- June 20, 2021
सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार ने कहा हम कोरोना पीड़ितों को चार लाख का मुआवजा नहीं दे सकते
मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दायर कर कहा है कि आर्थिक तंगी और दूसरे कई अन्य कारणों से वह कोविड19 संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के परिवारों को चार लाख रुपए की सहायता राशि नहीं दे सकती है.
हलफ़नामें में यह भी कहा गया है कि सरकार ने कोविड महामारी से निपटने के लिए और उससे पीड़ित परिवारों के लिए कई तरह की लाभकारी योजनाएं लागू की हैं.
सरकार ने यह भी कहा है कि महामारी से निपटने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं जिनका लोगों को फ़ायदा भी मिला है.
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर हलफ़नामे में केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि केंद्र और सभी राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए ज़रूरतमंद व्यक्तियों के लिए काफ़ी कुछ किया है और इसमें काफ़ी ख़र्च हुआ है, जिससे आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.
केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कोरोना संक्रमण के कारण मारे गए लोगों के प्रति अफ़सोस ज़ाहिर किया है और माना है कि लोगों का मरना ना सिर्फ़ उनके परिवार के लिए बल्कि राष्ट्र के लिए भी क्षति है.
केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि यह महामारी एक आपदा है. इस संक्रमण के असाधारण फैलाव और प्रभाव से निपटने के लिए प्राकृतिक आपदा से निपटने के उपायों से अलग उपायों और प्रयासों की आवश्यकता है. सरकार ने कहा कि यह बेहद चुनौतीपूर्ण है.
हलफ़नामे के अनुसार, महामारी अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है और इसे लेकर कोई भी सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. इसके प्रभावों से निपटने के लिए स्वास्थ्य और ग़ैर-स्वास्थ्य क्षेत्रों में तेज़ी से विकास और उन्हें उन्नत बनाने की आवश्यकता है. इसमें देश के लाखों-करोड़ों रुपए ख़र्च होंगे.
हलफ़नामे में कहा गया है कि भविष्य में इस महामारी के प्रभावों से निपटने के लिए वित्तीय और तकनीकी दोनों स्तर पर संसाधन जुटाने की आवश्यकता है.
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत 12 अधिसूचित आपदाओं के लिए अनुदान राहत राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के माध्यम से दी जाती है. सभी राज्यों के लिए साल 2021-22 के लिए वार्षिक राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष 22,184 करोड़ रुपये है.
बीबीसी के सहयोगी सुचित्र मोहंती ने हलफ़नामे की प्रति के हवाले से लिखा है कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर पूरी एसडीआरएफ़ राशि कोविड पीड़ितों के लिए सहायता राशि पर ही ख़र्च हो जाएगी तो राज्यों के पास कोविड 19 से निपटने के लिए तैयारियों, विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं और ज़रूरी प्रावधानों के लिए या फिर आपदा के समय राहत मुहैया कराने के लिए धन नहीं होगा. जिसमें बाढ़, चक्रवात आदि का ख़तरा भी शामिल हैं.