सहकारी बेंकों के अधिकारियों को जेल

सहकारी बेंकों के अधिकारियों को जेल
 

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अपात्रों को ऋण बाँटने एवं अन्य वित्तीय अनियमितताएँ करने वाले सहकारी बेंकों के अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई कर उन्हें जेल भिजवाये। आज मंत्रालय में सहकारी साख संरचना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला सहकारी बेंकों में कुप्रबंधन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। समीक्षा में बताया गया कि आठ बेंकों- दतिया, मुरैना, ग्वालियर, जबलपुर, राजगढ़, रायसेन, सीधी और गुना सहकारी बेंकों का वित्तीय प्रबंधन सुधारने तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारी बेंकों के कामकाज पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है। उन्होंने ऋण संतुलन के लिये कड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि आर्थिक अनियमितताएँ किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जायेंगी और संबंधित सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि सहकारी बेंकों को ऋण वसूली की स्थिति को भी तत्काल सुधारने की जरूरत है ताकि किसानों को ऋण सुविधा का पूरा लाभ मिल सके। जितनी अच्छी वसूली होगी उतना ज्यादा ऋण लाभ उन्हें मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जिला सहकारी बेंकों की स्थिति सुधारने के लिये सभी संभव उपाय किये जाना चाहिये। इसके लिये एक न्यायसंगत वसूली कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये ताकि वसूली आसानी से हो सके। मुख्यमंत्री ने प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों के कामकाज को पूरी तरह डिजिटल बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इससे कामकाज की समीक्षा करने और अनियमितताओं पर निगरानी रखने में आसानी होगी। उन्होंने कहा कि जिन सहकारी बेंकों के चुनाव हो गये हैं उनके चुने हुए सदस्यों, अध्यक्षों की बैठक बुलाकर उन्हें सुधार उपायों से अवगत करवाना चाहिये।

सहकारिता अधिनियम में होगा संशोधन

बैठक में म.प्र. सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 में प्रस्तावित संशोधनों पर भी चर्चा हुई। प्रस्तावित संशोधनों में सहकारी संस्थाओं में संचालक मंडल के स्थान पर प्रशासक की नियुक्ति तथा अधिकतम एक वर्ष में निर्वाचन संपन्न करवाने, प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्थाओं, जिला सहकारी केन्द्रीय बेंकों में मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की नियुक्ति के लिये संवर्ग बनाये रखने का अधिकार रजिस्ट्रार को देने, सहकारी बेंकों के संचालक मंडल को हटाने के पहले रिजर्व बेंक के परामर्श की अनिवार्यता समाप्त करने, पंजीयक द्वारा आडिटर नियुक्त करने, केवल 500 करोड़ रूपये से ज्यादा का करोबार करने वाली सहकारी संस्थाओं के आडिट विधानसभा में रखे जाने के संशोधन प्रस्तावित हैं।

बैठक में सहकारिता मंत्री श्री गोपाल भार्गव, मुख्य सचिव श्री अंटोनी डिसा, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आर.के. स्वाईं एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

ए.एस.

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