सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था :- वित्त मंत्री

सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था :- वित्त मंत्री
पेसूका ———————– केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है, लेकिन इसमें अभी और ज्यादा तेजी से बढ़ने की संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चित और नाजुक दौर से गुजर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आईएमएफ सहित सभी बड़े आर्थिक संस्थान ने आने वाले साल में वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्त ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि इन घटनाक्रमों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है, क्योंकि हमारे निर्यात में कमी आई है।
हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटीज और तेल की कीमतों में कमजोरी रही है, जिससे एक तरह से देश के व्यापक आर्थिक हालात को फायदा हुआ है। वित्त मंत्री ने कहा कि बीते दो साल से मुख्य रूप से अपर्याप्त मानसून के चलते कृषि की वृद्धि दर प्रभावित हुई है।
श्री जेटली ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान सूखा राहत के लिए राज्यों को सबसे ज्यादा धनराशि दी गई है और कृषि उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र को ज्यादा रियायतें दी जाएंगी। वित्त मंत्री आज यहां संसद के इंटर-सेशन के दौरान वित्त मंत्रालय से संबद्ध परामर्श समिति की पहली बैठक में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। बैठक का विषय ‘बजट के लिए सुझाव’ थे।

वित्त मंत्री श्री जेटली ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान मुद्रा योजना के अंतर्गत 2 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों को 90 हजार करोड़ रुपए का कर्ज दिया जा चुका है। वित्त मंत्री ने कहा कि हम चालू वित्त वर्ष 2015-16 में राजकोषीय घाटे को तय लक्ष्य के भीतर रखने में कामयाब होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि यह पहली बार हुआ कि वास्तविक व्यय धनराशि बजट प्रस्ताव की तुलना में ज्यादा रही है।

उन्होंने कहा कि इस साल हमने ज्यादा खर्च किया है, लेकिन हम अपने घाटे के लक्ष्य को नियंत्रण में रखने में कामयाब रहेंगे। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान केंद्र सरकार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें और वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना को लागू करने के क्रम में देनदारियां पूरी करने के लिए लगभग 1.10 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान करना है।

उसके बाद आज की बैठक में भाग लेने वाले परामर्श समिति के सदस्यों ने कई सुझाव दिए। कुछ बड़े सुझावों में कृषि क्षेत्र के लिए ज्यादा आवंटन, आईसीएआर और आईसीएमआर की तर्ज पर दुग्ध उत्पादन बढ़ाने आदि के उद्देश्य से इंडियन काउंसिल फॉर वेटिनरी रिसर्च (आईसीवीआर) की स्थापना आदि शामिल है। उन्होंने केंद्र सरकार की नई फसल बीमा योजना की सराहना की, लेकिन योजना में ज्यादा स्पष्टता, योजना के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत और इसे ज्यादा व्यापक बनाने का प्रस्ताव किया, जिससे इस तक ज्यादा से ज्यादा लोगों की पहुंच हो सके।

एक अन्य सुझाव यह दिया कि आगामी बजट में पर्यावरण को स्वच्छ रखने के क्रम में सीवेज और एफ्लुएंट शोधन संयंत्र की स्थापना पर उद्योगों को राहत दी जा सकती है। अन्य सुझावों में जल संरक्षण के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम और उत्पादकता बढ़ाने के वास्ते फसल के लिए बीजों की उन्नत प्रजातियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना शामिल है।

कई सदस्यों द्वारा यह भी सुझाव दिया गया कि मध्यम और वेतनभोगी लोगों के लिए कर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये करने के साथ ही कर आधार बढ़ाने और कर चोरी के मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान किया जाए। यह भी सुझाव दिया गया कि किसी भी लेनदेन के लिए पैन कार्ड के अनिवार्य उल्लेख की सीमा को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जाए।

 सेवा कर छूट की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया जाए और कौशल विकास से संबंधित शैक्षणिक संस्थानों को सेवा कर से छूट दी जाए। कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि टैक्सपेयर्स को उत्पीड़न के लिए ज्यादा कर देनदारी के ऐसे आदेश देने के वाले आकलन अधिकारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, जिन्हें बाद में अपीली अधिकारियों द्वारा खारिज कर दिया जाता है।

एक अन्य सुझाव यह भी दिया गया कि चूंकी भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था है, इसलिए इस साल कृषि पर केंद्रित बजट पेश किया जाए। विभिन्न राज्यों में कृषि से संबंधित सिंचाई परियोजनाओं में सुधार के लिए ज्यादा आवंटन किया जाना चाहिए, जो खराब स्थिति में हैं। यह सुझाव दिया गया कि कौशल विकास कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए ब्लॉक स्तर पर लागू किया जाए और स्टार्ट-अप इंडिया व मेक इन इंडिया को वास्तव में सफल बनाया जा सके।

यह भी सुझाव दिया गया कि फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष पैकेज और मनरेगा को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए उसके स्वरूप को बदला जाए। मनरेगा में श्रम अनुपात में बदलाव का भी सुझाव दिया गया, जिससे यह ज्यादा प्रभावी और रोजगार देने के साथ ही बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कुछ सदस्यों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा रोजगार की संभावनाएं पैदा करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और सस्ती दरों पर कृषि उधारी बढ़ाने; शिक्षा, कौशल विकास और मछुआरे समुदायर के आवासों के लिए ज्यादा आवंटन का भी सुझाव दिया। यह भी सुझाव दिया गया कि आगामी बजट गरीब और आम आदमी पर केंद्रित होना चाहिए, साथ ही बाल कुपोषण को खत्म करने के लिए ज्यादा आवंटन का सुझाव दिया जाना चाहिए।

यह भी सुझाव दिया गया कि सीएसआर से मिले फंड को ऐसे क्षेत्रों के विकास में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जहां कंपनी परिचालन में है और मुनाफा कमा रही है। इसके साथ ही एमएसएमई को उनकी बेहतरी के लिए कर रियायत देने का सुझाव दिया गया, जिससे उन्हें रोजगार की ज्यादा संभावनाएं पैदा करने में मदद मिले।

बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा सहित परामर्श समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया। सदस्यों में श्री दिलीप कुमार मनसुख लाल गांधी, श्री जे जयसिंह त्यागराज नटर्जी, श्री पी पी चौधरी, श्रीमती पूनम महाजन, श्री राम चरित्र निषाद, श्री शरद कुमार मारुति बनसोदे, श्री सुभाष चंद्र, श्रीमती सुप्रिया सदानंद सुले, डॉ. उदित राज (सभी सदस्य लोकसभा); श्री अनिल देसाई, डॉ. के पी रामालिंगम और श्री राजकुमार धूत (सभी सदस्य राज्यसभा) शामिल रहे।

परामर्श समिति की बैठक में भाग लेने वालों में वित्त सचिव श्री रतन पी वाटल, डीईए सचिव श्री शक्तिकांता दास, राजस्व सचिव डॉ. हसमुख अढिया, वित्त सेवा सचिव अंजलि छिप दुग्गल, विनिवेश सचिव श्री नीरज कुमार गुप्ता, मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डॉ. अरविंद सुब्रमण्यन, सीबीईसी चेयरमैन श्री नजीब शाह और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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