शौर्य को सलाम। सियासत पर अंकुश।

शौर्य को सलाम। सियासत पर अंकुश।

सज्जाद हैदर ——–देश के सूर-वीरों तुम्हें इस देश का सलाम। तुम्हारी वजह से ही आज हम सुरक्षित हैं, अन्यथा दुश्मन देशों की निगाहें भारत के प्रति टेढ़ी ही रहती हैं। वह चाहे ड्रैगन हो अथवा आतंकिस्तान। आज भारत की सेना ने विश्व के सामने अपने शौर्य एवं पराक्रम का एक रूप प्रस्तुत कर दिया।

हमारा पड़ोसी देश जिस भाषा को समझता है उसी की भाषा में हमारे जवानों ने उसको जवाब दिया है। आज पूरा देश अपने आपको गौरवशाली समझ रहा है। लगातार भारत के खिलाफ आतंकी साज़िश चलाने वाले पड़ोसी देश को आज समझ आ गया होगा कि भारत एक सभ्य राष्ट्र है, न कि कायर।

भारत अपने सभी पड़ोसी देशों को लगातार अमन,चैन,शान्ति की दिशा में चलने का संदेश देने का प्रयास करता है। भारत चाहता है कि यदि लड़ना है तो गरीबी से लड़ो। यदि युद्ध करना है तो बेरोजगारी के प्रति करो। यदि विरोध करना है तो अशिक्षा का विरोध करो।

भारत चाहता है कि अपने आपको संपन्न करो और आगे बढ़ो। जिसमें हमारे कई पड़ोसी देशों ने भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना आरंभ किया और उसके परिणाम आज विश्व के सामने है। हमारे पड़ोसी देशों की सूची में बांग्लादेश,भूटान, नेपाल, अफगानिस्तान,ईरान जैसे देश हैं जिनके साथ भारत के रिश्ते अच्छे ही नहीं अपितु सर्वश्रेष्ठ हैं।

ईरान अफगानिस्तान का व्यवहार भारत के प्रति जगजाहिर है।

भारत के रिश्ते अपने पड़ोसी देशों के प्रति कैसे हैं इसका उदाहरण देने की आवश्यकता नहीं है। भारत जातिवाद से ऊपर उठकर समाजवाज की दिशा में कार्य करने वाला देश है। क्योंकि, ईरान और अफगानिस्तान दोनों देश मुस्लिम देश ही हैं। अरब अमीरात से भी भारत के अच्छे रिश्ते हैं।

अतः जातीय आधार पर हमारे पड़ोसी देश आतंकिस्तान को सोचना चाहिए। जोकि, युवाओं को बहकाकर भारत के प्रति युवाओं के हृदय में जहर घोलने का कार्य करता है। आतंकिस्तान में बैठे हुए उन आतंकी आकाओं से मुझे कहना है कि अब समय आ गया है। कि तुम सीधे रास्ते पर हो जाओ अन्यथा अब तुम्हारी आतंकी दुकाने बंद करने की योजना भारत ने बना ली है।

इन आकाओं की ही उपज है। जोकि, युवाओं के हृदय में भारत के प्रति जहर घोलने का कार्य किया जाता है। हमें उन बहके हुए युवाओं से कहना है कि तुम अपनी बुद्धि से कार्य क्यों नहीं ले रहे हो। क्योंकि, यह आतंकी तुम्हारे कंधे पर अपनी दुकाने रखकर चलाते हैं। और तुम हो कि इन आतंकियों के इशारे पर कार्य करने के लिए अग्रसर हो जाते हो।

देश की स्थिति को बिगाड़ने में हमारे देश के अलगाववादियों की अहम भूमिका है। जोकि, देश के युवाओं को गुमराह करके आतंक के रास्ते पर ले जाकर खड़ा कर देते हैं। अभी तक तो यह कहा जाता रहा कि अशिक्षा के कारण युवा भटक रहे हैं। परन्तु, पूर्ववर्ती घटना क्रमों को यदि ध्यान से देखें तो अजब ही स्थिति उभरकर सामने आती है।

देश का पढ़ा लिखा वर्ग भी जिस तरह से इन आतंकियों के चंगुल में फंसता जा रहा है यह अत्यंत चिंता का विषय है। यह आतंकी इन युवाओं को देश के प्रति भड़काते हैं, गुमराह करते हैं। और जातीय स्तर पर भारत के प्रति जहर घोलने का कार्य करते हैं। उसके बाद अपने उद्देश्य की ओर लेकर अग्रसर हो जाते हैं। मैं उन युवाओं से कहना चाहता हूँ कि यह भारत देश आपका है।

आप इस देश की शिक्षा,दीक्षा,नौकरी,व्यवसाय एवं राजनीति में हिस्सा लें न कि इससे इतर। इससे कुछ भी भला नहीं होने वाला। जितनी इनर्जी आप देश के विरुद्ध लगाते हो यदि इतनी इनर्जी देश के प्रति लगा दो तो इसके परिणाम आपको निश्चित दिखाई देंगे। यदि कश्मीर की राजनीति इन कश्मीरी युवाओं को अपने राजनीतिक हथियारों के रूप प्रयोग करना त्याग दे तो वह दिन भी दूर नहीं कि कश्मीर की तकदीर एवं तस्वीर दोनों बदल जाए।

परन्तु, हम इसे देश का दुर्भाग्य कहें अथवा कश्मीर के युवाओं की बुद्धिहीनता।

क्योंकि, कश्मीर के उन पत्थर बाजों को यह क्यों समझ नहीं आता कि जिनके बहकावे में अथवा जिनके लिए वह पत्थर लेकर सड़कों पर तांडव करते हैं उनके आकाओं की संताने क्या तुम्हारी तरह ही तुम्हारे साथ में पत्थर लेकर सड़कों पर तांडव करती हैं अथवा कहीं और विदेशों में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हमें आश्चर्य होता है कि यह कश्मीर के युवा ऐसा क्यों नहीं सोचते कि हम जिनके लिए पत्थर बाजी कर रहे हैं उनकी संताने विदेशों में अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। और हम पत्थर बाजी में ही उलझे हुए हैं।

सत्यता यही है कि यह अलगाववादी नेता अपनी संतानों को बाहर भेजकर कश्मीर के नौजवानों को अपना राजनीतिक हथियार बनाते हैं। यदि सरकार इन अलगाववादी नेताओं पर प्रतिबंध लगाए और कश्मीर के युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करे तो देश की स्थिति में काफी तेजी से सुधार होना तय है। यदि शब्दों को बदलकर कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा कि कश्मीर की राजनीति ही इन सभी समस्यओं की जड़ है।

यदि कश्मीर की राजनीति में बदलाव आ जाए तो यह सारी समस्याएं स्वयं समाप्त हो जाएंगी। परन्तु, कश्मीर की राजनीति में बदलाव तभी संभव होगा जब इन अलगाववादियों के साथ भारत सरकार सख्ती से निपटे। यदि भारत सरकार अलगाववादी विचार धाराओं के गुरूओं से सख्ती के साथ निपटती है तो कश्मीर एवं देश की समस्या को पूर्ण रूप से समाप्त किया जा सकता है।

हमारी सेना ने जिस तरह का अपनी क्षमता का रूप दिखाया है वह प्रशंसनीय है। परन्तु, हमें देश के भीतर सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखना होगा। क्योंकि, यह जहरीले आतंकी किसी भी समय कोई बड़ी घटना को अंजाम देने की जुगत में लगे रहेंगें और मौका मिलते ही साज़िश को अंजाम देने का प्रयास करेंगे।

साथ ही चीन की सभी गतिविधियों एवं चालों को भी अब हमें बड़ी ही गंभीरता के साथ देखने की आवश्यकता है। क्योंकि, चीन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है। वह किसी भी प्रकार की साज़िश करे इससे पहले हमें सचेत रहने की आवश्यकता है।

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