• December 21, 2015

सरकार के दो साल : गूंजा पानी का पैगाम, निखरा जल भण्डारों का वैभव – डॉ. दीपक आचार्य (उप निदेशक)

सरकार के दो साल  : गूंजा पानी का पैगाम, निखरा जल भण्डारों का वैभव – डॉ. दीपक आचार्य (उप निदेशक)

जयपुुर-   पर्वतीय अंचल उदयपुर जिले में हरियाली से लक-दक वन वैभव, नदी-घाटियों, झीलों, तालाबों और परंपरागत जलाशयों से जहाँ पानी और हरीतिमा का पैगाम गूंजता रहा है वहीं अब सिंचाई सुविधाओं के विस्तार ने आधुनिक जल तीर्थों की सहायता से खेती-बाड़ी, पर्यटन और वन विकास को भी नए आयाम दिए हैं।
उदयपुर जिले में अब सिंचाई सुविधाओं के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और जल संसाधन विभाग सहित विभिन्न विभागों एवं पंचायतीराज ने मिलकर जल भण्डारों में जल वैभव का दिग्दर्शन कराने के अनथक प्रयास किए हैं।dipak
सिंचाई योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से जिले में सिंचाई सुविधाओं के विकास एवं विस्तार का दौर निरन्तर जारी है। बांधों और जलाशयों के कामों से भूजल में भी अभिवृद्घि होने लगी है।
वर्तमान राज्य सरकार के पूर्ण हुए दो वर्षों में जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा इस दिशा में व्यापक प्रयास किए जा गए हैं। जिले में 353.33 करोड़ रुपए की लागत से देवास जल अपवर्तन परियोजना (द्वितीय चरण) का हाल ही लोकार्पण हुआ है। इससे उदयपुर की झीलों को वर्ष पर्यन्त भरा रखने एवं पेयजल के चिरस्थायी हल का सपना साकार हुआ है। हाल ही बना आकोदड़ा बाँध अच्छी वर्षा से पूर्ण भराव क्षमता तक पहुंच गया, वहीं प्रति वर्ष बेकार बहकर जाने वाले जल के संरक्षण से भूजल स्तर में भी बढ़ोतरी की प्रचुर संभावना बनी है। देवास तृतीय एवं चतुर्थ चरण के लिए अनुमोदित हो चुकी अंतिम वृहद परियोजना रिपोर्ट वित्तीय स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है। इस कार्य पर अब तक 136.22 लाख रुपये व्यय किए जा चुके हैं।
जिले की मामेर सिंचाई परियोजना अंतर्गत प्रस्तावित वन भूमि प्रत्यावर्तन के लिए 1528.80 लाख रुपये केम्प हेड में जमा कराए जा चुके है। इससे 336 हैक्टेयर सिंचित क्षेत्र से 1786 जनजाति कृषक परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। साबरमती योजना में बाँध निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस योजनान्तर्गत अब तक 1637.05 लाख का व्यय हो चुका है। इस योजना से 950 हैक्टेयर सिंचित क्षेत्र से 649 कृषकों को लाभ मिलेगा। वहीं साबरमती द्वितीय परियोजनान्तर्गत बांध निर्माण कार्य प्रगति पर है।
जिले के कोटड़ा जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में ही 152.70 हैक्टेयर क्षेत्र के लिए सिंचाई की डबायणा परियोजना पर कुल 454.74 लाख का व्यय कर बाँध निर्माण कार्य पूरा किया गया जबकि नहर निर्माण कार्य प्रगति पर है। कोटड़ा क्षेत्र के लिए 276.41 हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई करने वाली रोहिणी सिंचाई परियोजना के अंतर्गत बाँध निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। 635.75 लाख रुपये लागत की इस योजना से 402 जनजाति परिवारों को लाभ मिलेगा।
इसके अतिरिक्त घोड़ाखोज सिंचाई परियोजना पर 1658.35 लाख रुपये व्यय कर बाँध का कार्य पूरा कर लिया गया है जबकि नहर निर्माण के लिए निविदाएं प्रक्रियाधीन हैं। खेरवाड़ा क्षेत्र के 5 ग्रामों के 322 कृषक परिवारों को सिंचाई सुविधा से लाभान्वित किया जा सकेगा। सराड़ा क्षेत्र में 4384 लाख रुपये लागत का देवेन्द्र एनीकट कार्य प्रगति पर है। इस कार्य पर अब तक 694.61 लाख का व्यय हो चुका है। जल संसाधन विभाग उदयपुर में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए बहुद्देशीय प्रयासों में जुटा हुआ है।
उदयपुर जिले में सिंचाई सुविधाओं के व्यापक विस्तार के जरिये खेत-खलिहानों को समृद्घ बनाने और किसानों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को संबल प्राप्त हुआ है। सिंचाई के साथ-साथ जनता और मवेशियों को पीने की पानी की सुविधा भी मिली है।

Related post

हिमालय की तलहटी में  6.8 तीव्रता का भूकंप,95 लोग मारे गए,नेपाल, भूटान और भारत में भी इमारतों को हिला दिया

हिमालय की तलहटी में  6.8 तीव्रता का भूकंप,95 लोग मारे गए,नेपाल, भूटान और भारत में भी…

बीजिंग/काठमांडू 7 जनवरी (रायटर) – चीनी अधिकारियों ने कहा  तिब्बत के सबसे पवित्र शहरों में से…
1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग याचिका पर विचार करने पर सहमति : सर्वोच्च न्यायालय

1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग याचिका पर विचार करने पर सहमति…

सर्वोच्च न्यायालय ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई…
यू पीआई के माध्यम से लेनदेन दिसंबर 2024 में रिकॉर्ड 16.73 बिलियन

यू पीआई के माध्यम से लेनदेन दिसंबर 2024 में रिकॉर्ड 16.73 बिलियन

नई दिल्ली: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लोकप्रिय यूनिफाइड पेमेंट्स…

Leave a Reply