• December 29, 2016

सपा ‘नई उमंग ’ उर्दू पत्रिका के जरिए फैला रही है अफवाह- मो0 शुऐब

सपा ‘नई उमंग ’ उर्दू  पत्रिका के जरिए फैला रही है अफवाह- मो0 शुऐब

लखनऊ 29 दिसम्बर 2016। रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि अखिलेश सरकार मुसलमानों को गुमराह करने के लिए उनके बीच अपनी उपलब्ध्यिों के झूठे दावों वाली उर्दू की सरकारी पत्रिका ‘नई उमंग’ प्रकाशित कर वितरित करा रही है। जिसमें बेगुनाह मुसलमानों के रिहा किए जाने का वादा पूरा कर दिए जाने का दावा किया गया है। रिहाई मंच ने ‘नई उमंग’ पत्रिका के खिलाफ नोटिस भेजा है। photo

लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में रिहाई मंच अध्यक्ष मो0 शुऐब ने कहा कि ‘नई उमंग’ नाम से सूचना विभाग द्वारा जारी उर्दू पत्रिका के पृष्ठ संख्या 34 और 35 पर प्रदेश के एडीशनल एडवोकेट जनरल जफरयाब जीलानी ने दावा किया है कि ‘अखिलेश सरकार ने बेकसूरों पर से मुकदमा खत्म कराने के मामले में बेहद संजीदगी से काम किया तथा निमेष कमीशन की रिपोर्ट की सिफारिशात को कबूल करते हुए उन्हें भी अमल में लाया गया’।

इस इंटरव्यूव में उन्होंने यह भी दावा किया है कि सरकार ने 5 हजार बेगुुुनाहों की रिहाई कराई है। जबकि सच्चाई तो यह है कि पूरे देश में आतंकवाद के नाम पर 5 हजार बेगुनाह मुसलमान बंद भी नहीं हैं। वहीं निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर सरकार ने कोई कार्यवाई ही नहीं की है।

अगर कार्यवाई की होती तो तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद को फंसाने वाले पुलिस और खुफिया विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई की होती और उन्हें जेल भेजा होता। वहीं उल्टे सरकार ने अदालत द्वारा 9 साल बाद बरी हुए 6 मुस्लिम युवकों नौशाद, जलालुद्दीन, मोहम्मद अली अकबर हुसैन, शेख मुख्तार, अजीजुर्रहमान सरदार और नूर इस्लाम मंडल के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील कर दी है। जिसकी सुनवाई की तारीख 31 जनवरी 2017 को नियत है।

रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि समाजवादी पार्टी ऐसी पत्रिकाओं के जरिए मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश कर रही है। जिसके खिलाफ रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, जफरयाब जीलानी, अपर महाधिवक्ता, ‘नई उमंग’ के संरक्षक श्री नवनीत सहगल, सुधीश कुमार ओझा, प्रकाशक, डाॅ आरएस पांडेय, सम्पादकीय सलाहकार, सैय्यद अमजद हुसैन सम्पादकीय सलाहकार, सैय्यद वजाहत हुसैन रिजवी, निगरां, सुहैल वहीद, सम्पादक को पार्टी बनाते हुए कानूनी नोटिस भेजा है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि पुस्तक द्वारा सबने एक राय से साजिश करके सपा को राजनीतिक लाभ पहंुचाने के लिए राजकीय धन का जिसके वे न्यासी हैं, राजकीय कार्य से अतिरिक्त व्यय करके न्यास भंग किया है।

नोटिस के जरिए सभी से सामूहिक रूप से तथा अलग-अलग स्पष्टीकरण मांगी गई है। जिसके न मिलने पर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने और विधिक कार्यवाई कर प्रकाशन में होने वाले व्यय को उनसे वसूलने और राजकीय कोष में जमा कराने और इस प्रक्रिया में होने वाले खर्च को उनसे वसूल करने की बात कही गई है।

लखनऊ रिहाई मंच के महासचिव शकील कुरैशी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सपा ने न सिर्फ वादा खिलाफी की है बल्कि ऐसे झूठे दावे करके मुसलमानों के जख्म पर नमक छिड़कने का काम किया है। जिसका खामियाजा उसे चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

श्री कुरैशी जिनका पिछले दिनों भोपाल फर्जी एनकांउटर के खिलाफ धरना देते वक्त पुलिस ने हमला करके हाथ तोड़ दिया था, ने कहा कि मुसलमानों को बरगलाकर सपा के लिए वोट दिलवाने का काम करने वाले का तो जमीर तभी बिक गया था जब उन्होंने बाबरी मस्जिद को चांदी की तश्तरी में रखकर विहिप को सौंप दी थी। जिसके एवज में उनको माॅडल हाउस में रामभवन नाम की एक शानदार कोठी विहिप ने बतौर तौफा सौंपी थी। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में मुसलमान सपा के 5 साल के मुस्लिम विरोधी शासन में 300 से ज्यादा हुए दंगों का हिसाब मांगने जा रहा है।

ःकानूनी नोटिसः

प्रेषक- शाहनवाज आलम

प्रेषित,
1- श्री नवनीत सहगल, सरपरस्त ‘नई उमंग’ (उर्दू), किताबचा-1
2- श्री सुधीश कुमार ओझा, प्रकाशक
3- श्री डाॅ आरएस पांडेय, सम्पादकीय सलाहकार
4- सैय्यद अमजद हुसैन, सम्पादकीय सलाहकार
5- डाॅ वजाहत हुसैन रिजवी, निगरां
6- सुहैल वहीद, सम्पादक
7- श्री जफरयाब जिलानी, अपर महाधिवक्ता, उत्तर प्रदेश शासन
8- उत्तर प्रदेश सरकार

आप प्रेषितीगण को इस नोटिस द्वारा निम्नवत सूचित किया जाता है-


1- यह कि उत्तर प्रदेश सरकार के सूचना विभाग द्वारा ‘नई उमंग’ नामक ‘किताबचा-1’ प्रकाशित एंव प्रसारित किया गया है तथा उस ‘किताबचा’ पर आप प्रेषिती संख्या 1 से 6 तक को आपके नामों के समक्ष पदअंकन है।

2- यह कि इस किताब के पृष्ठ संख्या-34 तथा 35 पर प्रकाशित सामग्री द्वारा आप सबने एक राय हो कर, खूब सोच-समझ कर समाजवादी पार्टी (सपा) को राजनीतिक लाभ पहुंचाया है।

3- यह कि पृष्ठ संख्या-34 पर प्रकाशित सामग्री का शीर्षक-‘तकरीबन 5 हजार बेगुनाहों को रिहाई नसीब हुई’-है। जिसमें कहा गया है- ‘‘ज्यादा अरसा नहीं गुजरा जब माहौल में एक अजीब सी सरामयिगी का आलम था, फिजा में खौफ व हरास महसूस किया जा सकता था। अकलियती तबके के नौजवानों में अद्म तहफ्फुज का एहसास घर करने लगा था। इनके ताबनाक मुस्तकबिल पर सवालिया निशान नजर आने लगे थे।

अकलियती नौजवानों की जब तब गिरफ्तारी से न सिर्फ इनकी बल्कि इनके कुनबे की जिंदगी भी अजीरन महसूस होने लगी थी लेकिन जनाब अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश के वजीरे आला बनने के बाद पूरे सूबे के माहौल में तब्दीली आई और अकलियती तबके के नौजवानों को अपने मुस्तकबिल की नशोनुमा के लिए बेशुमार मवाके हासिल होने लगे। कुछ इस तरह के खयालात का इजहार किया उत्तर प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल जनाब जफरयाब जिलानी ने। सुहेल वहीद से इनकी इस मौजू पर हुई गुफ्तगू के इक्तसबात यहां पेश हैं।’’

4- यह कि किताबचा के पृष्ठ संख्या 35- पर दो महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर प्रकाशित हुए हैं। पहला प्रश्न है- एक बड़ा मामला बेगुनाह अफराद की गिरफ्तारी और उन पर होने वाली कानूनी चाराजूई का है। इस सिलसिले में हुकूमत ने क्या किया? दूसरा प्रश्न है- मुजफ्फरनगर तसद्दुद के मामले में हुकूमत ने मुतस्सरीन के लिए क्या-क्या काम किए? इन दोनों प्रश्न के उत्तर में आप प्रेषिती नम्बर 7 ने जानबूझ कर मुसलमानों को गुमराह कर आने वाले चुनाव में उनका वोट समाजवादी पार्टी के पक्ष में डलवाने के लिए गलतबयानी की है। जिसमें दो बयान महत्वपूर्ण हैं।

एक यह कि बेकसूरों पर से मुकदमा खत्म कराने के मामले में हुकूमत ने बेहद संजीदगी से काम किया तथा दूसरा यह कि निमेष कमीशन की रिपोर्ट की सिफारिशात को कबूल करते हुए उन्हें भी नाफिज कराया गया। जबकि सच्चाई यह है कि निमेष कमीशन की सिफारिशात पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तथा बेकसूरों को रिहा नहीं किया गया। बल्कि न्यायालय द्वारा बरी किए गए लोगों के खिलाफ अपील दायर की गई/और आज भी बहुत सारे बेकसूर नौजवान जेलों में बंद हैं।

यहां यह भी स्पष्ट करना है कि निमेष कमीशन द्वारा तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद को बेगुनाह बताए जाने के बावजूद उनके विरूद्ध मुकदमा चलाया जाता रहा और पुलिस कस्टडी में खालिद मुजाहिद की मौत हुई। खालिद मुजाहिद की हत्या के मामले में सरकार जांच से बचती रही और उस पर लीपा-पोती करने के लिए प्रशासनिक जांच कराई गई। इसी तरह, मुजफ्फरनगर मामले में भी प्रेषिती नम्बर 7 का बयान भ्रामक है।

5- यह कि उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि आप प्रेषितीगण ने अपने पदों का लाभ उठाते हुए समाजवादी पार्टी के पक्ष में जनमत बनाने के उद्येश्य से राजकीय धन का जिसके कि आप न्यासी हैं, राजकीय कार्य से अतिरिक्त व्यय करके न्यास भंग किया है।

अतः आपको इस नोटिस द्वारा सूचित किया जाता है कि आप प्रेषितीगण उक्त प्रकाशन में अपने कृत्य का सामूहिक रूप से तथा अलग-अलग स्पष्टीकरण दें। अन्यथा, आपके विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज कराया जाएगा। तथा विधिक कार्यवाई कर प्रकाशन में होने वाले व्यय आप प्रेषितीगण से वसूल कर राजकीय कोष में जमा कराने हेतु कार्यवाई की जाएगी तथा उस पर होने वाले व्यय आपसे वसूल किया जाएगा।

दिनांक 29 दिसम्बर 2016

प्रेषक
शाहनवाज आलम पुत्र डाॅ एम इलियास
पता- द्वारा एडवोकेट मो0 शुऐब
110/46 नया गांव पूर्व, लाटूश रोड, लखनऊ
मो0 9415254919

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