- July 22, 2015
संजय टाईगर पार्क का बाघ पी -212 लड़ाई में मारा गया
(विजय सिंह) – कुमार मध्यप्रदेशके सीधी व छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले तक विस्तृत संजय नेशनल पार्क का मेहमान बाघ P-212 की बीते शनिवार को मौत हो गई | पार्क प्रबंधन की विज्ञप्ति के अनुसार पार्क क्षेत्र के दुबरी अभ्यारण्य की डेवा बीट में सोमवार 20 जुलाई को उसका शव बरामद किया गया | मौत का कारण अन्य बाघ से लड़ाई बताया जा रहा है |
बाघ P-212 के मौत की प्रोटोकाल के अनुसार 22 जुलाई को जांच एवं शव परीक्षण हेतु प्रदेश व बाहर से कुल 5 टीमें आईं थीं| नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथोरिटी नागपुर से राजशेखर, सेंटर फॉर फोरेंसिक एन्ड वाईल्ड लाईफ जबलपुर के डीन डा.ए.बी.श्रीवास्तव, पन्नाटाईगर रिजर्व से डा.संजीव गुप्ता, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से डा.नितिन गुप्ता एवं उनकी टीम शामिल थी | टीम द्वारा शव परीक्षण किया गया | इस दौरान शरीर के अलग-अलग भागों के सेम्पल परीक्षण हेतु देहरादून, सागर, बरेली तथा जबलपुर भेजे जायेंगें |सम्मान के साथ P-212का अंतिम संस्कार कर दिया गया |
P-212 की मौत के बाद के बाद पार्क प्रबंधन ने यह बताया कि इसके पूर्व भी उसका एक अन्य बाघ से संघर्ष हुआ था, उसे चोटें आईं थी और उसका उपचार किया गया था | इस लड़ाई में P-212 की कालर आईडी टूट गई थी, जिसे घावों के कारण दुबारा नहीं पहनाया जा सका था | मतलब P-212 बाघ की ट्रेकिंग के लिए पार्क प्रबंधन गंभीर नहीं था |
बाघ P-212 क जन्म अक्टूबर 2010 में पन्ना में हुआ था | 26 फरवरी 2014 में उसने वहां के हिनौता वन क्षेत्र से पलायन किया था| पन्ना जिले के रमपुरा, मोहदरा, पवईसे होते हुए कालदा, सतना जिले के परसमनिया, मढ़ी, अमरपाटन, गोरसरी, जिगना हिते हुए रीवा जिले के गोविंदगढ़ छुहिया घाटी होते हुए सीधी जिले के मोहनिया पहुंचा | यहाँ से उसने फिर से रीवा जिले के मऊगंज की ओर रुख किया तो पीछे लगी रेस्क्यू टीम ने बेहोश कर P-212 को संजय नेशनल पार्क के दुबरी अभ्यारण्य क्षेत्र में छोड़ दिया |
सफेद शेरों के प्रपितामह मोहन की जन्म स्थली में P-212 का मन रम गया और उसके संसर्ग से 7 शावकोंका जन्म हुआ | जिस अन्य बाघ से P-212 की लड़ाई की बात पार्क प्रबंधन द्वारा की जा रही है, उसका वजूद पहले नहीं था | क्योंकि यदि होता तो नन्हें शावकों की किलकारी संजय नेशनल पार्क में पहले भी गूंजी होती | मेहमान बाघ P-212 ने संजय नेशनल पार्क में खुशियाँ बिखेरीं और 16 महीने बाद इलाके की लड़ाई में चल बसा | अब तो नन्हें शावकों के रूप में P-212की स्मृतियाँ शेष रहेंगी |
विजय सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
राज्य स्तरीय अधिमान्य
19, अर्जुन नगर सीधी