- December 24, 2016
सर्वाेच्च प्राथमिकता है सुरक्षित मातृत्व- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
जयपुर, 24 दिसम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि प्रदेश में मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए हरसंभव प्रयास किये जायेंगे। उन्हाेंने कहा कि सुरक्षित मातृत्व प्रत्येक महिला का अधिकार है एवं इसे सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुरक्षित मातृत्व को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जायेगी।
उन्होेंने कहा कि शिशु मृत्युदर एवं मातृ मृत्युदर से विभिन्न स्वास्थ्य मापदंड़ों में प्रदेश को राष्ट्ीय औसत से बेहतर लाने का संकल्प लेकर कार्य करने की आवश्यकता है। श्री सराफ शनिवार को अपरान्ह् स्थानीय होटल होली-डे-इन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुरक्षित मातृत्व के संबंध में केन्द्र द्वारा दिये गये नवीनतम दिशा-निर्देशों के संबंध में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।
युनिसेफ, युएनएफपीए एवं जपाइगो की सक्रिय सहभागिता से आयोजित यह तीन दिवसीय कार्यशाला 22 दिसम्बर को प्रारंभ हुयी थी। समापन दिन के पहले सत्र को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री बंशीधर खंडेला ने सम्बोधित किया। चिकित्सा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व सुरक्षा प्रदान कर सुरक्षित मातृत्व के साथ ही मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर कम करने के लिए अनेक अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में औसतन 19 लाख 60 हजार प्रसवों में से लगभग 2 लाख प्रसव जटिल संभावनाओं वाले होते हैं एवं इनका सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने में कुशल मंगल कार्यक्रम, मातृ मृत्यु की सामाजिक समीक्षा, सुरक्षित मातृत्व दिवस एवं प्रसूति नियोजन दिवस जैसे अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं। श्री सराफ ने गर्भवती महिलाओं में प्रसव जटिलता का चिह्निकरण, रेफरल, टे्रकिंग एवं फोलोअप कर संस्थागत प्रसव करवाया जा रहा है।
उन्होंने प्रदेश में वर्तमान संस्थागत प्रसव 84 प्रतिशत को मातृृ स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में अच्छा संकेत बताते हुए इसे शत् प्रतिशत करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्हाेंने नवीनतम तथ्यों के अनुसार शिशु मृत्युदर में आई 5 अंकों की कमी को रेखांकित करते हुए मातृ मृत्युदर में कमी आने का विश्वास व्यक्त किया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री श्री बंशीधर खंडेला ने सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रदेशभर से संबंधित अधिकारियों को बुलाकर नवीनतम दिशा-निर्देशों तथा तकनीक की जानकारी देने की सराहना की।
उन्होंने कहा कि आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने में चिकित्सकाें के साथ ही नसिर्ंग कर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने एएनएम तथा जीएनएम प्रशिक्षण केन्द्रों पर संसाधनों को सुदृढ़ करने के साथ ही प्रशिक्षण कार्य को प्रभावी बनाने पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत् इस वर्ष 466 आयुष चिकित्सकों की मोबाइल टीमों द्वारा लगभग 37 लाख बच्चों की स्कूलों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जाकर स्क्रीनिंग कर बीमार पाये गये बच्चों के उपचार की व्यवस्था की गयी है।
मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्री नवीन जैन ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व सेवाओं को ओैर अधिक बेहतर बनाने के उद्देेश्य से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार नवीनतम पांच गतिविधियों को शामिल किया जा रहा है। इन गतिविधियों के अंतर्गत अब गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कृमि नाशक गोली देकर खून की कमी का रोकथाम सुनिश्चित किया जायेगा।
गर्भावस्था एवं स्तनपान के दौरान कैल्शियम, गर्भावस्था के दौरान हाई पोथायरोईडिज्म कीे जांच व उपचार एवं गर्भावस्था में मधुमेह की जांच व प्रबन्धन की पुख्ता व्यवस्था की जायेगी। इसके साथ ही समुदाय स्तर पर प्रसव पश्चात् अत्यधिक रक्तस्त्राव की रोकथाम की भी व्यवस्था की जायेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन गतिविधियों के शुभारंभ से प्रदेश में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में और सुधार होगा।
निदेशक आरसीएच डॉ. वी.के.माथुर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में सभी संयुक्त निदेशक, मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिला चिकित्सालयों के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी व स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक एवं नर्सिंग ट्रेनिंग सेन्टर के प्राचार्य सहित 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है।