- June 17, 2022
सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसी को जल्द अंतिम रूप दे केंद्र : — संजय झा
बिहार सूचना केन्द्र, नई दिल्ली(सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग, बिहार)
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नई दिल्ली—– बिहार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री श्री संजय कुमार झा ने गुरुवार को नई दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालयए भारत सरकार द्वारा श्भारत में डैम सेफ्टी गवर्नेंस हेतु बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला एवं मंत्री सम्मेलन में जल प्रबंधन की दिशा में बिहार की उपलब्धियों और जरूरतों से केंद्र को अवगत कराया।
केंद्र और राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री संजय कुमार झा ने कहाए हमें यह बताते हुए खुशी है कि बिहार में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में वर्ष 2005 में सरकार बनी और वर्ष 2006 में ही श्बांध सुरक्षा अधिनियम 2006 को अधिनियमित कर दिया गया। साथ ही उसके प्रावधानों के आलोक में श्राज्य बांध सुरक्षा समितिश् तथा श्बांध सुरक्षा प्रकोष्ठश् का गठन भी कर दिया गया था। हमारे बिहार में वर्तमान में 27 वृहद डैम और 5 प्रमुख बराज हैं। इन सभी बांधों का श्बांध सुरक्षा प्रकोष्ठश् के सदस्यों द्वारा नियमित रूप से निरीक्षण किया जाता है। निरीक्षण से संबंधित प्रतिवेदन संबंधित क्षेत्रीय मुख्य अभियंताए विभागीय मुख्यालय और केंद्रीय जल आयोग को दिया जाता है।
श्री संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार उन कुछेक राज्यों में शामिल हैए जिसने केंद्र के श्बांध सुरक्षा अधिनियमए 2021 के प्रावधानों के आलोक में श्राज्य बांध सुरक्षा समितिश् और श्राज्य बांध सुरक्षा संगठनश् का गठन कर दिया है। श्री संजय कुमार झा ने आग्रह किया कि केंद्र सरकार यदि बांधों की सुरक्षा में लगे अभियंताओं के लिए आधुनिक तकनीक पर आधारित प्रशिक्षण की पहल करे तो राज्यों को काफी लाभ होगा।
उल्लेखनीय है कि बांध की सुरक्षा में विफलता से होने वाली आपदाओं की रोकथाम करनेश् और श्बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र गठित कर निर्दिष्ट बांधों की निगरानीए निरीक्षणए प्रचालनए रखरखाव की व्यवस्था को सुदृढ़ करनेश् के लिए भारत सरकार द्वारा बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 ,डैम सेफ्टी एक्ट 2021 को 14 दिसंबर 2021 को अधिसूचित किया और उसके प्रावधान 30 दिसंबर 2021 से प्रभावी हो गये हैं।
श्री संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में स्थित ज्यादातर बड़े डैम 30 वर्ष से अधिक पुराने हो गये हैं और समय के साथ उनमें सिल्ट जमा होने के कारण उनकी कुल संचयन क्षमता काफी कम हो गई है। राज्य के विभिन्न डैम की संचयन क्षमता के पुनर्स्थापन के लिए राज्य सरकार कार्य करना चाह रही हैए जिसमें केंद्र से तकनीकी और वित्तीय सहयोग की अपेक्षा है।
गंगा नदी पर फरक्का बराज बनने के बाद से बिहार में गाद की बढ़ती समस्या और जलजमाव का जिक्र करते हुए जल संसाधन मंत्री ने कहा कि नदियोंए जलाशयोंए झील आदि में जमा गाद के प्रबंधन के लिए जल शक्ति मंत्रालयए भारत सरकार द्वारा श्नेशनल सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसी 2017श् का प्रारूप मंतव्य के लिए राज्यों को भेजा गया थाए जिस पर बिहार सरकार का जल संसाधन विभाग अपना मंतव्य अगस्त 2018 में उपलब्ध करा चुका है। उन्होंने राज्य सरकार की ओर से अनुरोध किया कि केंद्र द्वारा श्नेशनल सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसीश् को जल्द.से.जल्द अंतिम रूप दिया जाये। जल शक्ति मंत्रालयए भारत सरकार द्वारा दिसंबर 2021 में एक ड्राफ्ट नेशनल फ्रेमवर्कश् मंतव्य हेतु राज्यों को उपलब्ध कराया गया था। इस पर भी बिहार सरकार का मंतव्य उपलब्ध करा दिया गया है।
श्री संजय कुमार झा ने दक्षिण बिहार में सिंचाई की क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए इंद्रपुरी जलाशय योजना जैसे अंतरराज्यीय मुद्दों को सुलझाने में केंद्र से पहल का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि बिहार राज्य के पुनर्गठन के बाद दक्षिण बिहार की कई नदियों का उद्गम स्थल अब झारखंड में अवस्थित है। समय.समय पर इसमें जल के बंटवारे की आवश्यकता पड़ती है।
सोन नदी के जल पर आधारित सोन सिंचाई प्रणाली लगभग 150 वर्षों से कार्यरत है। वर्ष 1968 मेंए इस पर पूर्व निर्मित एनीकट के स्थान पर इंद्रपुरी बराज का निर्माण हुआ था। उसी समय बराज के अपस्ट्रीम में करीब 80 किलोमीटर दूर एक जलाशय का निर्माण भी प्रस्तावित था। इसके लिए प्रस्तावित स्थल बिहारए झारखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर अवस्थित है। इसका नाम पहले कदवन जलाशय योजना था।
वर्तमान में यह इंद्रपुरी जलाशय योजना के नाम से प्रस्तावित है और केंद्रीय जल आयोग में स्वीकृति के लिए विचाराधीन है। यदि केंद्र सरकार राज्य की मदद करेए तो बिहारए झारखंड और उत्तर प्रदेश में अवस्थित इस जलाशय के निर्माण की स्वीकृति शीघ्र प्राप्त हो सकेगी और सोन नदी के जल का समुचित उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।
नेपाल में हाई डैम के निर्माण में केंद्र से पहल का अनुरोध करते हुए जल संसाधन मंत्री ने कहा कि बिहार हिमालय और नेपाल के डाउनस्ट्रीम में अवस्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण राज्य का उत्तरी भूभाग नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ की विभीषिका झेलता है तो दक्षिणी भूभाग सूखे की चपेट में रहता है। प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा एवं राहत की योजनाओं पर हर साल हजारों करोड़ रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में कोसी नदी की बाढ़ से उत्तर बिहार की बड़ी आबादी और कृषि भूमि को सुरक्षित करने के उद्देश्य से नेपाल में कोसी हाई डैम के निर्माण की नितांत आवश्यकता है। इसके निर्माण हेतु डीपीआर तैयार करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित संयुक्त परियोजना कार्यालय वर्ष 2004 से ही कार्यरत हैए लेकिन कतिपय कारणों से डीपीआर का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है।
कोसी नदी के अंतरराष्ट्रीय नदी होने और प्रस्तावित कोसी हाई डैम के नेपाल में अवस्थित होने के कारण यह एक अंतराष्ट्रीय मामला हो जाता है। बिहार राज्य को बाढ़ से हर साल होने वाले भारी नुकसान से बचाने के लिए यदि भारत सरकार विशेष प्रयास कर कोसी हाई डैम का निर्माण कराती है तो बिहार इसका आभारी रहेगा और राष्ट्र के विकास में और अधिक भूमिका निभा पायेगा।
’जल शक्ति मंत्री को दिया बिहार आकर रबर डैम देखने का न्योता’
श्री संजय कुमार झा ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत को बिहार आकर प्रदेश के पहले रबर डैम को देखने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की परिकल्पना के अनुरूप गया में विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के पास बिहार के पहले रबर डैम का निर्माण कराया जा रहा हैए जिसमें फल्गू नदी का जल सालोभर उपलब्ध होगा।
गया में देश.विदेश से बड़ी संख्या में लोग हर साल पिंडदान के लिए आते हैंए जिन्हें गर्मियों में फल्गू नदी में जल सूख जाने से परेशानी होती है। माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश पर यहां रबर डैम का निर्माण पूर्णता की ओर है। माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश पर तैयार यह एक अभिनव योजना है जिससे श्रद्धालुओं की यह परेशानी दूर हो जाएगी।
संपर्क : सहायक निदेशक,
बिहार सूचना केन्द्र,
नई दिल्ली।