- June 11, 2020
सर्वोच्च न्यायालय — आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं से दुखी हूँ —उद्योग मंत्री श्री श्याम रजक
पटना —- बिहार के उद्योग मंत्री श्री श्याम रजक नें वक्तव्य जारी कर कहा कि आज सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। यह सुनकर मेरे दिल को बहुत बड़ा आघात व आहत हुआ हूँ।
भारत का संविधान एक लिखित संविधान है जिसमें भाग-3 के अनुच्छेद 12 से 31 तक मौलिक अधिकार की चर्चा की गई है। जिसमें अनुच्छेद 16(4 क) में अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है। एवं 16(4 ख) में बैकलॉग रिक्तियों को भरने की चर्चा की गई है। ऐसे में अजीब बिडम्बना है कि जिम्मेवार पद पर पदासीन लोगों द्वारा इस तरह की टिप्पणी व निर्णय दी जा रही है।
श्री रजक नें कहा कि प्रश्न आरक्षण का नहीं है, प्रश्न यह है कि बाबा साहेब अंबेडकर व देश के स्वाधीनता आंदोलन के महापुरुषों द्वारा संविधान प्रदत अधिकारों का होना व उसे जारी रखना यह आवश्यक है या कुछ तथाकथित मनुवादी बुद्धिजीवियों की सोच के अनुरूप नए संविधान का निर्माण होना चाहिए।
बाबा साहेब व स्वतंत्रता आंदोलन के महापुरुषों द्वारा प्रदत्त सोच के आधार पर भारत की न्यायपालिका, कार्यपालिका व देश की संसदीय कार्यप्रणाली चले। या कुत्सित मानसिकता वाले लोगों की सोच के अनुसार यह व्यवस्था चले।
अब यह दो विचारधाराओं का मतभेद है। इसलिए भारत के नागरिकों विशेषकर देश के युवा, छात्र, दबे-कुचलों, वंचितों,समाज के हर वर्ग कर लोगों को यह विचार करना होगा।
अब समय निर्णय का आ गया है कि पद, धन, सत्ता, लोलुपता यह बचाना आवश्यक है या हमारे महापुरुषों के सपनों के भारत को बचाये रखना। तथा एकजुट होकर आत्ममंथन करने की आवश्यकता है।
हम सभी से आग्रह करते हैं कि स्वयं अपने-अपने स्तर पर आत्ममंथन करें और निर्णय लें। ताकि देश बचा रहेगा या पुनः कुत्सित मानसिकता की सोच से समाज विखंडित हो जाएगा। देश सभी वर्गों का है। देश तभी बचेगा जब दिल टुटने से बचाया जा सके।