- July 23, 2015
संसद में राजस्थान : सीता माता अभ्यारण्य की संरक्षण एवं सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जावें
जयपुर -चित्तौडग़ढ से लोकसभा सांसद श्री सी.पी. जोशी ने लोकसभा में नियम 377 के अधीन सीता माता अभ्यारण के प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण एवं सुरक्षा के व्यापक प्रबंध करने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि चित्तौडग़ढ़ एवं प्रतापगढ़ की सीमा पर सीता माता अभयारण स्थित है। धार्मिक पृष्ठभूमि वाले इस अभ्यारण्य का इतिहास रामायण कालीन रहा है।
माता पिता के वनवास का साक्षी सीता माता अभ्यारण प्राकृतिक संपदा से भी परिपूर्ण है। पौराणिक अवशेष के रूप में इस अभ्यारण्य में भागी बावड़ी, वाल्मिकी आश्रम, लव-कुश के पद चिह्न, हनुमान बाणी आदि है। अभयारण में अभी भी कई स्थानों पर पुराने अवशेष दिखाई देते है। यह अभयारण 429 वर्ग किमी में फैला हुआ है। विभिन्न प्रकार की दुर्लभ जड़ी बूटियां भी इस क्षेत्र में पाई जाती है। यहां पर 12 बीघा में फैला हुआ एक वटवृक्ष भी आकर्षण का केन्द्र है।
उन्होने कहा कि सीता माता अभ्यारण्य में कैंसर के उपचार लिये हस्ती पलाश एक पौधा भी पाया जाता है। जिसके पत्तों के रस के सेवन से कैंसर रोगी को राहत मिलती है।
प्राकृतिक दुर्लभ संयोग के रूप में ठण्डे एवं गर्म पानी का एक नाला भी समान रूप से बहता है। सांसद जोशी ने सदन में कहा कि सीता माता अभ्यारण्य प्राकृतिक संपदा से भरा होने के साथ ही अपने आप में प्रकृति के कई दुर्लभ रूप समेटे हुए है। यहाँ पर विश्व में अमेरिका के बाद केवल इसी अभ्यारण्य में उडऩे वाली गिलहरी पाई जाती है जो कि अपने आप में विशिष्ट पहचान लिये हुये है।
श्री जोशी ने सीता माता अभयारण के ऐतिहासिक एवं धार्मिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए सदन के माध्यम से केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री व पर्यटन मंत्री से मांग करते हुए कहा कि पौराणिक महत्व के सीता माता अभयारण्य के लिए विशेष सहायता एवं विकास की एक योजना तैयार कर दुर्लभ जीव-जन्तुओं एवं प्राकृतिक सम्पदा का संरक्षण एवं सुरक्षा के व्यापक प्रबंध करने के निर्णय लिया जाना चाहिए ताकि ऐतिहासिक अवशेषों का सरंक्षण एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं संरक्षण के प्रयास हो सके। उन्होने अभ्यारण्य वन क्षेत्र के विस्तार के लिये वृहद स्तर के वृक्षारोपण की योजनायें बनाने की मांग भी की।
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