- March 1, 2016
सुनहरे भविष्य की डगर सुकून दे रही है जनजाति प्रतिभाओं को : – डॉ. दीपक आचार्य, उप निदेशक
उदयपुर —- (सू०ज०सं०)—–प्रदेश में जनजातियों के उत्थान एवं जनजाति क्षेत्रों के समग्र विकास की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों की बदौलत अब जनजाति कल्याण का नया दौर परवान पर है।
जनजाति विकास की योजनाओं और कार्यक्रमों के सार्थक क्रियान्वयन के साथ ही अब जनजाति वर्ग की प्रतिभाओं को सुनहरे भविष्य की राह प्रदान करने की दिशा में ढेरों कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिनके माध्यम से विभिन्न सेवाओं में आशातीत सफलता प्राप्त कर बेहतर भविष्य पाने की राह प्रशस्त हुई है।
जजा क्षेत्रीय विकास मंत्री की सराहनीय पहल
राज्य सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि जनजाति प्रतिभाएं विभिन्न प्रकार की सेवाओं में अपनी उल्लेखनीय भागीदारी अदा करने लगे हैं। जनजाति वर्ग से संबंधित सभी प्रकार की प्रतिभाओं के उन्नयन, प्रोत्साहन एवं सम्बलन के लिए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की सोच के अनुरूप हर क्षेत्र में व्यापक स्तर पर जनजाति विकास गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री श्री नंदलाल मीणा की पहल तथा जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अनवरत प्रयासों का प्रभाव अब क्षेत्र में दिखाई देने लगा है।
विभागीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सार्थक क्रियान्वयन में विभागीय अधिकारियों एवं कार्मिकों के साथ ही जनजाति क्षेत्रों के जन प्रतिनिधियों की सहभागिता भी उल्लेखनीय परिणाम दर्शा रही है।
रंग ला रहे हैं चौतरफा प्रयास
एक ओर जहां जनजाति वर्ग की प्रतिभाओं को स्थापित किए जाने के लिए कोचिंग, छात्रवृत्ति और मार्गदर्शन की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं वहां दूसरी ओर खेल, शिक्षा और राज्य सेवाओं के साथ ही सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न प्रतिभाओं और कर्मयोगियों को सम्मानित कर उनके प्रोत्साहन के लिए हर साल होने वाले आयोजनों ने भी जनजाति प्रतिभाओं में प्रेरणा का संचार किया है।
टीआरआई बनी प्रतिभा विकास का केन्द्र
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अधीन संचालित एवं टीआरआई के नाम से मशहूर माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर द्वारा जनजाति प्रतिभाओं के लिए बहुत से प्रशिक्षण एवं कोचिंग कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है।
इसका लाभ जनजाति प्रतिभाओं को प्राप्त हो रहा है और वे उच्च प्रशासनिक एवं अन्य सेवाओं के लिए अपने आपको निखार रहे हैं। अकेले कोचिंग क्षेत्र को ही देखा जाए तो टीआरआई द्वारा जनजाति क्षेत्र के विद्यार्थियों के सुनहरे भविष्य के लिए कोचिंग की विभिन्न योजनाओं का सूत्रपात किया जा रहा है।
टीआरआई की वार्षिक कार्य योजनान्तर्गत कोचिंग कार्य कराये जाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। और इसके लिए बाकायदा पर्याप्त बजट का प्रावधान जन कल्याण निधि अन्तर्गत किया गया है जिसमें कोषालय से बजट आहरण का प्रावधान है।
जिला स्तर पर पूर्व प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग कार्याें के लिए डूंगरपुर, बांसवाड़ा एवं प्रतापगढ़ के परियोजना अधिकारी (जनजाति) कार्यालयों को भी इस योजना के क्रियान्वयन हेतु सीधे ही विभाग द्वारा राशि हस्तान्तरित की जाती रही है।
तकनीकी संस्थानों में प्रवेश के लिए कोचिंग
तकनीकी पाठ्यक्रम (आई.आई.टी., आई.पी.एम.टी., पी.ई.टी.) में भर्ती हेतु कोचिंग के अन्तर्गत उदयपुर एवं कोटा के चयनित प्रतिष्ठित संस्थाओं से कोचिंग लेने वाले लाभार्थियों को अधिकतम 55 हजार रुपए फीस पुर्नभरण में, 5 हजार रुपए कोचिंग के समय, स्टेशनरी क्रय एवं छात्रवृत्ति के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपए की दर से दस माह के लिए अधिकतम 10 हजार रुपए (लाभार्थियों की प्रतिमाह 80 प्रतिशत की दर से उपस्थिति होने पर दी जाती है।
राज्य सरकार की योजनानुसार अनुसूचित क्षेत्र के जनजाति छात्र-छात्राओं को तकनीकी शिक्षा के लिए कोचिंग योजनान्तर्गत कुल अधिकतम 70हजार रुपए प्रति छात्र की दर से पुनर्भरण किये जाने का प्रावधान है। इस योजना में जिन संस्थाओं का चयन किया गया है उनमें कोटा का एलेन केरियर इस्टीटयूट, केरियर पॉइन्ट एवं रेजोनेन्स प्रा.लि. और उदयपुर के एसेन्ट केरियर पॉइन्ट एवं एमके जैन क्लासिस शामिल हैं। इन संस्थाओं की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर छात्रों के प्रवेश लेने के पश्चात टीआरआई द्वारा कोचिंग व्यय राशि का पुनर्भरण किया जा रहा है। तकनीकि शिक्षा कोचिंग योजना में पिछले तीन वर्ष में 141 जनजाति प्रतिभाओं को लाभान्वित किया जा चुका है।
प्रतियोगी परीक्षा पूर्व कोचिंग
इस योजना के अन्तर्गत विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग संस्थान एवं परियोजना अधिकारी (जनजाति) कार्यालय द्वारा इच्छुक अभ्यार्थियों के आवेदन पत्र प्राप्त कर विषय विशेषज्ञों की सेवायें ली जाकर 500 रुपए प्रति कालांश की दर से मानदेय दिया जा रहा है। अध्ययन सामग्री भी कोचिंग के दौरान उपलब्ध करायी जा रही है। प्रत्येक सप्ताह टेस्ट भी लिया जा रहा है।
कोचिंग लेने वाली महिला आशार्थियों के लिये आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिये संस्थान परिसर में बहुउद्देश्यीय छात्रावास निर्मित है जिसमें 150 छात्राओं के लिये आवासीय सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है।
इस वर्ष में संस्थान के साथ-साथ विभिन्न जिला स्तरों पर पूर्व प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग कार्याें हेतु विभिन्न परियोजना अधिकारी कार्यालयों को (जनजाति) सीधे ही विभाग द्वारा हस्तान्तरित किये गये है।
कई प्रकार की कोचिंग ने दी रोशनी
वर्तमान में अन्य कोचिंग योजनान्तर्गत विभिन्न पूर्व प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्य संस्थान परिसर में आयोजित किए गए। सामान्य प्रतियोगी पूर्व परीक्षा में 57, आर.ए.एस. प्री परीक्षा में 70, रीट लेवल-द्वितीय में 81, रीट लेवल-प्रथम में 76, वनरक्षक में 57,पटवारी में 62 और आर.ए.एस. मेन में 10 को कोचिंग सुविधा से लाभान्वित किया जा चुका है जबकि व्याख्याता (स्कूल शिक्षा) के लिए कोचिंग 15जनवरी से निरन्तर जारी है। इनमें आरएएस-प्री परीक्षा में 70 प्रशिक्षणार्थियों में से 12 उत्तीर्ण हो चुके हैं।
क्षेत्रवार देखा जाए तो जनजाति क्षेत्रीय विकास विभागीय जिलास्तरीय परियोजना कार्यालयों के माध्यम से विभिन्न प्रकार की कोचिंग से उदयपुर में 50अभ्यर्थियों, डूंगरपुर में 200, बांसवाड़ा में 250, प्रतापगढ़ में 357 अभ्यर्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है।
मिलेगी कई प्रकार की कोचिंग
टीआरआई द्वारा इन कोचिंग कायोर्ं के अतिरिक्त व्याख्याता(स्कूल शिक्षा), एस.एस.सी. द्वारा आयोजित कम्बाइन्ड ग्रेजुएट लेबल एग्जामिनेशन टीयर, आरएएस प्री 2016 में प्रवेशित अभ्यर्थी, नगर पालिका लिपिक ग्रेड-।, ऑनलाईल परीक्षाओं की तैयारी के लिए तीन सप्ताह की कम्प्यूटर कोचिंग एवं विशेष कांस्टेबल भर्ती-2015 एवं अन्य कोचिंग परीक्षाओं की पूर्व तैयारी के साथ आगामी समय में टी.एस.पी. क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के पूर्व कोचिंग संस्थान द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
राज्यस्तरीय प्रतिस्पर्धा एवं प्रतिभा सम्मान की पहल
प्रदेश के जनजाति छात्रावासों के खिलाड़ियों के लिए उदयपुर में पहली बार राज्यस्तरीय खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन और जनजाति प्रतिभाओं के सम्मान समारोहों की श्रृंखला ने जनजाति विकास को नई गति प्रदान की है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा राजस्थान के जनजाति वर्ग और जनजाति क्षेत्रों के विकास के लिए हो रहे व्यापक प्रयासों ने जनजाति कल्याण को मूर्त रूप दिया है। इससे जनजातियों में सरकार के प्रति विश्वास जगा है।
जनजाति क्षेत्रीय विकास आयुक्त श्री भवानीसिंह देथा के अनुसार प्रदेश में जनजाति क्षेत्रीय विकास गतिविधियां निरन्तर व्यापकता पाती जा रही हैं और विभिन्न योजनाओं तथा कार्यक्रमों में लाभान्वितों की संख्या निरन्तर बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही जनजाति क्षेत्रों में विकास की दिशा में अनथक प्रयास जारी हैं।