सत्ता की सवारी पर सोरेन सवार —सज्जाद हैदर

सत्ता की सवारी पर सोरेन सवार —सज्जाद हैदर

(वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीति विश्लेषक)
राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता राजनीति की प्रयोगशाला में यह एक बार फिर सत्य साबित हुआ। झारखण्ड के चुनाव में जिस प्रकार से सियासी गर्मी फैली रही उससे अनुमान कुछ और ही लगाया जा रहा था।

परन्तु, झारखण्ड की जनता ने सारे अनुमानों को दर किनार करते हुए बड़ा फैसला लिया और सत्ता का परिवर्तन कर दिया। देश में जिस प्रकार का चुनावी माहौल बना हुआ था उससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि झारखण्ड के चुनाव में इस प्रकार से बड़ा परिवर्तन दिखाई देगा। क्योंकि, केंद्र का नेतृत्व जिस प्रकार झारखण्ड के चुनाव में पूरे दम-खम के साथ लगा हुआ था उससे यह आभास नहीं हो पा रहा था।

देश के अन्दर चल रहे तमाम तरह के मुद्दों का भी असर झारखण्ड के चुनाव में नहीं दिखा यह बड़ी बात है। धारा 370 और 35ए का असर झारखण्ड के चुनाव में क्यों नहीं दिखा यह समझने का विषय है। सबसे बड़ा मुद्दा यह कि जिस प्रकार देश के अन्दर नागरिकता के कानून में संशोधन के बाद चर्चा जोरों पर है जिसमें शरणार्थी और घुसपैठिया मुख्य मुद्दा है। साथ ही सी.ए.ए बिल के और आ जाने के बाद भी झारखण्ड के चुनाव में सत्ताधारी दल का इस प्रकार सत्ता से दूर चले जाना राजनीति की दृष्टि से बहुत बड़ी बात है। साथ ही स्वयं मुख्यमंत्री रघुवरदास के द्वारा अपनी सीट न बचा पाना राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषया बनना स्वाभाविक है।

नागरिकता के नियम में संशोधन के बाद राजनीति के जानकारों के अनुसार यह अनुमान लगाया जा रहा था कि पूर्वी क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति तेजी के साथ और मजबूत होगी इसलिए कि जिस प्रकार से जनता के बीच घुसपैठिया का मुद्दा चल रहा था उससे यह अनुमान लग रहा था कि इस प्रकार का समीकरण भाजपा के पक्ष में जा सकता है। परन्तु, ऐसा नहीं हो पाया और झारखण्ड में सत्ता का परिवर्तन हो गया। उसके बाद हेमंत सोरेन झारखंड के नए मुख्यमंत्री बन गए।

हेमंत ने मोरहाबादी मैदान में शपथ ली हेमंत सोरेन के साथ तीन मंत्रियों ने भी शपथ ली इसमें दो कांग्रेस और एक आरजेडी से शामिल किए गए हैं। सबसे महत्वपूर्ण विषय रहा कि इस शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर विपक्ष ने संदेश देने का प्रयास किया वह था विपक्षी एकता की ताकत का प्रदर्शन करना। स्पष्ट रूप से इस समारोह के माध्यम से यह साफ संदेश देने का प्रयास किया गया।

शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, सीताराम येचुरी, डी राजा, डीएमके नेता स्टालिन, अशोक गहलोत और आप नेता सहित कई विपक्षी नेता मंच पर दिखे। झारखंड में भाजपा की सरकार को हटाकर यह नई सरकार बनी है जोकि जेएमएम कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत दर्ज की थी। झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, कांग्रेस विधायक दल के नेता विधायक आलमगीर आलम और आर.जे.डी विधायक सत्यानंद ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली।

बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव में कुल 81 सीटों में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में बने गठबंधन ने 47 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। सूबे के मुख्यमंत्री रहे रघुबर दास और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा भी चुनाव हार गए और भाजपा को मात्र 25 सीटें हासिल हुईं।

इस चुनावों में हेमंत सोरेन की पार्टी ने रिकॉर्ड 30 सीटें जीतीं अब जे.एम.एम विधानसभा में सबसे बड़ा दल है, जबकि 25 सीटें जीत पाने से भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ा दल बनने से दूर रह गई। तीन पार्टियों (जे.एम.एम आर.जे.डी और कांग्रेस) के गठबंधन को चार अन्य विधायकों ने भी समर्थन दिया है इनमें से तीन विधायक झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के और एक विधायक भाकपा के हैं।

राजनीति के जानकारों की माने तो राजनीति को सदैव ही राजनीति के चश्में से ही देखना चाहिए इसी समीकरण के अनुसार राजनीति के जानकारों का मानना है कि जिस प्रकार से देश के कई राज्यों में क्षत्रपों ने परिवर्तन की लहर दिखाई है वह भाजपा के लिए चिंता का विषय हो सकती है। ज्ञात हो कि हरियाणा के चुनाव में जिस प्रकार से भाजपा को सरकार बनाने के लिए चौटाला बंधु का साथ लेना पड़ा वह एक बड़ा संदेश है।

शिवसेना का भाजपा की शर्तों पर आगे संबन्ध न रखना और सरकार में भाजपा को समर्थन न देना यह सियासत के गलियारों में बड़ी बात है। इन सभी घटनाक्रमों के बाद परिणाम यह हुआ कि भाजपा महाराष्ट्र में सत्ता से दूर हो गई। उसके बाद नम्बर आता है झारखण्ड के चुनाव का जिसमें चुनाव से ठीक पहले आजसू ने भाजपा का दामन छोड़ दिया और अलग चुनाव में जाने का फैसला किया और परिणाम देश के सामने है। सियासत के इन सभी उठापटक से सीधे-सीधे भाजपा को ही नुकसान हुआ।

सियासत के मैदान में किसी भी सियासी पार्टी के लिए चिंता का विषय होना स्वाभाविक है। अब देखना यह है कि जनता ने जिस प्रकार से राज्यों के अन्दर सत्ता दल की तस्वीर बदली है उससे जनता की तकदीर कितनी बदल पाती है।

अन्य़था जनता का ही नुकसान होना तय है। समय के साथ देश के सामने उभर करके तस्वीर स्वयं ही आ जाएगी। कि जनता ने जिन नेताओं पर भरोसा किया अब वही नेतागण जनता के हित में कितना खरा उतरते हैं।

Related post

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025

ऊर्जा सांख्यिकी भारत 2025

PIB Delhi —– सांख्यिकी  और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वार्षिक प्रकाशन…
156 एलसीएच, प्रचंड की आपूर्ति के लिए एचएएल के साथ 62,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों पर हस्ताक्षर

156 एलसीएच, प्रचंड की आपूर्ति के लिए एचएएल के साथ 62,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंधों…

PIB —- रक्षा मंत्रालय  ने एक फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट की वेट लीजिंग के लिए मेट्रिया मैनेजमेंट…
भारत की कार्बन ऑफसेट योजना धरातल पर उतरी

भारत की कार्बन ऑफसेट योजना धरातल पर उतरी

 PIB Delhi ——- भारत के उत्सर्जन तीव्रता में कमी लाने की प्रतिबद्धता के तहत, भारत सरकार…

Leave a Reply