- April 12, 2018
शुभ्र ज्योत्सना पेंशन 1 नवम्बर,2017 से लागू
चंडीगढ —हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा राज्य शुभ्र ज्योत्सना पेंशन तथा अन्य सुविधाएं योजना, 2018 को स्वीकृति प्रदान की गई जो 1 नवम्बर,2017 से लागू होगी।
इस योजना के तहत, हरियाणा के ऐसे निवासियों को 10,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी, जिन्होंने 25 जून,1975 से 21 मार्च,1977 तक आपातकाल की अवधि के दौरान सक्रिय रूप से भाग लिया और आन्तरिक सुरक्षा रख-रखाव अधिनियम (एमआईएसए),1971 और भारत के प्रतिरक्षा अधिनियम,1962 के तहत कारावास जाना पड़ा।
जो व्यक्ति हरियाणा के अधिवासी नहीं है परन्तु आपातकाल के दौरान हरियाणा से गिरफ्तार हुए और हरियाणा की जेलों में रहे, वे भी इस पेंशन के पात्र होंगे।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए हरियाणा के ऐसे निवासी पात्र होंगे, जिन्होंने आपातकाल की अवधि के दौरान संघर्ष किया तथा चाहे उन्हें एमआईएसए अधिनियम,1971 या भारत के प्रतिरक्षा अधिनियम,1962 तथा इसके तहत बनाए गए नियमों के तहत एक दिन के लिए ही कारावास जाना पड़ा हो। ये नियम ऐसे व्यक्तियों की विधवाओं के लिए भी लागू होंगे।
लाभार्थी को इसके लिए सम्बन्धित जेल अधीक्षक द्वारा जारी और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा प्रति- हस्ताक्षरित जेल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि कोई व्यक्ति रिकॉर्ड गुम होने या अनुपलब्ध होने के कारण जेल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकता, तो वह दो सह-कैदियों से प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर सकता है। सह-कैदियों का ऐसा प्रमाणपत्र संबंधित जिले के विधायक या सांसद द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।
ऐसे आपातकालीन पीडि़तों को अपने बैंक खातों में पेंशन की राशि हस्तांतरित करने के लिए किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में आधार से जुड़ा बचत बैंक खाता खोलना होगा और प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में ‘जीवित-प्रमाणपत्र’ देना होगा, जैसाकि अन्य पेंशनधारकों के मामले में किया जा रहा है। किसी अन्य राज्य सरकार से पेंशन या किसी भी तरह का मानदेय लेने वाले आपातकालीन पीडि़त भी पात्र होंगे।
हालांकि, यदि कोई अन्यथा पात्र आपातकालीन पीडि़त इसी उद्देश्य के लिए किसी अन्य राज्य सरकार से 10,000 रुपये प्रतिमाह से कम राशि प्राप्त कर रहा है तो इस योजना के तहत पेंशन की पात्रता उस राशि तक कम हो जाएगी। किसी आपातकालीन पीडि़त के निधन के मामले में, मासिक पेंशन उसकी जीवित पत्नी/पति को दी जाएगी।
आवेदन मुख्य सचिव को संबोधित किए जाएंगे और इन नियमों के तहत पेंशन की स्वीकृृति के लिए आवेदन निर्धारित फार्म में जमा करवाना होगा। सभी जिलों के संबंधित उपायुक्तों की अध्यक्षता में पहले से ही गठित समितियां, प्राप्त होने वाले नए आवेदनों की समीक्षा करेंगी तथा राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें भेजेंगी, जिसका निर्णय अंतिम होगा।
यदि आवेदक राज्य सरकार से कोई मानदेय या वेतन प्राप्त कर रहा है, तो वह इस पेंशन के लिए पात्र नहीं होगा/ होगी। आवेदक केवल एक ही जिले से आवेदन कर सकता है और उसे इस आशय का शपथ पत्र जमा करवाना होगा कि उसने किसी अन्य जिले से आवेदन नहीं किया है। नैतिक पतन के आरोपों पर न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने या झूठी जानकारी अथावा शपथपत्र देने पर पेंशन रद्द की जा सकती है।