• January 31, 2018

समितियों में अनियमितता एवं गबन पर रोक

समितियों में अनियमितता एवं गबन पर रोक

जयपुर————– सहकारिता मंत्री श्री अजय सिंह किलक ने बुधवार को बताया कि राज्य की सहकारी समितियों में अनियमितताओं की संभावनाओं को पूर्णतया दूर करने के लिए सहकारी समितियों का अब वर्ष में एक बार निरीक्षण किया जाएगा।

निरीक्षण के दौरान समिति की अवधिपार ऋण, बकाया ऋण, साधारण सभा, ऑडिट एवं रिकार्ड की स्थिति तथा समिति के कार्य संचालन को देखा जाएगा।

उन्होंने बताया कि कई बार ऎसी शिकायतें प्राप्त होती हैं जिसमें किसी सहकारी संस्था या समिति में अनियमितता, दुरूपयोग या गबन के मामले प्रकाश में लाए जाते हैं। ऎसी संस्थाओं की जांच सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 की धारा 55 के तहत करवाई जाती है।

श्री किलक ने बताया कि संस्थाओं में ऎसी घटनाएं नहीं हों इसको रोकने के लिए पूर्व में ही संस्थाओं के नियमित निरीक्षण करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

सहकारिता मंत्री ने बताया कि इस निर्णय से सहकारी संस्थाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश की लगभग 10 हजार सहकारी संस्थाएं निरीक्षण के दायरे में आएंगी। यह निर्णय सहकारी संस्थाओं की मजबूती की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारिता श्री अभय कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि सभी कार्यशील सहकारी संस्थाओं का वर्ष में एक बार निरीक्षण किया जाए और उनके कार्य में जो कमियां पाई जाए उनमें समय रहते सुधार किया जा सके। इसके लिए यह प्रक्रिया प्रारम्भ की गई है।

उन्होंने बताया कि इस कार्य को अविलम्ब प्रारम्भ करने के लिए खण्डीय अधिकारियों एवं संबंधित उप रजिस्ट्रारों को उनके अध्यधीन सहकारी समितियों के निरीक्षण का कार्यक्रम तैयार करने एवं वित्तीय वर्ष समाप्ति तक उनका निरीक्षण पूर्ण करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

श्री कुमार ने बताया कि संबंधित अधिकारियों को निरीक्षण के लिए न्यूनतम लक्ष्य का आवंटन कर दिए हैं जिसमें खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार को दो, जिला उप रजिस्ट्रार को दो एवं निरीक्षक कार्यकारी को चार सहकारी संस्थाओं का निरीक्षण प्रतिमाह करना होगा।

उन्होंने बताया कि निरीक्षणकर्ता अपनी रिपोर्ट तत्काल संबंधित अतिरिक्त या उप रजिस्ट्रार को भेजेंगे।

अतिरिक्त या उप रजिस्ट्रार निरीक्षण पत्रों के आधार पर समिति में अनियमितता या गबन का प्रकरण पाए जाने पर अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी।

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