- March 14, 2015
श्रीलंका की संसद में प्रधानमंत्री
संसद एशिया के सबसे पुराने सबसे सशक्त लोकतांत्रिक देशों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है।
श्रीलंका की जनता के लिए, आयुबुवान, वनक्कम।
मैं बोधगया की भूमि से अनुराधापुरा की भूमि तक आशीर्वाद लेकर आया हूं।
मैं मानता हूं कि किसी देश का भविष्य उसके पड़ोसी देशों द्वारा प्रभावित होता है।
जो सपने में भारत के भविष्य के लिए देखता हूं वही कामना अपने पड़ोसी देशों के लिए भी करता हूं।
जब हम कदम से कदम मिलाकर चलेंगे तो हमारा रास्ता आसान होगा, हमारी यात्रा जल्दी पूरी होगी और हमारा गंतव्य अपेक्षाकृत निकट होगा।
जैसा कि मैं यहां कोलम्बो में खड़ा हूं और उत्तर में हिमालय की ओर देखता हूं, तो मैं हमारे क्षेत्र की अद्वितीयता हमारी समृद्ध विविधता और हमारी साझा सभ्यता के संबंधों पर अचंभित हूं।
हम सभी समान तंतुओं और हमारे अन्योन्याश्रित इतिहास से बनाए गए हैं।
आज हम गौरवान्वित, स्वतंत्र और समान राष्ट्रों के रूप में एक साथ खड़े हैं।
यद्यपि भारत और श्रीलंका के बीच कोई भूमि सीमा नहीं है, किंतु हम सभी अर्थों में निकटतम पड़ोसी हैं।
चाहे हम भारत अथवा श्रीलंका में कहीं भी नजर आएं, हम धर्म, भाषा, संस्कृति, खाद्य, रीति-रिवाज, परंपरा, धर्मग्रंथों के माध्यम से जुड़े हैं और ये हमें मेल-जोल और मैत्री के सशक्त बंधन में बांधकर एक साथ लाते हैं।
हमारे संबंध महेन्द्र और संघमित्रा की यात्रा द्वारा काफी अच्छे रूप में परिभाषित हैं। उन्होंने दो सहस्त्राब्दि से भी अधिक पहले शांति, सहनशीलता और मैत्री संदेश लेकर आए थे।
महान तमिल ग्रंथ सिलापतिकरम के मुख्य पात्र कन्नागी द्वारा इसका चित्रण किया गया है, जिसे श्रीलंका में पट्टीनी की देवी के रुप में पूजा जाता है।
श्रीलंका में रामायण की निशानी में इसका स्थान है।
नागोर अंडावर की दरगाह और वेलांकनी के ईसाई धर्म स्थल पर भक्ति के रुप में यह अपने आप को प्रकट करता है।
यह स्वामी विवेकानंद और श्रीलंका और भारत में महाबोधि सोसायटी के संस्थापक अनागरिका धर्मापाला की मैत्री में प्रतिबिंबित है।
भारत और श्रीलंका में महात्मा गांधी के अनुयायियों के कार्य में यह स्थित है।
कुल मिलाकर हमारे संबंध आम भारतीय और श्रीलंका के लोगों के एक ही जैसे जीवन-यापन पर भी आधारित हैं।
हमारा स्वतंत्र जीवन लगभग एक ही समय में शुरु हुआ।
तब से लेकर श्रीलंका ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
मानवीय विकास के क्षेत्र में यह राष्ट्र हमारे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है। श्रीलंका में उद्यमशीलता और कौशल के साथ असाधारण बौद्धिक विरासत मौजूद है।
यहां विश्वस्तरीय व्यापार मौजूद है।
दक्षिण एशिया में सहयोग बढ़ाने के मामले में श्रीलंका की अग्रणी भूमिका है।
यह हिंदमहासागर क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
श्रीलंका की प्रगति और समृद्धि भारत के लिए भी शक्ति का स्रोत है।
इसलिए श्रीलंका की सफलता भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
एक मित्र के रूप में श्रीलंका के साथ हमारी शुभकामनाएं, हमारा समर्थन और एकजुटता हमेशा रही है।
और, आपके लिए यह हमेशा रहेगा।
हमारे क्षेत्र में हम सबके लिए हमारी सफलता इस बात पर निर्भर है कि हम अपने आप को एक राष्ट्र के रुप में किस प्रकार परिभाषित करते हैं।
इस क्षेत्र में हम सभी, वस्तुतः प्रत्येक विविधतापूर्ण राष्ट्र ने अपने समाज के विभिन्न हिस्से की पहचान और समावेशन, अधिकार और दावे, सम्मान और अवसर के मुद्दे से निपटने का काम किया है।
हम सब ने इन्हें विविध रुपों में देखा है। हमने दुखदायी हिंसा का सामना किया है। हमने बर्बर आतंकवाद का मुकाबला किया है। हमने शांतिपूर्ण समाधानों के सफल उदाहरण भी देखे हैं।
हम सभी अपने तरीके से इन जटिल समस्याओं के समाधान में जुटे हैं।
निश्चित तौर पर मेरे सामने भी कुछ समस्याएं हैं और हम उनका समाधान चाहते हैं।
विविधता राष्ट्रों के लिए शक्ति का एक स्रोत हो सकता है।
जब हम हमारे समाज के सभी हिस्से की आकांक्षाओं को एक साथ लाते हैं तो राष्ट्र को प्रत्येक व्यक्ति का शक्ति प्राप्त होती है।
और, जब हम राज्यों, जिलों और गांवों का सशक्तिकरण करते हैं तब हमारा देश अधिकाधिक मजबूत बनता है।
इसे आप मेरी तरफदारी कह सकते हैं, क्योंकि मैं 13 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहा हूं और प्रधानमंत्री तो एक वर्ष से भी कम समय से हूं।
आज भारत के राज्यों को और भी मजूबत बनाना मेरी शीर्ष प्राथमिकता है। मैं एक सहयोग आधारित संघवाद में पूरी तरह विश्वास रखता हूं।
इसलिए हम राज्यों के लिए और भी अधिक शक्ति और संसाधन विकसित करने में जुटे हैं। इसी क्रम में हम उन्हें निर्णय लेने की राष्ट्रीय प्रक्रिया में औपचारिक साझेदार बना रहे हैं।
श्रीलंका कई दशकों से दुखदायी हिंसा और विवाद के साये में रहा है। आपने आतंकवाद को सफलतापूर्वक पराजित किया है और संघर्ष को समाप्त किया है।
अब आपके सामने समाज के सभी हिस्से के दिलों को जीतने और उनके जख्मों को ठीक करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।
श्रीलंका में हाल में सम्पन्न चुनावों ने राष्ट्र की सामूहिक आवाज दर्शाने के साथ-साथ बदलाव, समाधान और एकता की उम्मीद भी जगाई है।
हाल में आपने जो कदम उठाए हैं वे मजबूत और सराहनीय हैं। वे नई शुरूआत के परिचायक हैं।
मुझे श्रीलंका के एक ऐसे भविष्य के प्रति भरोसा है जो एकता व अखण्डता, शांति और भाईचारा तथा सबके लिए अवसर और सम्मान के द्वारा परिभाषित है।
इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए श्रीलंका की क्षमता में मेरा भरोसा है।
यह हमारी सभ्यता की साझा विरासत की जड़ में स्थित है।
भविष्य का मार्ग एक ऐसा विकल्प है जिसे श्रीलंका को चुनना होगा और समाज के सभी हिस्से तथा देश के सभी राजनीतिक दलों का यह सामूहिक उत्तरदायित्व है।
किन्तु मैं आपको इसका आश्वासन दे सकता हूं।
भारत के लिए श्रीलंका की एकता और अखण्डता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
यह हमारे हित के मूल में है। इस सिद्धांत में हमारे अपने मौलिक विश्वास से यह अंकुरित होता है।
माननीय अध्यक्ष और गणमान्य सदस्यो,
एक आदर्श पड़ोस का मेरा दृष्टिकोण ऐसा है जिसमें व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी अवधारणा और व्यक्ति आसानी से सीमा के आर-पार पहुंचते हैं। जब क्षेत्र में साझेदारी नियमित तौर पर आसानी को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाती है।
भारत में विकास के दौर को पुनर्स्थापित किया गया है। भारत विश्व में सबसे तीव्र बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है।
विश्व भारत को आर्थिक अवसर के एक नए क्षितिज के रुप में देखता है।
किन्तु हमारे पड़ोसी देशों का भारत पर पहला दावा होना चाहिए और मैं फिर दोहराता हूं कि भारत पर पहला दावा हमारे पड़ोसियों का, श्रीलंका का है।
यदि भारत अपने पड़ोसियों की प्रगति का उत्प्रेरक बनता है तो मुझे खुशी होगी।
हमारे क्षेत्र में, श्रीलंका के पास हमारा सबसे मजबूत आर्थिक साझेदार साबित होने की संभावना है।
हम व्यापार बढ़ाने और इसे और भी अधिक संतुलित करने के लिए आपके साथ काम करेंगे।
भारत का व्यापारिक वातावरण और भी अधिक खुला बन रहा है। इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में श्रीलंका को दूसरों की तुलना में पीछे नहीं होना चाहिए।
यही कारण है कि हमें एक महत्वाकांक्षी व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता कायम करना चाहिए।
भारत और किसी अन्य देश में निर्यात के लिए और आपके बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश के लिए भारत एक स्वाभाविक स्रोत भी हो सकता है। हमने इस समय अच्छी प्रगति की। महासागरीय अर्थव्यवस्था की व्यापक संभावना का लाभ उठाने के लिए हमें साथ आना चाहिए।
दक्षिण एशियाई क्षेत्र और संबंधित बिम्सटेक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में हमारे दोनों देशों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
भूमि और समुद्र द्वारा जुड़े इस विशाल क्षेत्र को जोड़ते हुए हमारे दोनों देश क्षेत्रीय समृद्धि का वाहक बन सकते हैं।
श्रीलंका के साथ साझेदारी विकसित करने के लिए भारत की ओर से पूरी प्रतिबद्धता का मैं आपको आश्वासन भी देता हूं। हम इसे एक जिम्मेदार मित्र और पड़ोसी की जिम्मेदारी के रूप में देखते हैं।
भारत ने विकास सहायता में 1.6 अरब अमरीकी डालर की प्रतिबद्धता की है। आज हमने रेलवे क्षेत्र के लिए अधिकतम 31.8 करोड़ डालर की अतिरिक्त सहायता की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
हम विकास के क्षेत्र में अपनी साझेदारी जारी रखेंगे। हम आपकी सरकार द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे और हम उस पारदर्शिता के समान स्तर के साथ ऐसा करेंगे, जिसकी उम्मीद हम अपने देश में करते हैं।
पिछले माह हमने नाभकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में सहयोग पर आधारित समझौते पर हस्ताक्षर किए।
कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में हम श्रीलंका के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए व्यापक संभावना देखते हैं जो इस क्षेत्र में किसी स्थान की तुलना में अधिक है।
हम आशा करते हैं कि श्रीलंका सार्क क्षेत्र के लिए भारतीय उपग्रह से पूरा लाभ प्राप्त करेगा। दिसम्बर, 2016 तक इसे अंतरिक्ष में होना चाहिए।
जनता हमारे संबंधों के केन्द्र में है। जब हम लोगों से जुड़ते हैं तो देशों के बीच संबंध और भी मजबूत होते हैं। यही कारण है कि हमने श्रीलंका के नागरिकों के लिए आगमन पर वीजा सुविधा का विस्तार करने का निर्णय लिया है।
हम दोनों देशों के बीच संपर्कता भी बढ़ाएंगे। हम संस्कृति और धर्म के सबंधों को भी मजबूत करेंगे। पिछले महीने हमने दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय और कपिलवस्तु के अवशेषों को देखने के लिए आने वाले श्रीलंका के नागरिकों के लिए शुल्कों में कटौती की घोषणा की है। हम एक प्रदर्शनी के माध्यम से हमारी साझा बौद्ध विरासत को आपके लिए और भी निकट लाएंगे। इसके साथ ही, हम बौद्ध और रामायण से जुड़े स्थलों को विकसित करेंगे। मेरी जन्मभूमि बड़नगर प्राचीनकाल में बौद्ध शिक्षण का एक अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र था। उत्खन्न कार्यों से 2000 छात्रों के लिए एक छात्रावास होने का पता चला है और हमारे पास इसके केन्द्र को फिर से विकसित करने की योजना है।
माननीय अध्यक्ष जी,
समृद्ध भविष्य के लिए हमारे देशों में सुरक्षा का एक मजबूत आधार और क्षेत्र में शांति तथा स्थायित्व होने की जरुरत है।
हमारे दोनों देशों की सुरक्षा अदृश्य है। उसी प्रकार, हमारे समुद्री पड़ोस के लिए हमारा साझा उत्तरदायित्व स्पष्ट है।
भारत और श्रीलंका इतने करीब हैं कि वे एक दूसरे की उपेक्षा नहीं कर सकते। न ही हम एक दूसरे से अलग हो सकते हैं।
हमारे हाल के इतिहास ने दर्शाया है कि हम एक साथ कष्ट झेलते हैं और जब हम एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं तो और भी अधिक प्रभावित होते हैं।
हमारे सहयोग से वर्ष 2004 में सुनामी विभीषिका से निपटने में मदद मिली। एक मुख्यमंत्री के रूप में वर्ष 2001 में भुज में आए भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के क्षेत्र में हमारे अनुभव को साझा करके मुझे प्रसन्नता हुई थी।
हमारे दोनों देशों के सामने स्थानीय चुनौतियां शेष हैं। किन्तु, हम नए रूपों में और नये स्रोतों से उत्पन्न होती चुनौतियों को देखते हैं। हम आतंकवाद के वैश्वीकरण को देख रहे हैं। हमारा सहयोग की आवश्यकता कभी भी आज की तुलना में सशक्त नहीं रही है।
हिंदमहासागर हमारे दोनों देशों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है और यदि हम साथ मिलकर काम करेंगे, विश्वास का एक वातावरण कायम करेंगे, और एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील बने रहेंगे। तो हम इन लक्ष्यों तक पहुंचने में और भी अधिक सफल हो सकते हैं।
हम श्रीलंका के साथ अपने सुरक्षा सहयोग को काफी महत्व देते हैं। हमें भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग का विस्तार करना चाहिए ताकि हिंदमहासागर क्षेत्र के अन्य देशों को इसमें शामिल किया जा सके।
मैं अक्सर कहता हूं कि 21वीं सदी की प्रगति हिंदमहासागर की धाराओं द्वारा निर्धारित होगी। इस क्षेत्र में इसकी दिशा को निर्धारित करना देशों का उत्तरदायित्व है।
हिंदमहासागर के आर-पार हम दो राष्ट्र हैं। एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध समुद्री पड़ोस के निर्माण में आपका नेतृत्व और हमारी साझेदारी महत्वपूर्ण है।
आपस में काफी गहराई से जुड़े हमारे जीवन में अंतर होना स्वाभाविक है। कभी-कभी इससे आम लोगों का जीवन प्रभावित होता है। हमें अपनी वार्ता में खुलापन लाने के साथ-साथ हमारे मानवीय मूल्यों को सशक्त बनाने और उनके समाधान के लिए अपने संबंध में सदभाव लाना जरुरी है।
माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्रीलंका और भारत अपनी जनता के सपनों को साकार करने के लिए एक महान अवसर और उत्तरदायित्व के क्षण में हैं।
यह समय हमारी साझेदारी की नई शुरूआत और उसकी नई मजबूती के लिए हमारे संबंधों में नवीनता लाने का है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी नजदीकी हमेशा निकटता के रूप में बदले।
हमने उस समय सम्मानित महसूस किया जब राष्ट्रपति सिरीसेना ने पिछले माह भारत को अपने पहले गंतव्य के रूप में चुना। मैं यहां उनके सबसे पहले अतिथि के रूप में भी सम्मानित महसूस करता हूं।
कल मैं माधु रोड के लिए रेलगाड़ी को झण्डी दिखाकर रवाना करने के लिए तलाईमन्नार जाउंगा। यह भारत और लंका के बीच पुराने रेल संपर्क का हिस्सा है।
मैं 20वीं सदी की शुरूआत में महान राष्ट्रवादी कवि सुब्रमण्यन भारती द्वारा रचित प्रसिद्ध गीत “सिंधु नादिइन मिसाई” की पंक्तियों को याद करता हूं :
“सिंगलातिवुक्किनोर पालाम एमेईप्पोम” (हम श्रीलंका तक एक सेतु बनाएंगे)
मैं इस सेतु के निर्माण की आशा के साथ आया हूं- एक सेतु जो हमारी साझा विरासत के सशक्त स्तम्भों, साझा मूल्यों और दृष्टिकोण, परस्पर सहायता और एकजुटता, मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और लाभदायक सहयोग से भी अधिक एक-दूसरे के प्रति विश्वास और हमारी साझा नियति के स्तम्भों पर खड़ा हो।