक में 96 प्रकरणों का आपसी समझाइश से निस्तारण

जयपुर————राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद द्वारा आपसी समझाइश से प्रदेश के छोटे उद्यमियों के बकाया भुगतान के 96 प्रकरणोंं का निस्तारण कराकर इन उद्योगों को बड़ी राहत प्रदान की है।

उद्योग आयुक्त श्री कृृष्ण कुणाल की अध्यक्षता में उद्योग भवन में आयोजित राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद की 41 वीं बैठक में राज्य की छोटी कंपनियों को बड़ी राहत मिली है।

गौरतलब है कि परिषद द्वारा प्राथमिकता से बैठकों का आयोजन कर परिषद को प्राप्त प्रकरणों में दोनो पक्षों को सुनने के साथ ही आपसी समझाइश से विवादों के निस्तारण का भी प्रयास किया जाता है।

उद्योग आयुक्त श्री कुणाल की अध्यक्षता में परिषद की 41 वीं बैठकउद्योग संघों के प्रतिनिधि लघु उद्योग भारती के प्रदेशाध्यक्ष श्री ताराचंद गोयल व अपोलो माईनकेन के श्री योगेश गौतम ने 97 एजेण्डा बिन्दुओं में 181 प्रकरणों पर सुनवाई की। इनमें से विद्युत वितरण निगम जयपुर से जुड़े 75 प्रकरणों में आपसी समझाईश के बाद आरएस इलेक्ट्रानिक्स जयपुर, मंगल इण्डस्ट्रीज जयपुर, उत्तम भारत इलेक्ट्रोनिक्स, श्री कृृष्ण सुदर्शन उर्जा जयपुर, राहुल कण्डक्टर्स जयपुर, दिव्या इलेक्टि्रकल्स, दीपक ट्रान्सफोमर्स और रानी सती वायर जयपुर के भुगतान विवादों में समझाइश से समझौता होने पर प्रकरण समाप्त किए गए।

एसएस एन्टरप्राइजेज, एके एन्टरप्राइजेज, माउंट माल्टब्रू श्रीमाधोपुर, ऑथेन्टिक इन्स्टूमेंटस, नेचूरल सपोर्ट सर्विस लि. जयपुर, इलेक्ट्रोलाइटस पॉवर जयपुर, ट्रिम इंजीनियरिंग कोटा, महेश्वरी इलेक्ट्रोनिक्स सीकर, सेंचुरी इन्फ्रा जयपुर और गणपित इन्फ्रा पॉवर जयपुर को सुविधा परिषद के माध्यम से दोनों पक्षों को समझाइश से भुगतान विवाद का निपटारा कराते हुए भुगतान कराया गया है।

इससे कई उद्योगों को प्रदेश से बाहर उत्तराखण्ड, त्रिवेन्द्रम आदि में स्थित क्रेताओं से भुगतान मिलने से बड़ी राहत मिली है।

परिषद ने 3 प्रकरणों में अवार्ड जारी किए जबकि परिधि की सीमा में नहीं आने वाले प्रकरणों को निरस्त करने के साथ ही अन्य प्रकरणों को आपसी समझौते का अवसर उपलब्ध कराया गया।

उद्योग आयुक्त श्री कृृष्ण कुणाल ने बताया किकेन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से सामान प्राप्त करने वाले उद्योगों या संस्था को राशि का भुगतान 45 दिन में नहीं होने की स्थिति में संबंधित पक्ष उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में गठित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद में वाद प्रस्तुत कर राहत प्राप्त कर सकते हैं।

एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है।

उद्योग आयुक्त श्री कुणाल की अध्यक्षता में गठित परिषद् के उद्योग आयुक्त श्री कुणाल के अलावा संयोजक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति श्री एन.सी. उप्रेती, उद्योग संघों के प्रतिनिधि श्री ताराचंद गोयल, श्री राजेन्द्र राठी व श्री योगेश गौतम सदस्य है।

परिषद की बैठक में उद्योग विभाग की और से अतिरिक्त निदेशक श्री पीके जैन ने विस्तार से प्रकरणों की जानकारी दी।

उपनिदेशक श्री एसएल पालीवाल व केएल स्वामी ने प्रकरण प्रस्तुत किए।

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