- October 11, 2016
समाजवाद का संग्रहालय-सपा सरकार की जातिवादी नीति : सुश्री मायावती
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर, 2016: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने प्रख्यात स्वतन्त्रता सेनानी ‘लोकनायक‘ जयप्रकाश नारायण की जयन्ती पर देशवासियों व उनके अनुयाइयों को बधाई देते हुये कहा कि समाजवाद को परिवारवाद के संकुचित व स्वार्थ में बदल देने वाली प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) व उसकी सरकार को आत्मचिन्तन करने की ज़रूरत है कि वे केवल नाम के समाजवादी तो नहीं रह गये हैं?
वैसे तो आम धारणा यही है कि सपा का चाल, चरित्र, चेहरा व कर्म कहीं से भी कभी भी रत्तीभर भी ’’समाजवादी’’ नहीं रहा है और सपा की सोच तो बिल्कुल भी समाजवादी ना होकर केवल जातिवादी, परिवारवादी व विद्वेषपूर्ण है, जो कि श्री राममनोहर लोहिया, श्री चन्द्रशेखर, श्री जनेश्वर मिश्र व श्री जयप्रकाश नारायण आदि के जीवन चरित्र व उच्च विचारों से थोड़ी भी मेल नहीं खाती है, बल्कि उनके विरूद्ध हर स्तर पर टकराती हुई साफ तौर पर नज़र आती है।
श्री जयप्रकाश नारयण के जीवन संघर्ष के लिये उनका काफी आदर-सम्मान है, पर उनके नाम पर ’’समाजवाद का संग्रहालय’’ आदि बनाकर अपनी परिवारिक राजनीति को चमकाने का व साथ ही लोगों को वोट की खातिर भ्रमित करके उन्हें वरगलाने का प्रयास क़तई उचित नहीं माना जा सकता है और खासकर इन मामलों में दोहरा मापदण्ड अपनाकर बी.एस.पी. सरकार द्वारा दलितों व अन्य पिछड़ों के महान संतो, गुरूओं व महापुरूषों के सम्मान में निर्मित भव्य स्थलों, स्मारकों व पार्कों आदि को सरकारी धन की बर्बादी बताकर इनकी आलोचना व अनदेखी करना और भी ज़्यादा ग़ैर-समाजवादी चरित्र वाला ग़लत काम है, परन्तु यही सपा का नया समाजवाद है, जिसमें जनहित व जनकल्याण कहीं भी निहित नहीं है।
लखनऊ के डा. अम्बेडकर ग्रीन गार्डेन का नाम बदलकर जनेश्वर मिश्र पार्क करना, अपने गृह जनपद इटावा में ‘‘लायन सफारी‘‘ बनाना व वहाँ पारिवारिक जश्नों में सरकारी धन का जबर्दस्त दुरुपयोग करना तथा जातिवादी मानसिकता व द्वेषपूर्ण नीति अपनाकर बी.एस.पी. सरकार द्वारा स्थापित नये ज़िलों, विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेजों आदि का नाम बदलना यह सपा का एक ऐसा नया समाजवाद है जो वक्त गुजरने के साथ ही समाप्त हो जायेगा, यह बात सम्मानित लोकनायक जयप्रकाश जी की जयन्ती पर प्रदेश के मुख्यमंत्री को अवश्य ही याद रखनी चाहिये।
दशहरे के मौके पर नागपुर में आर.एस.एस. के प्रमुख श्री मोहन भगवत द्वारा दिये गये भाषण में ‘‘गौरक्षकों‘‘ की प्रशंसा करने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने कहा कि इन गौरक्षकों द्वारा आपराधिक, असमाजिक व जातिवादी हिंसक कृत्यों की अनेकों दर्दनाक घटनाओं के सामने आने के बावजूद, जनभावना के विरूद्ध जाकर इन आपराधिक तत्वोंे की तारीफ करना निश्चित रूप से देशहित का काम नहीं हो सकता है।
इस अवसर पर असली गौरक्षक व नकली गौरक्षक की पहचान करने की श्री मोहन भागवत के आह्वान को गलत, संकीर्ण व कट्टरवादी सोच की उपज बताते सुश्री मायावती जी ने कहा कि आर.एस.एस. की गौरक्षा के बजाय सेवा भाव व अहिंसा पर आधारित ’’गौसेवा’’ पर बल देना चाहिये, क्योंकि ’’गौरक्षा’’ के कार्य में हिंसा निहित है, जिसका ही दुष्परिणाम है कि गुजरात की अत्यन्त दर्दनाम ऊना दलित उत्पीड़न काण्ड के बी.एस.पी. व मीडिया के माध्यम से सामने आ जाने पर पूरा देश आक्रोशित हुआ।
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गौरक्षा के नाम पर खासकर भाजपा शासित राज्यों गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व झारखण्ड आदि में हिंसक वारदातें लगातार हो रही हैं और यहाँ उत्तर प्रदेश के दादरी काण्ड में तो पीट-पीटकर मार भी दिया जाता है। वास्तव में प्रधानमंत्री श्री नेरन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद गौरक्षा के नाम पर पहले मुसलमानों को और अब दलितों को हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती व उत्पीड़न का जबर्दस्त शिकार देश भर में बनाया जा रहा है। इसके बावजूद आर.एस.एस. प्रमुख द्वारा गौरक्षकों को संरक्षण प्रदान करना समाज व देश को जोड़ने का काम नहीं हो सकता है।
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इस प्रकार आर.एस.एस. प्रमुख श्री मोहन भागवत, बात समाज को तोड़ने के विरुद्ध करते हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत में वही काम करने वालों का समर्थन कर रहे हैं, यह कैसा आचरण है?
केन्द्र में भाजपा शासन व भाजपा-शासित विभिन्न राज्यों में व्यापक भ्रष्टाचार के कारण विकास के मद में आने वाला सरकारी धन के गबन की वास्तविकता को आर.एस.एस. प्रमुख द्वारा आज अपने भाषण में स्वीकार कर लेने से बी.एस.पी. का आरोप व इस बारे में यह आमधारणा को बल मिलता है कि कांग्रेस पार्टी की तरह ही भाजपा के शासन में भी विकास का धन कहाँ चला जाता है किसी को पता नहीं।
श्री भागवत का यह कहना कि ’’राज्य व केन्द्र सरकारों के बीच समन्वय होना चाहिये। विकास के कामों के लिये आने वाला धन कहाँ चला जाता है? देश के नागरिक महसूस करते हैं कि सरकार की तरफ से उन्हें कुछ भी नहीं मिला है। इसलिए पारदर्शी प्रशासन की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिये।’’
उनका यह वाक्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार व खासकर भाजपा शासित राज्यों की ग़लत नीतियों व कार्यकलापों की पोल खोलता है और उनके विकास के सम्बंध में ग़लत व वरगलाने वाले दावों को बेनकाब भी करता है। अब भाजपा नेतृत्व व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि देश की जनता को इस आरोप के बारे में जवाब दें।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दो दलितों की जला कर नृशंस हत्या करने के प्रयास की तीव्र निन्दा करते हुये बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी ने कहा कि यह सब सपा सरकार की जातिवादी नीतियों व कार्यकलापों का ही परिणाम है कि इस प्रकार की जघन्य घटनायें समाज के कमजोर वर्गों के साथ काफी बढ़ गयी हैं। उन्होंने इस घटना के लिये दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कानूनी कार्रवाई करने की माँग की।
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