- October 12, 2015
शैक्षिक विकास में सामूहिक जिम्मेदारी से नए आयाम स्थापित करें – शिक्षा राज्य मंत्री
जयपुर – शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने समग्र शैक्षिक विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए जन प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों से समन्वित प्रयासों तथा आत्मीय भागीदारी से आगे आने का आह्वान किया है।
शिक्षा राज्यमंत्री ने रविवार को उदयपुर के टीआरआई सभागार में उदयपुर संभाग के जन प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों की बैठक में यह आह्वान किया।
इसमें उदयपुर संभाग के जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों ने शैक्षिक विकास पर गहन मंथन किया और मिलजुल कर शैक्षिक विकास में समर्पण का संकल्प लिया। बैठक में उदयपुर सांसद श्री अर्जुनलाल मीणा, बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद श्री मानशंकर निनामा, संभाग के विधायकगण सर्वश्री फूलसिंह मीणा (उदयपुर ग्रामीण), दलीचंद डांगी (मावली), नानालाल अहारी (खेरवाड़ा), अमृतलाल मीणा (सलूम्बर), सुशील कटारा (चौरासी, डूंगरपुर), भीमा भाई डामोर (कुशलगढ़), अनिता कटारा (सागवाड़ा), चन्द्रभान सिंह आख्या (चित्तौडग़ढ़), सुरेश धाकड़ (बेगूं), गौतम कुमार दक (बड़ी सादड़ी), अर्जुनलाल जीनगर (कपासन), गोपीचंद मीणा (आसपुर) तथा गौतम लाल मीणा (धरियावद), शासन सचिव (प्रारंभिक शिक्षा) कुंजीलाल मीणा, शासन सचिव (माध्यमिक शिक्षा) नरेशपाल गंगवार, शिक्षा निदेशक बी.एल.मीणा, शिक्षा उपनिदेशक भरत मेहता सहित संभागभर के जिला शिक्षा अधिकारियों (प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा) तथा अन्य विभागीय अधिकारियों ने भाग लिया।
शिक्षा राज्यमंत्री ने बैठक में संभाग के सभी जिलों की शैक्षिक स्थिति के तमाम पहलुओं पर जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से चर्चा की और शैक्षिक गुणवत्ता विस्तार, विभिन्न समस्याओं के निराकरण, विद्यालयों के भौतिक विकास, शिक्षण प्रबन्धन, शिक्षकों व छात्रोंं के अनुपात में वर्तमान व्यवस्थाओं में सुधार, नामांकन एवं ठहराव, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, स्टाफ पैटर्न, क्रमोन्नयन, पदोन्नति आदि सभी बिन्दुओं पर जिले वार चर्चा की और जनप्रतिनिधियों की राय भी जानी।
बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्थान में बेहतर शिक्षा विकास और विभागीय कामकाज को और अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने में सरकार हर संभव कोशिशों में जुटी हुई है और जहां कोई कमी सामने आएगी उसका त्वरित समाधान किया जायेगा।
देवनानी ने शिक्षा विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे विभागीय गतिविधियों में जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी एवं भागीदारी सुनिश्चित करें, शिलान्यास एवं लोकार्पण तथा अन्य गतिविधियां क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के हाथों करवाएं। इसके साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से निरंतर संवाद बनाए रखें, उनका सहयोग लें तथा उनकी राय से काम करें।
उन्होंने जनप्रतिनिधियोंं से कहा कि वे शिक्षा विभागीय गतिविधियों को बेहतर बनाने में अपनी हर संभव भागीदारी अदा करें, स्कूल-छात्रावासों का निरीक्षण करें और जहां कहीं भी कोई कमी दिखे उसे दूर करने में मददगार बनने के साथ ही विद्यालय विकास में भी अपनी भूमिका अदा करें।
शिक्षा राज्यमंत्री ने शिक्षा विभागीय अधिकारियों से स्कूलों में साईकल वितरण कराने, टीम के रूप में काम करने, निरीक्षण व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने, बच्चों की शिक्षा को सर्वोपरि मानने, दो माह में सैकेण्डरी सेटअप का पूरा कम्प्यूटराइर््जेशन करने, वंचित स्कूलों में बिजली-पानी पहुंचाने को प्राथमिकता देने, नामांकन बनाये रखने की जिम्मेदारी निभाने तथा अपने समर्पित दायित्वों की बदौलत सरकारी स्कूलों की बढ़ती विश्वसनीयता को बनाये रखने के लिए निरंतर प्रयासों में जुटने के लिए कहा।
शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में बहुआयामी शैक्षिक विकास के ठोस प्रयास हो रहे हैं और स्टाफ पैटर्न से विद्यालयी शिक्षा का स्वरूप निखरा है। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये कि एक-एक स्कूल की रिपोर्ट तैयार कर विभाग को भेजें।
उन्होंने बताया कि 15 अक्टूबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मदिन को विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इसे प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने सभी से अपील की। प्रो. देवनानी ने सांसदों व विधायकों से आग्रह किया कि वे विद्यालयों में पानी-बिजली और अन्य भौतिक सुविधाओं के विकास के लिए अपनी ओर से हरसंभव योगदान दें।
शिक्षा राज्यमंत्री ने राजस्थान में शैक्षिक विकास को ऐतिहासिक बताया और कहा कि प्रदेश में 42 हजार शिक्षकों की डीपीसी कराकर पदोन्नति का लाभ दिया गया, प्रदेश में पांच हजार स्कूल पहली बार क्रमोन्नत हुए। इसके साथ ही 13 हजार से अधिक शिक्षकों के पद सृजित कर इनकी भर्ती के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग को अभ्यर्थिता भेज दी गई है। उन्होंने भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने तक रिटायर्ड जनों से शिक्षण कराने के निर्देश दिये है।
उन्होंने शिक्षाधिकारियों से कहा कि वे वर्तमान में उपलब्ध सभी संसाधनों का अधिकतम व बेहतर उपयोग सुनिश्चित करें और यह प्रयास करें कि उदयपुर संभाग भर में सभी शैक्षिक व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहें। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को स्टाफ पैटर्न के मुताबिक कमी वाले स्कूलों में शिक्षक भेजने, खेल मैदान का काम कराने, स्वीकृत पदों की बजाय विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की व्यवस्था करने, स्कूल व कार्यालय मरम्मत के प्रस्ताव भिजवाने, विद्यालयवार शिक्षा व्यवस्था की रिपोर्ट भिजवाने, शिक्षण व्यवस्था में 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों के बोर्ड परिणाम सुधार पर ध्यान देने, न्यायालय में लंबित प्रकरणों के प्रति गंभीर रहने आदि के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों में इस बार पहले के वर्षोंं की बजाय बेहतर नामांकन हुआ है और इसे बनाए रखने की जिम्मेदारी सभी की है। इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की बढ़ती विश्वसनीयता को कायम रखते हुए इसमें और अधिक अभिवृ्द्धि की जाए।
जन प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में शैक्षिक स्थितियों के बारे में जानकारी दी और अतिरिक्त कक्षा कक्षों के निर्माण, विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में शिक्षक लगाने, दूरस्थ क्षेत्रों में कम विद्यार्थियों के लिए मोबाइल वेन लगाने, शिक्षा विभागीय गतिविधियों में जन प्रतिनिधियों की भागीदारी, शारीरिक शिक्षकों की उपलब्धता, शिक्षकों का ठहराव बनाए रखने, शिक्षकों की स्थानान्तरण नीति बनाने, बिजली विहीन सुदूरवर्ती पहाड़ी क्षेत्रें में सौर ऊर्जा का लाभ लेने, स्कूलों में शुद्ध पेयजल के लिए आरओ व्यवस्था, विद्यालयों की चहारदीवारी बनवाने, निगरानी के प्रबंध, जनजाति उपयोजना क्षेत्र के बाहर लगे हुए कार्मिकों को अपने गृह जिलों में लगाने, ग्रामीण क्षेत्रें में आवश्यकतानुसार शिक्षक लगाने आदि के सुझाव दिए।
शासन सचिव श्री नरेशपाल गंगवार एवं श्री कुंजीलाल मीणा ने माध्यमिक एवं प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित नवीन निर्देशों की जानकारी दी और विभिन्न समस्याओं व जिज्ञासाओं का समाधान किया।
शिक्षा निदेशक श्री बीएल मीणा ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को विभागीय सर्कुलरों व ताजा निर्देशों से अवगत कराया और स्कूलों तथा कार्यालयों की मरम्मत के प्रस्ताव भिजवाने, विद्यालय विकास की राशि बच्चों की सुख-सुविधा पर खर्च करने, भामाशाहों को प्रेरित कर विद्यालय विकास को बढ़ावा देने, भ्रमण व निरीक्षण पर जोर देने, जीर्णशीर्ण स्कूल भवनों का हटाने, प्राथमिक स्कूलों में योग्यतम व अधिक पात्रता रखने वाले शिक्षकों की जरूरत वाले माध्यमिक स्कूलों में सेवाएं लेने, खेल मैदानों का सौ फीसदी काम सुनिश्चित करने सहित विभिन्न निर्देश दिए।
आरंभ में उप निदेशक श्री भरत मेहता ने शिक्षा राज्यमंत्री सहित सभी अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों का स्वागत किया और संभाग की शैक्षिक गतिविधियों का संक्षिप्त परिचय पेश किया। संभाग के जिला शिक्षा अधिकारियों एवं अन्य विभागीय अधिकारियों ने जिले की शैक्षिक स्थिति के बारे में जानकारी दी।