• November 4, 2016

सपा की ‘‘विकास रथयात्रा‘‘नहीं ‘‘दिवालिया रथयात्रा‘‘ – सुश्री मायावती

सपा  की ‘‘विकास रथयात्रा‘‘नहीं ‘‘दिवालिया रथयात्रा‘‘ – सुश्री मायावती

नई दिल्ली, 04 नवम्बर 2016: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने कल कुछ किलोमीटर चलकर प्रारम्भ होने वाली प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री की तथाकथित ‘‘विकास रथयात्रा‘‘ को वास्तव में ‘‘दिवालिया रथयात्रा‘‘ साबित होने वाला बताते हुये कहा कि करोड़ों रूपयों से बनने वाली ’लक्जरी रथ’ जहाँ वर्तमान सपा सरकार के मुखिया का यात्रा के प्रारम्भ में ही दिवाला निकाल गयी, वहीं रथयात्रा के साथ चलने वाले उनके हुड़दंगबाजों ने रास्ते में जो भी मिला उसको लूटते-खसोटते चले गये और पुलिस को केवल तमाशाबीन बने रहने को मजबूर होना पड़ा।

आमतौर पर प्रदेश में अराजकता व जंगलराज कायम करकेे हर वर्ग के लोगों का जीवन बेहाल कर रखा है तथा जिन्हें वर्तमान मुख्यमंत्री का खुला संरक्षण प्राप्त है और यह सब ’सपाई तमाशा’ सपा के सभी बड़े नेतागण की मौजूदगी में हुआ परन्तु सभी ख़ामोश तमाशाबीन बने रहे।

विकास के दावों का लाभ लोगों को अब तक मिलना शुरू ही नहीं हुआ है। लोग पूछते हैं कि क्या बहु-प्रचारित ’’लखनऊ मेट्रो सेवा’’ शुरू हो गयी है? क्या अन्य योजनायें ज़मीनी हक़ीक़त में बदल कर उनका लाभ लोगों को मिलने लगा है? केवल शिलान्यास कर देने से या घोषणा कर देने से या फिर आधे-अधूरे कार्यों का उद्घाटन कर देने को विकास कहा जा सकता है क्या?

अगर सपा सरकार ने जनहित व जनकल्याण के वास्तविक काम किये होते तो फिर उन्हें भारी सरकारी शान-शौकत के साथ यह ’’विकास रथयात्रा‘‘ निकालने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

प्रदेश में पूरे वर्तमान सपा शासनकाल में केवल घोर जातिवाद, द्वेष व भ्रष्टाचार एवं जंगलराज का बोलबाला रहा है। इसके लिये अनेकों बार माननीय उच्च न्यायालय के अलावा मा. उच्चतम न्यायालय तक से सपा सरकार को फटकार मिलती रही है। डेंगू जैसे घातक बीमारी ने महामारी का रूप धारण कर लिया तब अन्ततः माननीय हाईकोर्ट को काफी सख़्ती के साथ इस मामले में भी दख़ल देना पड़ा, परन्तु सपा सरकार का मुखिया इन बातों के मद्देनजर शर्मिन्दा व सतर्क होकर काम करने के बजाय कुछ जगह ही निष्प्रभावी ढंग से शुरू हुयी ’एम्बुलेन्स सेवा’ का ही ढिंढ़ोरा पीटता रहता है।

भाजपा से सपा की मिलीभगत है इसलिए सपा सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ इशारों-इशारों में बात करता है तथा खुलकर आलोचना या निन्दा भी करने में काफी हिचकता है, परन्तु बी.एस.पी. के खिलाफ ग़लत आरोप व अनर्गल बातें करने में बाप से भी दो कदम आगे रहता है। ऐसा समझना गलत होगा कि जनता इन बातों का नोट नहीं ले रही है।

सदियों से उपेक्षित दलितों व अन्य पिछड़े वर्गों में जन्में महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुषों के नाम पर व उनके आदर-सम्मान में बी.एस.पी. सरकार द्वारा बनाये गये कुछ ज़रूरी भव्य स्थलों, स्मारकों व पार्कों आदि को ’’फ़िज़ूलख़र्ची’’ बताकर व उनका अनादर आदि करके उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की वर्तमान सरकार का मुखिया न केवल ओछी व जातिवादी द्वेषपूर्ण राजनीति कर रहा है, बल्कि दिखावटी (छद्म) समाजवादी होने का भी परिचय दे रहा है।

अपनी संकीर्ण व जातिवादी सोच के साथ लोहिया पार्क व इटावा में केवल मौज-मस्ती के लिए लायन सफ़ारी बनाने को व सैफ़ई महोत्सव आदि पर करोड़ों-अरबों रुपयों के सरकारी धन के ख़र्च को अपनी सपा सरकार की फ़िजूलख़र्ची मानने को तैयार नहीं है। यह इस सपा सरकार का कैसा दोहरा चाल, चरित्र व चेहरा?

बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
नई दिल्ली – 110001

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