सिंचाई परियोजनाओं का काया-कल्प

सिंचाई परियोजनाओं का काया-कल्प

मध्यप्रदेश में वर्ष 1986 के पहले निर्मित सिंचाई परियोजनाओं का काया-कल्प हो गया है। चम्बल, बेतवा, सिंध, केन, टोंस और वेनगंगा नदी कछारों के 30 जिले की 229 सिंचाई परियोजना से अब उनकी पूरी क्षमता से सिंचाई होने लगी है। यह कार्य विश्व बेंक की सहायता से लागू की गयी वॉटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना से संभव हो सका है। परियोजना इसी वर्ष जून में पूरी होने जा रही है।

परियोजना लागू होने से पहले इन योजनाओं से आधी से भी कम क्षमता पर सिंचाई लाभ मिल रहा था। कुल 2498 करोड़ की इस परियोजना में पुरानी सिंचाई योजनाओं के जल वितरण तंत्र में सुधार के साथ-साथ कमाण्ड क्षेत्र के किसानों को उन्नत कृषि, उद्यानिकी, पशु-पालन आदि कृषि संबंधी क्षेत्रों में सहायता उपलब्ध करवायी गयी। पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक विकास और महिला सशक्तिकरण के विषय भी योजना में शामिल किये गये। साथ ही जल उपभोक्ता संथाओं को भी इसमें भागीदार बनाया गया।

वॉटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना के प्रभाव का स्वतंत्र एजेंसी नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च मैनेजमेंट हैदराबाद से करवाया गया। एजेंसी ने संबंधित क्षेत्रों का भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विकास अच्छा हुआ है। समय पर सिंचाई के लिये जल प्राप्त होने, किसानों द्वारा कृषि के उन्नत तरीके अपनाने, जल के सही तरीके से उपयोग और आधुनिक कृषि तकनीकों के अपनाने से यह संभव हुआ है। मध्यप्रदेश वॉटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना से मूल भावना के अनुरूप उपलब्ध जल की उत्पादकता बढ़कर किसानों के जीवन का स्तर ऊपर उठा है। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

परियोजना में जल वितरण तंत्र सुधार कार्य की बदौलत चम्बल नहर प्रणाली से रबी सिंचाई में काफी वृद्धि हुई है। वर्ष 2009-10 में जहाँ 78 हजार 83 हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, वहीं अब इसका सिंचाई क्षेत्र 3 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है। पुरानी सिंचाई परियोजनाओं से प्रतिवर्ष सिंचाई रकबा बढ़ रहा है।

परियोजना क्षेत्र में वॉटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना की मॉनीटरिंग रिपोर्ट के आधार पर गेहूँ उत्पादकता में 23.47 प्रतिशत वृद्धि हुई है। परियोजना से पहले गेहूँ की उत्पादकता 3703 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो बढ़कर 23.47 प्रतिशत हो गयी है। इसी तरह चना की उत्पादकता में 13.83, धान 33.97, सोयाबीन 12.52, मिर्च 11.46, बैंगन 13.12, टमाटर 21.60, धनिया 50, आलू 33 और प्याज की उत्पादकता में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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