- April 18, 2020
संकट की घड़ी में श्रेयकुमार बने जन प्रतिनिधि– – रामकिशोर दयाराम पंवार
पूरा देश कोरोना को लेकर संकट के संक्रमण काल से गुजर रहा है. सोशल डिस्टेंस एवं लॉक डाउन के नियमो का पालन करने वाले दिहाड़ी मजदूरो एवं गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो को मदद के लिए सरकार ने अपने खजाने खोले तो देश की जनता ने संकट की घड़ी में अपने देश के खजाने में जी भर कर मदद के रूपयो – पैसो की भरमार कर दी.
छोटे – छोटे बच्चो ने अपने गुलक के पैसो को सरकारी कार्यालयों में जमा करवाते समय कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर अपलोड़ नहीं की लेकिन मध्यप्रदेश के सीमावर्ती बैतूल जिले के दो पूंजीपतियों ने एक दुसरे को नीचा दिखाने के चक्कर में जिले की उस गरीब की लंगोटी तक को सोशल मीडिया पर तार – तार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
हमारे देश में गरीबों, असहायों तथा शारीरिक व मानसिक रूप से असहाय लोगों की सेवा करने हेतु तरह -तरह के निजी व स्वयंसेवी संगठन कार्य कर रहे हैं. भारत में बड़े से बड़े दानी सज्जनों का भी एक ऐसा वर्ग है जो इस प्रकार के बेसहारा व कमज़ोर वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए मोटी से मोटी धनराशि उपलब्ध कराए जाने की कोशिश करता है. उदाहरण के तौर पर मानवता के कल्याण के लिए अभी कुछ समय पूर्व ही रतन टाटा जैसे उद्योगपतियों द्वारा अपनी आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा आपदा
प्रबंधन में पीएम राहत कोष में दान दिया गया. निश्चित रूप से इन उद्योगपतियों का अपना कद तथा इनके द्वारा दान में दी गई रक़म दोनों ही इतने बड़े थे कि परंतु यदि हम निचले स्तर पर दान दिए जाने के सिलसिले को देखें तो हमें इसमें श्रद्धा,उपकार या समाजसेवा का पहलू तो कम जबकि दान के बहाने शोहरत हासिल करने व पाखंड करने का पहलू अधिक दिखाई देता है. लगभग सभी धर्मशास्त्र हमें यही सिखाते हैं कि किसी व्यक्ति या परिवार को दिया जाने वाला दान गुप्त रूप से दिया जाना चाहिए.
इसकी मुख्य वजह यही है ताकि दान को स्वीकार करने वाले असहाय या मजबूर व्यक्ति को शर्मिंदगी का एहसास न हो. अपनी $गरीबी व मजबूरी के चलते वह स्वयं को अपमानित न महसूस करे. इसीलिए बंद मुठ्ठी से दान दिए जाने की बात कही गई है. इस्लाम धर्म तो यह कहता है कि यदि आप एक हाथ से किसी को दान स्वरूप कुछ दे रहे हैं तो आपके दूसरे हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए.
एक हाथ में पैकेज दुसरे हाथ से सेल्फी
मदद के बारे में कहा जाता शास्त्रो एवं पुराणो में रचित कथाओ में उल्लेख किया गया है कि मदद ऐसी हो कि एक हाथ से की जाए तो दुसरे हाथ को पता भी नहीं चलना चाहिए,लेकिन बैतूल जिले में इस समय सब कुछ उल्टा ही हो रहा है. सोशल मीडिया के दौर में एक हाथ में राहत पैकेज , दुसरे हाथ से सेल्फी खींच कर उस गरीब की गरीबी का मजाक बनाने का सिलसिला जारी है. अखण्ड भारत के केन्द्र बिन्दू कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में दो परिवार के युवाओ के बीच चली आई प्रतिस्पर्धा रूपी समाजसेवा ने अपनी सारी मर्यादा की हदो को पार कर दिया है.
प्रदेश में कांग्रेस एवं भाजपा की सरकारो के समय जिला मुख्यालय का कोठीबाजार एवं चक्कर रोड़ पावर सेंटर के रूप में पहचाने जाने लगे है. इन पावर सेंटरो से उनके परिवार के दिवंगत सदस्यों की स्मृति बने संस्थान एवं केन्द्रो से दानवीरता एवं दानदाता के रूप में दो युवराजो द्वारा स्वंय को महीमा मंडित करने के लिए लोगो को पैसे देकर काम पर लगा रखा है. गांव – गांव से एक राहत पैकेज के संग तस्वीर एवं भोजन के पैकेट के संग तस्वीरो को प्रतिदिन अपलोड़ करना है साथ ही वीडियों एवं लोगो की बाइट लेकर न्यूज चैनलो एवं बेव पोर्टलो को पैकेज के संग डेली भेजना है ताकि जिले में लोगो को पता चल सके कि मालगुजार और मालगुजारी करने वाले मुनीम में क्या फर्क है.
लॉक डाउन के बाद मदद को लेकर
नूरा कुश्ती में तार तार हो गई मर्यादा
बैतूल जिले में स्वर्गीय गोठी परिवार में मुनीम का काम करने आए स्वर्गीय हीरालाल खण्डेलवाल के पुत्र स्वर्गीय राम दयाल खण्डेलवाल पुराने जमाने के जनसंघी रहे है. जिले का मालगुजार डागा परिवार भी राजस्थान से बैतूल जिले में मुगल,मराठा,तथा ईस्टइंडिया कंपनी के समय बारी – बारी आकर बस गया.तीनो शासनकालो में शासको के द्वारा निर्घारित लगान की वसूली के लिए गांवो की मालगुजारी सौपाी गई. आजादी के बाद जनसंघ के रामदयाल खण्डेलवाल एवं कांग्रेस के हरकचंद डागा के बीच शुरू हुई राजनैतिक नूराकुश्ती आज भी जारी है.
स्वर्गीय आरडी खण्डेलवाल के हाथो हुई स्वर्गीय हरकचंद डागा की पराजय का बदला उसकी तीसरी पीढ़ी द्वारा लेने के बाद तीसरी पीढ़ी के बीच चला आ रहा राजनैतिक द्धंद आज भी देखने को मिल रहा है. प्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद दीन दयाल रसोई पर लगा ताला कांग्रेस की सरकार गिरते ही खुल गया. ऐसे में देश में कोरोना की जंग को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 21 दिन के लॉक डाउन के दौरान दोनो परिवारो का युद्ध अपनी सारी हदो को पार कर गया.
जैसे ही प्रदेश भाजपा कोषाध्यक्ष के द्वारा शुरू करवाई गई दीन दयाल रसोई के द्वारा तीन हजार गरीब लोगो को खाने के पैकेटो के वितरण की खबर सोशल मीडिया पर परोसी जाने लगी वैसे ही जिले का डागा फाऊडेंशन मददगार के रूप में सामने आ गया. इधर खाने के पैकेट तो उधर जरूरत मंदो को राहत पैकेज के फोटो प्रतिदिन सोशल मीडिया पर द्धंद का कारण बन गए. इस बीच जिला प्रशासन ने अचानक डागा फाऊडेंशन को मदद सामग्री बांटने को लेकर दी गई वाहनो की अनुमति पर रोक लगा दी. डागा परिवार के दो प्रमुख सदस्यों ने जिला कलैक्टर पर अपना पूरा आक्रोष का गुबार उड़ेल डाला.
पूर्व विधायक विनोद डागा एवं वर्तमान विधायक निलय विनोद डागा ने राहत पैकेज वितरण की अनुमति को निरस्त करवाने के लिए पूर्व विधायक एवं प्रदेश भाजपा कोषाध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल को निशाने पर ले लिया.
50 लाख के राहत पैकेज एक लाख लोगो की बांटे भोजन पैकेट
दो परिवारो की तथाकथित मदद को लेकर उठी निष्पक्ष जांच की मांग
बैतूल के पूर्व विधायक विनोद डागा एवं उनके पुत्र निलय डागा विधायक के द्वारा बैतूल विधानसभा क्षेत्र के गांवो एवं शहरो में गरीब परिवार को पांच सौ रूपये की राहत सामग्री वाले पैकेज बांटे जाने की घोषणा की गई. डागा परिवार द्वारा जारी प्रेस विज्ञिप्त में दांवा किया गया कि पचास लाख रूपये की राशी से डागा फाऊडेंशन द्वारा उक्त राहत पैकेज गांवो एवं मोहल्लो में कांग्रेसी कार्यकत्र्ता एवं डागा फाऊडेंशन के माध्यम से बटवाये गए.
बकायदा इस काम को लेकर विधायक निलय डागा का आभार मानते समाचार समाचार पत्रो एवं न्यूज चैनलो तथा पोर्टलो को भिजवाए गए. सोशल मीडिया के प्लेट फार्म पर आइटी सेल के 20 से 25 लोगो को बकायदा इसी काम में लगाया गया कि वे हाथो में मोबाइल के संग तस्वीर को खींच कर सोशल मीडिया पर परोसे साथ ही लोगो को बताया भी जाए कि उक्त मदद डागा फाऊडेंशन की ओर से दी जा रही है. राहत पैकेज पर बड़े – बड़े अक्षरो से प्रिंट करवाया गया. साबुन – तेल – नमक – आटा – दाल – मसाले – चावल के पैकेटो पर तस्वीरो को चस्पा किया गया.
आकड़ो की बाजीगरी सामने आए सच या झूठ
इधर भाजपा की ओर से प्रदेश भाजपा कोषाध्यक्ष समाचार पत्रो न्यूज चैनलो एवं बेव पोर्टलो पर पूरा एक पेज का सचित्र डिजाइन किया गया आभार छपवाया गया और उसे सोशल मीडिया पर जारी किया गया जिसमें भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल भी दिखाया गया. इस पोस्टर में लिखा गया कि दीन दयाल रसोई में 27 मार्च से जरूरत मंदो को सुबह – शाम एक लाख से ज्यादा भोजन पैकेज वितरीत किया गया. बैतूल गंज की ओर स्थित दीन दयाल रसोई केशर बाग में नगर पालिका परिषद द्वारा शुरू की गई.
इस रसोई को नगरीय निकाय एवं जिला आपदा प्रबंधन द्वारा राहत पैकेज देकर शुरू करवाया गया जबकि भाजपा की ओर से कहा गया कि पूर्व सासंद एवं पूर्व विधायक हेमंत खण्डेलवाल द्वारा एक लाख रूपये देकर शुरू करवाई गई दीन दयाल रसोई में 27 मार्च से लेकर आज दिनांक तक 50 लाख रूपये की राहत सामग्री एवं दान राशी दान दाताओ द्वारा दी गई लेकिन आभार प्रदर्शन मे उन दान दाताओ को दर किनार कर भाजपाईयों ने अपनी ही तस्वीरो को छपवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. इधर नगर पालिका अपने प्रेस नोट में जानकारी दे रही है कि उसके द्वारा शुरू की गई रसोई से प्रतिदिन 3 हजार पैकेट बनवाए जा रहे है.
27 मार्च से शुरू हुई रसोई ने 21 दिनो में एक लाख कैसे पैकेज बना कर बांट डाले…! इसी तरह डागा फाऊडेंशन द्वारा 5 सौ रूपये की लागत से बने 10, 000 हजार पैकेज बैतूल विधानसभा क्षेत्र में बांटे गए. कांग्र्रेसी पूर्व विधायक एवं वर्तमान विधायक पिता पुत्र की जोड़ी में शामिल डागा फाऊडेंशन की डायरेक्टर श्रीमति दीपाली निलय डागा द्वारा खर्च की गई 50 लाख रूपये की राहत सामग्री सोशल मीडिया पर छाई हुई है.
आरोप – प्रत्यरोप के बीच डागा परिवार की ओर से कहा गया कि भाजपा की ओर से जिन एक लाख लोगो को भोजन पैकेज दिया गया उनके नाम एवं पते तथा छायाचित्र जारी किया जाए ताकि पता चल सके कि वास्तव में जरूरत मंद लोगो को ही भोजन के पैकेज दिए गए है. इस दांवे के पीछे डागा परिवार की आईटी टीम की तथाकथित सफलता है जिसने गांव – गांव जाकर तस्वीरो के संग राहत सामग्री के पैकेज दिए है.
सवाल यह उठता है कि बैतूल विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 10 हजार जरूरत मंद कांग्रेस के 15 महीने के कार्यकाल में क्या भूखे मर रहे थे या उनके पास रोजगार के साधन थे …! ऐसे मे जब दो परिवार आपस में मदद को लेकर इस तरह लड़ रहे है तब वे मददगार कहां गए जो सरकारी सेवक एवं अन्य थे जिन्होने बिना किसी प्रो पो गण्डा के लोगो को मदद दी और चलते बने.
अब दोनो पक्षो के दांवो को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है कि ऐसी मदद जो किसी गरीब की गरीबी का मजाक उड़ाती है उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए तथा मदद का ऐसा पाखण्ड को बलपूर्वक बंद करवा देना चाहिए.
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