- October 1, 2017
‘सुहावणो जैपुर‘—शौचालय निर्माण में जयपुर देश मेंतीसरे स्थान पर
जयपुर————- ‘स्वच्छ भारत अभियान‘ की भावना को साकार कर ‘सुहावणो जैपुर‘ की परिकल्पना के साथ कदमताल करते हुए जयपुर जिला पूरे देश में इस अभियान की शुरूआत से अब तक व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण की दृष्टि से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
जहां तक राज्य स्तर की बात है, जयपुर गत वित्तीय वर्ष में भी सबसे अधिक टायलेट्स का निर्माण कर प्रदेश में पहले स्थान पर था, चालू वर्ष में भी अब तक की उपलब्धि के आधार पर वह प्रदेश के सभी जिलों से आगे है।
जयपुर से आगे है बंगाल के दो जिले
जिला कलक्टर श्री सिद्धार्थ महाजन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत वर्ष 2013-14 में हुई थी, पूरे भारत में तब से लेकर अब तक कुल व्यक्तिगत शौचालय निर्माण की उपलब्धि को देखा जाए तो इसमें जयपुर जिला समूचे देश में 5 लाख 40 हजार 785 शौचालयों के निर्माण के साथ तीसरे स्थान पर है।
जयपुर से आगे पश्चिम बंगाल के 24 परगना (5 लाख 98 हजार शौचालयों का निर्माण) तथा मुर्शीदाबाद (5 लाख 95 हजार 728) जिले है। ज्ञातव्य है कि पश्चिम बंगाल के जिलों का जनसंख्या घनत्व 1029 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, इसके मुकाबले राज्य के जिलों का औसत घनत्व 201 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिखरी हुई आबादी के कारण घरों में व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण मुश्किल और अधिक चुनौतीपूर्ण है।
गौरतलब है कि जयपुर जिले में अभियान के तहत अब तक बनाए गए शौचालयों की संख्या (540785) में तो प्रदेश के कई जिले पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो गए होते।
जयपुर में बने टायलेट्स की इस संख्या में भरतपुर (कुल लक्ष्य-289714) एवं चितौड़गढ़ (लक्ष्य-232887) अथवा डूंगरपुर (285395) एवं टोंक (208321) या जैसलमेर (56594) एवं व बाड़मेर (359670) जैसे जिलों के समूह पूरी तरह ‘ओडीएफ‘ हो जाते है।
जयपुर में जितने ‘टायलेट्स‘ बने है, उतने में जैसलमेर जैसा जिला करीब 9 बार, चितौड़गढ़ जिला करीब 2 बार और टोंक जिला भी 2 बार ‘ओडीएफ‘ हो जाता हैं।
चालू वर्ष में भी देश में तीसरी पायदान
श्री महाजन ने बताया कि जयपुर जिले ने एक बार फिर वर्ष 2017-18 में अब तक की उपलब्धि के आधार पर पूरे देश में ग्रामीण क्षेत्र में कुल व्यक्तिगत शौचालयों के निर्माण की दृष्टि से भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। चालू वित्तीय वर्ष के पहले 6 महिनों में सर्वाधिक शौचालयों का निर्माण करने वाले जिलों में जयपुर एक लाख 17 हजार 785 शौचालयों का निर्माण करते हुए आंधप्रदेश के नैल्लोर (लगभग 2 लाख 12 हजार शौचालयों का निर्माण) एवं गुजरात के दाहोद (1,20601 शौचालय) जिलों के बाद देश के अन्य सभी जिलों से आगे तीसरे स्थान पर हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में भी जयपुर जिला देशभर में एक साल में कुल शौचालयों के निर्माण की दृष्टि से पश्चिम बंगाल के चार जिलों मुर्शीदाबाद, साऊथ 24 परगना, मिदनापुर वेस्ट और कूच बिहार के बाद सबसे आगे रहा था, इस वर्ष जयपुर नैल्लोर एवं दाहोद के बाद पांचवे से तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
प्रदेश में भी सबसे आगे, गत साल में 68 प्रतिशत उपलब्धि
श्री महाजन ने बताया कि जयपुर जिले में 5 लाख 80 हजार 310 शौचालयों के निर्माण के लक्ष्य की तुलना में वर्ष 2013-14 से लेकर अब तक 5 लाख 40 हजार 785 शौचालयों का निर्माण हुआ है, इसमें से 68 प्रतिशत उपलब्धि गत एक वर्ष के दौरान हासिल की गई है। अब जिले की ग्राम पंचायतों में करीब 40 हजार टायलेट्स का निर्माण किया जाना शेष है।
जिले की शेष ग्राम पंचायतों में आगामी 14 नवम्बर तक बचे हुए शौचालयों का निर्माण पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सितम्बर 2016 से सितम्बर 2017 की अवधि में जिले में 3 लाख 40 हजार शौचालयों का निर्माण स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत किया गया है, जो प्रदेश में एक कीर्तिमान है।
जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने की कड़ी मेहनत
जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री आलोक रंजन ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत लगातार दूसरे वर्ष जिले को देश और प्रदेश में विशिष्ट उपलब्धि दिलाने में जिले के ग्रामीण क्षेत्र में विकास अधिकारियों के नेतृत्व में पंचायत समितियों के कार्मिकों की पूरी टीम, सरपंचगण एवं अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है।
विभिन्न पंचायत समितियों में ‘ट्रिगरिंग‘ एवं प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गई, साथ ही ‘क्रिएटिव‘ गतिविधियों के माध्यम से जनसामान्य को अधिक से अधिक जोड़ने पर बल दिया गया। बस्सी में प्रशिक्षु आईएएस ने ‘स्वच्छता चौपाल‘ लगाई, जिनमें स्वच्छता सम्बंधी लघु फिल्में दिखाई गई।
गोविंदगढ़ पंचायत समिति में विकास अधिकारी ने जागरूकता के लिए ‘स्वच्छता ओलम्पिक‘ का आयोजन कराया तो दूद और पावटा में ‘वाल पेंटिंग‘ (दीवारों पर नारा लेखन) के जरिए विशेष प्रयास करते हुए ग्रामीणों को प्रेरित किया। सांभर और विराटनगर में शौचालयों के निर्माण के साथ ‘पेमेंट‘ निस्तारण के लिए अच्छा कार्य हुआ है।