• December 18, 2014

सरकार की प्रथम वर्षगांठ – पर्यावरण के लिये प्रतिबद्घ राज्य सरकार -समीर शर्मा

सरकार की प्रथम वर्षगांठ – पर्यावरण  के लिये प्रतिबद्घ राज्य सरकार -समीर शर्मा

जयपुर –  मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में राजस्थान सरकार ने प्रदेश के पर्यावरण को शुद्घ रखने की अपनी प्रतिबद्घता को दर्शा दिया है। राजस्थान सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए गम्भीर है और बढ़ते प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए सजग। वसुंधरा सरकार ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई उल्लेखनीय फैसले किए और उन्हें जमीनी स्तर पर लागू भी करवाया है। जल व वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने को लेकर किए गए अपने निर्णयों से सरकार ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। राज्य सरकार की नीतियों और निर्णयों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने जनता तक पहुंचाया तथा जनता को भी पर्यावरण को लेकर अपने दायित्वों को समझने के प्रति जागरूक किया।

पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती

राजस्थान में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बहुतायत में होता है। जल, वायु एवं अन्य तरह के प्रदूषण मुंह बाए खड़े हैं और पेड़ कटाई की समस्या भी किसी से छिपी हुई नहीं है। राजस्थान में मरुस्थल, पानी की कमी, कम वर्षा आदि के चलते पर्यावरण के संतुलन को बैठाना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन सरकार और आमजन यदि आपस में एक दूसरे का सहयोग करें, तो यह कार्य कतई मुश्किल नहीं है। राजस्थान सरकार अधिक से अधिक पेड़ लगाने और प्रदूषण को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। ग्लोबल वार्मिंग की बढ़ती समस्या का सबसे अधिक प्रभाव के क्षेत्रों में राजस्थान का नाम भी शामिल है और इसके कारण यहां गर्मी और तेज पडऩे लगेगी। इसके बचाव का एक मात्र प्रभावी और कारगर उपाय पर्यावरण संरक्षण ही है।

मानकों पर काम करवाने को मंडल मुस्तैद

राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने पर्यावरण, जल व वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट, नगरीय ठोस अपशिष्ट, परिसंकटमय अपशिष्ट आदि को लेकर बने नियम व कानूनों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया। मंडल ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों, परियोजनाओं एवं प्रसंस्करणों, खनन इकाइयों को निर्धारित मानकों के आधार पर ही संचालित किया जाना सुुनिश्चित किया। यही नहीं, मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। पर्यावरण संरक्षण के लिए मंडल कई दिशाओं में काम कर रहा है और उसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं।

अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सुविधाओं का विकास

राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से प्रदूषण रोकने के लिए राज्य के विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले परिसंकटमय अपशिष्ट के प्रबंधन, उपचार एवं निष्पादन के लिए राज्य में दो सामूहिक सुविधाओं का विकास किया गया। इनमें से एक बाड़मेर जिले के बालोतरा स्थित खेड़ में तथा दूसरी, उदयपुर जिले के मावली स्थित गुड़ली गांव में स्थित हैं। साथ ही, उच्च कैलोरी क्षमतावाले परिसंकटमय अपशिष्ट के निस्तारण के तहत अलवर जिले के बहरोड़ में कन्टिनेंटल पैट्रोलियम प्रा. लि. में स्थित भट्टी को सामूहिक भस्मीकरण के लिए प्राधिकृत किया गया है। इसके अलावा राज्य के वृहद सीमेंट उद्योगों से निकलनेवाले अधिक परिसंकटमय अपशिष्ट के निस्तारण को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

11 सामूहिक उपचार सुविधा स्थापित, तीन नई शीघ्र

जैव चिकित्सा अपशिष्ट के प्रावधानों के अनुसार चिह्वित हैल्थ केयर इस्टेब्लिशमेंट्स (अस्पताल, डिस्पेंसरी, नर्सिंग होम्स, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संबंधी प्रयोगशालाएं व जांच केन्द्र) से निकलने वाले अपशिष्ट के उपचार एवं निष्पादन के लिए राज्य में 11 सामूहिक उपचार, भण्डारण एवं व्ययन सुविधाएं विकसित की जा चुकी हैं। इनमें से दो सुविधाएं जयपुर में तथा एक-एक सुविधा उदयपुर, जोधपुर, अजमेर, हनुमानगढ़, बीकानेर, अलवर, सवाईमाधोपुर, झालावाड़ एवं कोटा में कार्यरत हैं। सीकर, जालोर एवं उदयपुर जिले में वर्तमान स्थापित सुविधा के अतिरिक्त एक-एक नई सामूहिक उपचार, भण्डारण एवं व्ययन सुविधा शीघ्र विकसित की जाएंगी। ईंट भट्टों से होने वाले वायु प्रदूषण को लेकर भी सरकार चिंतित है। अब बोर्ड अपने तकनीकी अधिकारियों को वाराणसी स्थित ईंट-भट्टों द्वारा अपनाई जा रही प्रदूषण नियंत्रण की तकनीक का अध्ययन करने के लिए वहां भेजेगा।

41 मल-जल उपचार संयंत्र लगेंगे

मण्डल की ओर से मल-जल उपचार संयंत्रों को भी स्थापित व संचालित किया जा रहा है। राज्य मण्डल के प्रयासों से वर्तमान में 16 मल-जल उपचार संयंत्र कार्यरत हैं तथा राज्य के विभिन्न शहरों में 12 मल-जल उपचार संयंत्र निर्माणाधीन हैं। साथ ही, विभिन्न शहरों में 41 मल-जल उपचार संयंत्र प्रस्तावित हैं। मण्डल के प्रयासों के चलते लघु उद्योगों से निवृत प्रदूषित उच्छिष्ट के उपचार के लिए राज्य में 11 संयुक्त उच्छिष्ट उपचार संयंत्र कार्यरत हैं। इनमें से चार संयंत्र पाली में दो बालोतरा में तथा एक-एक संयंत्र जोधपुर, भिवाड़ी, जलोल, बिठुजा एवं मानपुरा माचेड़ी में कार्यरत हैं। पाली में दो नए संयुक्त उच्छिष्ट उपचार संयंत्रों (क्षमता 12 एमएलडी प्रत्येक संयंत्र) के निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा बालोतरा में एक अतिरिक्त संयुक्त उच्छिष्ट उपचार संयंत्र (क्षमता 18 एमएलडी) का कार्य प्रगति पर चल रहा है। बालोतरा (क्षमता 12 एमएलडी) एवं सांगानेर में (क्षमता 12.30 एमएलडी) एक-एक संयुक्त उच्छिष्ट उपचार एवं संयंत्र प्रस्तावित हैं।

प्लास्टिक थैलियों की खिलाफत जारी

राजस्थान ही नहीं, विश्व में प्लास्टिक थैलियों से जमीन को काफी खतरा है। गोवंश को भी इससे काफी नुकसान पहुंचा है। राजस्थान सरकार के पर्यावरण विभाग ने प्रदेश में 1 अगस्त 2010 से प्लास्टिक (पालिथीन) कैरी बैग्स के उपयोग, विनिर्माण, भण्डारण, आयात, विक्रय एवं परिवहन पर रोक लगाई हुई है। प्लास्टिक कैरी बैग्स के स्थान पर कपड़े, जूट की थैलियों के उपयोग को बढ़ावा देने के तहत राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल व पर्यावरण विभाग ने जन-जागृति के लिए समय-समय पर प्रचार किया है। बोर्ड ने अनेक बार आमजन को प्लास्टिक कैरी बैग्स के घातक परिणामों से अवगत करवाया है, जिससे समाज में ऐसे बैग्स के प्रति आकर्षण भी कम हुआ है।

समय के साथ मिलाए कदम

समय के साथ चलने के लिए सम्मति व ऑथोराइजेशन के आवेदन पत्रों को ऑनलाइन जमा कराने व ट्रेकिंग की सुविधा शुरू करने के लिए मण्डल द्वारा अपने एमआईएस सॉफ्टवेयर में भी आवश्यक संशोधन किया जा रहा है। इस सुविधा के लिए मण्डल व राजकोम्प इनफो सर्विस लिमिटेड द्वारा 16 सितम्बर 2014 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस सुविधा में रुपए 2.095 करोड़ की लागत तथा 8 महीने का समय लगने की सम्भावना है।

शिकायतें निपटाने को तत्पर

विभाग से संबंधित शिकायतें मिलने पर मंडल की ओर से तत्काल प्रभाव से उसके समाधान के प्रयास भी किए जाते हैं। बांसवाड़ा के घाटोल से बीएमडी प्रोग्राम मोरडी द्वारा प्रदूषित जल के कारण  कृषि भूमि के खराब होने की शिकायत मिली थी। सत्यापन के लिए मंडल मुख्यालय की ओर से अगस्त 2014 को एक टीम रवाना कर दी गई थी, जिसने उद्योग परिसर व आस-पास के क्षेत्र का सम्पूर्ण निरीक्षण किया। उद्योग में पाई गईं कमियों के चलते जल अधिनियम 1974 एवं वायु अधिनियम 1981 के तहत उद्योग बंद करने के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। उद्योग ने अपना जवाब मंडल को भेज दिया है।

उद्योग को निर्देश दिए गए हैं कि आर.ओ. प्लांट से जनित आर.ओ. रिजेक्ट के निस्तारण के लिए मल्टी इफेक्ट इव पोरेटर सिस्टम एवं उद्योग से जनित घरेलू उच्छिष्ठ के उपचार एवं निस्तारण के लिए सीवेज उपचार संयंत्र की स्थापना के तहत समयबद्घ कार्ययोजना बैंक गारंटी सहित मण्डल को प्रेषित की जाए। इधर, मंडल ने हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के सितम्बर 2014 में निरीक्षण में कमियां पाई थीं। निरीक्षण के आधार पर उद्योग को वर्षा के समय संचालन परिस्थितियों एवं प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था के सुधार के लिए जल एवं वायु अधिनियम के तहत जारी संचालन सम्मति निरस्त करने संंबंधी कारण बताओ नोटिस जारी किया। नोटिस का जवाब मंडल को मिला है, जिसका सत्यापन किया जा रहा है।

जन-जागरण भी है अहम

पर्यावरण के प्रति आमजन को जागरूक करने की जिम्मेदारी भी मण्डल बखूबी निभा रहा है। ‘रन फोर एनवायरमेंट एवं साइकिल रैली’ के आयोजकों में वन एवं पर्यावरण विभाग, निगर निगम एवं जयपुर विकास प्राधिकरण के साथ राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल भी शामिल होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस-2014 के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम के आयोजन के लिए मंडल ने सभी जिलों के जिला पर्यावरण समिति के सदस्य सचिवों को 50 हजार रुपए की राशि जारी की। साथ ही, रवीन्द्र मंच पर ‘खेजड़ी की बेटी’ नाटक का मंचन का आयोजन हुआ तथा मंडल के समिति हॉल में ‘वेस्ट टायर पाईरोलिसिस पॉल्युशन कंट्रोल टेक्नोलोजीज एंड इंवायरमेंटल गवर्नेंस’ विषयक कार्यशाला आयोजित की गई।

दुर्लभ-संकटग्रस्त पौधे होंगे तैयार

पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में राज्य जैव विविधता बोर्ड भी पीछे नहीं है। बोर्ड ने इसी वर्ष पौधों की दुर्लभ-संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए 7.5 लाख रुपए की राशि आवंटित की है। वन विभाग के माध्यम से किए जानेवाले इस कार्य में दुर्लभ-संकटग्रस्त प्रजातियों के का संरक्षण किया जाएगा। इससे पहले भी बोर्ड ने वन विभाग के जरिए पौधों की एक लाख दुर्लभ व संकटग्रस्त प्रजातियों का पौधारोपण करवाया है। वृक्ष एवं पौध संरक्षण का संदेश देने एवं जनता को जागरूक करने के लिए बोर्ड ने जैव विविधता दिवस सभी जिलों में मनाया। बोर्ड ने छह जैव विविधता प्रबंध समिति का गठन एवं पंजीकरण किया है। बोर्ड द्वारा जिला स्तरीय तकनीकी सहायता समूह का गठन जिला भरतपुर, बांसवाड़ा एवं सिरोही में किया गया है।

बोर्ड ने जयपुर में ‘बायोडायवर्सि’ हारमोनाईजिंग कंजरवेशन विद लाइफ एंड लैण्ड स्केप ऑफ ऐरिड एंड सेमीऐरिड ऐरियाज- विषयक राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजन किया। साथ ही, जिला स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन सीकर, प्रतापगढ़, पाली एवं सिरोही जिला मुख्यालयों पर किया गया। बोर्ड ने जैव विविधता का ज्ञान आमजन तक पहुंचाने के लिए हिन्दी में भी कई पुस्तकों का प्रकाशन किया। जैव विविधता प्रबंध समितियों के गठन एवं संचालन के लिए दिशा-निर्देश पर एक पुस्तक, लोक जैव विविधता पंचिका तैयार करने के लिए दिशा निर्देश पर एक पुस्तक, जैव विविधता विरासतीय स्थलों के चयन, अधिसूचना जारी करने एवं प्रबंधन करने के लिए दिशा निर्देश पर एक पुस्तक तथा जैव विविधता अधिनियम 2002, राजस्थान जैव विविधता नियम 2010 पर एक पुस्तक का हिन्दी भाषा में प्रकाशन किया गया है।

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