सस्टेनेबल एनेर्जी ट्रांजिशन के लिए राज्य स्तर पर विशेष टास्क फोर्स का गठन ज़रूरी

सस्टेनेबल एनेर्जी ट्रांजिशन के लिए राज्य स्तर पर विशेष टास्क फोर्स का गठन ज़रूरी

लखनऊ (निशांत कुमार) झारखंड में सस्टेनेबल एनेर्जी ट्रांजिशन की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक विशेष टास्क फोर्स या कमीशन का गठन किया जाना ज़रूरी है। इस कमीशन या टास्क फोर्स में सरकार के अलावा निजी क्षेत्र, अकादमिक जगत तथा सिविल सोसाइटी का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि झारखंड में भविष्योन्मुखी अर्थव्यवस्था का रोडमैप तैयार किया जा सके।
दरअसल इस बात पर सहमति बनी झारखंड सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग तथा सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, ‘सस्टेनबल पॉथवे फॉर फ्यूचर रेडी झारखंड’ नाम की कान्फ्रेंस में। इसका मुख्य उद्देश्य ग्लासगो सम्मेलन (2021) के परिप्रेक्ष्य में राज्य में सततशील विकास और पर्यावरण संतुलन से संबंधित भावी नीतियों और एक्शन प्लान पर विचार करना था। वैश्विक जलवायु परिवर्तन से संबंधित ग्लासगो सम्मेलन में केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो एमिशन (शून्य कार्बन उत्सर्जन) का लक्ष्य प्राप्त कर लेगा, इसी सन्दर्भ में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों, कॉर्पोरेट कंपनियों एवं शैक्षणिक संस्थानों के उच्च पदाधिकारियों ने झारखंड के लिए नए अवसरों की पहचान की।
कांफ्रेंस के व्यापक उद्देश्य और संदर्भ के बारे में झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष श्री एके रस्तोगी (आईएफएस) ने कहा कि “ यह कांफ्रेंस निश्चय ही हम सबके के लिए एक निर्णायक अवसर है, जब झारखंड देश में सबसे पहले फ्यूचर रेडी इकोनॉमी के लिए नीतिगत कार्यक्रम निर्धारित करने की दिशा में अग्रणी हो रहा है। हमें समावेशी विकास के लिए एक नया मॉडल बनाने और सततशील दृष्टिकोण की जरूरत है, जिसके केन्द्र में जनहित और पर्यावरण संरक्षण हो।”
श्री रस्तोगी ने आगे बताया कि ‘दुनिया भर में जीवाश्म ईंधन पर आधारित वर्तमान विकास मॉडल से नए बदलाव पर ठोस पहल हो रही है। हमें प्रमुख क्षेत्रों जैसे कोयला, स्टील, सीमेंट आदि में सततशील मॉडल्स और स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों को अधिकाधिक प्रोत्साहित करना चाहिए। राज्य में सस्टेनेबल ट्रांज़िशन की प्रक्रिया को गति प्रदान करने में वन एवं पर्यावरण विभाग बेहद सकारात्मक भूमिका निभाएगा।’
समूचे विश्व में हुए शोध-अध्ययन बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के सततशील विकास लक्ष्यों को हासिल करने में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव बड़ी चुनौतियां हैं। शून्य उत्सर्जन या कार्बन तटस्थता का लक्ष्य समाज और पर्यावरण की बेहतरी के लिए बेहद जरूरी है, जहां एनर्जी ट्रांजिशन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ऐसे परिदृश्य में राज्य में तकनीकी प्रगति, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन को संभव बनाने के लिए दूरदर्शी योजनाओं का निर्माण आवश्यक है।
इस अवसर पर सीड के सीईओ श्री रमापति कुमार ने कहा कि ‘वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा ली गयी यह पहल वाकई सराहनीय है और समय की मांग भी है। दरअसल राज्य में भविष्योन्मुखी अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स या कमीशन के गठन की आवश्यकता है। यह टास्क फोर्स राज्य में सस्टेनेबल ट्रांजिशन की संभावनाओं एवं प्रभावों से जुड़ा शोध-अध्ययन, वर्तमान नीतियों एवं कार्यक्रमों की समीक्षा और सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ व्यापक संवाद-परिचर्चा के जरिए एक विजनरी रोडमैप तैयार करे, जो भावी नीति-निर्धारण प्रक्रिया में सहायक साबित होगा।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड के चेयरमैन सह मैनेजिंग डायरेक्टर श्री पीएम प्रसाद ने कहा कि ‘कोयला उद्योग जगत राज्य में सस्टेनेबल ट्रांज़िशन की प्रक्रिया का सर्मथन करता है और नेट जीरो एमिशन की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भारत सरकार के दिशानिर्देशों एवं कार्यकर्मों का अनुपालन करेगा।’
वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए श्री संजीव पॉल, वाइस प्रेसिडेंट (सेफ्टी, हेल्थ एंड सस्टनैबलिटी), टाटा स्टील ने कहा कि ‘टाटा समूह राज्य की अर्थव्यवस्था, समाज और सार्वजनिक हित से संबंधित सस्टेनेबल ट्रांजिशन की प्रक्रिया को मदद प्रदान करेगा, साथ ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इससे जुड़े कदमों को सहायता देगा।’
कांफ्रेंस के पहले सत्र ‘झारखंड में एनवायरनमेंट, सोशल और गवर्नेंस की चुनौतियां’ में विस्तार से चर्चा हुई कि कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन से कार्बन उत्सर्जन के समाधान के लिए क्या नीतिगत पहल लिए जा सकते हैं। दूसरे सत्र ‘डेसर्टीफिकेशन (मरुस्थलीकरण) और प्राकृतिक संसाधनों की पुनर्स्थापना’ के लिए जरूरी एक्शन पॉइंट को तलाशने की कोशिश हुई। तीसरे सत्र ‘कोयला उत्पादन परिदृश्य और एनर्जी सिक्युरिटी’ में खनिज संसाधनों की विलुप्ति के क्रम में अक्षय ऊर्जा की संभावनाओं एवं नई अर्थव्यवस्था के रूपरेखा पर चर्चा की गयी। चौथे सत्र ‘अर्थव्यवस्था का विविधीकरण: चुनौतियां, अवसर और भावी राह’ में अर्थव्यवस्था में उभरते क्षेत्रों की पहचान, वित्त पोषण एवं निवेश, स्थानीय रोजगार की संभावनाओं एवं इससे जुड़े कौशल विकास की जरूरत आदि विषयों पर विचार किया गया।
इस कांफ्रेंस में राज्य सरकार के विभिन्न विभागों एवं एजेंसियों (ऊर्जा, खनन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जेरेडा) के अलावा प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों – सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, दामोदर वैली कॉरपोरेशन, सेन्ट्रल माइन प्लानिंग और डिजाइन इंस्टीट्यूट तथा नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं निदेशक स्तर के पदाधिकारी शामिल हुए। साथ ही औद्योगिक जगत के प्रमुख कॉरपोरेट कंपनियों – टाटा स्टील, टाटा पॉवर, हिन्डाल्को, जिन्दल स्टील एंड पॉवर, अडानी इंडस्ट्री तथा प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों (सीएसआईआर-सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइन्स एंड फ्यूल रिसर्च, इंस्टीच्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी, आईआईटी-आईएसएम-धनबाद, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ झारखंड, रांची यूनिवर्सिटी, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी, तथा जेवियर इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल सर्विस) के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही।
कांफ्रेंस में निष्कर्ष के रूप में कुछ विचारणीय बिंदु उभर कर सामने आये जैसे, भावी अर्थव्यवस्था की राह में आनेवाले प्रमुख अवरोधों और सहायक कारकों की पहचान करना, सभी पक्षों को साथ लेकर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक योजनाएं बनाना, कन्वर्जेन्स मॉडल के साथ सभी विभागों एवं एजेंसियों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना आदि, ताकि चुनौतियों में भावी अवसरों को तलाश करते हुए झारखंड को देश का एक अग्रणी राज्य बनाया जा सके।

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