सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना : 1.45 करोड़ से अधिक त्रुटियां : राज्यों/संघ शासित प्रदेशों से सहयोग

सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना : 1.45 करोड़ से अधिक त्रुटियां : राज्यों/संघ शासित प्रदेशों से सहयोग
पेसूका –   सरकार ने 16 जुलाई, 2015 को सामाजिक-आर्थिक और जाति आधारित जनगणना (एसईसीसी) की स्थिति की समीक्षा की। समीक्षा में 46,73,034 विभिन्न जाति नामों का विवरण उक्त एसईसीसी में पता लगा है। इनमें जाति/उपजाति, समानार्थक नाम, उपनाम, कुनबा/गोत्रनाम, ध्वनि सूचक विभिन्नताएं, वर्ग, उपसमूह आदि शामिल हैं। इन मुद्दों पर जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी ली जाएगी।

जहां तक जाति सूचक जानकारियों का संबंध है एसईसीसी में 8,19,58,314 गलतियां पाई गई हैं, जिन्हें सुधारने के लिए राज्य और संघ शासित प्रदेशों को बता दिया गया है। राज्य इन गलतियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं और अब तक 6,73,81,119 गलतियों को दूर कर लिया गया है। बहरहाल, 1,45,77,195 गलतियों को सुधारा जाना बाकी है। उदहारण के लिए महाराष्ट्र (69.1 लाख), मध्य प्रदेश (13.9 लाख), पश्चिम बंगाल (11.6 लाख), राजस्थान (7.2 लाख), उत्तर प्रदेश (5.4 लाख), कर्नाटक (2.9 लाख), बिहार (1.7 लाख), तमिलनाडु (1.4 लाख) और अन्य राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों को गलतियां सुधारनी हैं।

याद रहे कि जमीनी स्तर पर आंकड़े जमा करने का काम पूरा हो चुका है और ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों के सामाजिक-आर्थिक विवरणों को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 3 जुलाई, 2015 को जारी कर दिया था। हालांकि, शहरी क्षेत्रों के बारे में किसी प्रकार के आंकड़े अब तक आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय ने नहीं जारी किये हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जातिगत आंकड़ों के वर्गीकरण के लिए एक विशेषज्ञ समूह की गठन की घोषणा की थी। यह समूह नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री अरविन्द पनगढ़िया की अध्यक्षता में गठित किया गया है। विशेषज्ञ समूह के सदस्यों का चयन जनजातीय कार्य मंत्रालय की सलाह से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय करेगा। विशेषज्ञ समूह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा जनजातीय कार्य मंत्रालय की देखरेख में कार्य करेगा।

सरकार एसईसीसी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों की सरकारों से गलतियां दूर करने के लिए पूरे सहयोग का आग्रह करती है। इस बीच, विशेषज्ञ समूह उपलब्ध जाति/जनजाति आधारित आंकड़ों का वर्गीकरण करेगा।

उल्लेखनीय है कि एसईसीसी द्वारा जातिगत आंकड़ों को एकत्र करने के लिए गृह मंत्रालय ने 9 मई, 2011 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से स्वीकृत ले ली थी। इसके बाद 19 मई, 2011 को उस समय की सरकार ने यह फैसला किया था कि एसईसीसी के अंतर्गत राज्य सरकारें इस संबंध में आंकड़े जमा करेंगी, जिसके लिए केन्द्र सरकार वित्तीय और तकनीकी समर्थन देगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय और आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय को केन्द्र सरकार ने नोडल मंत्रालय नियुक्त किया था। भारत के महापंजियक के कार्यालय (आरजीआई) को आदेश दिया गया था कि वह इस संबंध में तकनीकी समर्थन दे और इसके लिए समुचित साजो-सामान मुहैया कराये। इसके बाद यह फैसला किया गया कि जमीनी स्तर पर आंकड़े जमा करने के बाद आरजीआई उन्हें उचित समय आने पर वर्गीकरण के लिए सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह को सौंप देगा। अब जमीनी काम हो चुका है और वर्तमान सरकार ने यह फैसला किया है कि विशेषज्ञ समूह के गठन का उचित समय आ गया है।

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