सिंहस्थ ! मन, प्रसन्नता और आनंद से भरपूर

सिंहस्थ !  मन, प्रसन्नता और आनंद से भरपूर

जगदीश मालवीय——————————  सिंहस्थ सानंद सम्पन्न हुआ। मन प्रसन्नता और आनंद से भरा हुआ है। महाकाल की कृपा से पूरी टीम ने सिंहस्थ में अंतरआत्मा की गहराइयों से सेवाएँ दी और उत्कृष्ट काम करने का प्रयास किया। सिंहस्थ में संतों के सान्निध्य में रहने से सही दिशा मिली।

यह बात मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने बुधवार को स्वामी श्री अवधेशानंदजी गिरि के सिंहस्थ शिविर में उनकी विदाई में कही। मुख्यमंत्री ने पत्नी श्रीमती साधना सिंह के साथ स्वामी श्री अवधेशानंदजी को शाल, श्रीफल एवं अंगवस्त्रम भेंट कर आत्मीय विदाई दी।

इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन, सिंहस्थ केंद्रीय समिति के अध्यक्ष श्री माखनसिंह, विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल, अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्री हरिगिरिजी, जूना अखाड़ा के श्रीमंहत प्रेमगिरि जी, श्री उमाशंकर भारती जी, संभागायुक्त डॉ. रवींद्र पस्तौर, प्रमुख सचिव जनसंपर्क श्री एस.के. मिश्रा, एडीजीपी श्री व्ही. मधुकुमार और डीआईजी श्री राकेश गुप्ता भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सिंहस्थ में सभी शासकीय सेवक न केवल नौकरी कर रहे थे, बल्कि सेवाएँ दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ में उज्जैन को मिली सौगातों को यथावत रख उनका संधारण किया जायेगा। जो पेड़ पौधे लगे हैं वे सूखने न पायें, घाट भी अच्छे बने रहें और उनकी देख-रेख हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंहस्थ महापर्व के समापन के बाद उज्जैन और क्षिप्रा के तट सूने-सूने से लग रहे हैं और आज स्वामीजी भी यहाँ से विदा ले रहे हैं तो ह्रदय भी सूना लग रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामीजी को देश दुनिया में ज्ञान की गंगा बहाने जाना पड़ता है। मैं उन्हें विदा करने आया हूँ और उनसे आग्रह करता हूँ कि वे बार-बार मध्यप्रदेश आते रहें। स्वामी अवधेशानंदजी ने सबको जोड़ने का काम किया है।

स्वामी श्री अवधेशानंदजी गिरि ने अपने आशीर्वचन में प्रदेश की सुख समृद्धि, उन्नति, उत्कृष्टता और वैभव की भगवान महाकाल से प्रार्थना करते हुए कहा कि यहाँ के कृषक, शिल्पी, प्रजा, शासक, प्रशासक, उपासक आदि सभी सुखी और प्रसन्न रहें। उन्होंने कहा कि जूना अखाड़े के दातार अखाड़े में मंगलवार को आचार्य पीठ की स्थापना हुई है। यह पीठ विद्या का केंद्र बनेगी। इस पीठ में विद्या का वास होगा।

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