- August 2, 2018
शुगर मिल करनाल के धरनाधारी किसानों से अपील– 2 महीने का समय दें — विधायक हरविन्द्र कल्याण
फसल अवशेष जलाने से लाभदायक कीटों की मौत — कृषि वैज्ञानिक डा. जेके नांदल
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करनाल———- घरौंडा के विधायक एवं हैफेड के चेयरमैन हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि विभागीय गतिविधियों व कागजी कार्यवाही में देरी होने के कारण करनाल शुगर मिल के नवीनीकरण का कार्य समय पर शुरू नहीं हो सका जिसके कारण किसान शुगर मिल के सामने धरना दे रहे हैं।
उन्होंने जारी ब्यान में किसानों को आश्वान दिलाया कि विभाग द्वारा शुगर मिल के नवीनीकरण के कार्य को आरंभ करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, शीघ्र ही इस कार्य का टैंडर होगा और सितम्बर माह के अंत तक निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा।
उन्होंने सभी आंदोलनकारियों से अपील की है कि वे केवल 2 महीने का समय दें, इस समय अवधि में शुगर मिल के नवीनीकरण का कार्य आरंभ हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसानों के लिए जो काम पिछले 30 सालों में नहीं हो सके मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन सभी कार्यों को करवाया है।
किसानों की फसल के खराब देेने के लिए फसल बीमा योजना, भावांतर भरपाई योजना, फसलों के समर्थन मूल्य बढ़ाना तथा पानी को टेल तक पहुंचाना शामिल हैं।
विधायक ने कहा कि पिछले वर्षों में हरियाणा की 11 शुगर मिलों जिसमें फफड़ाना की हैफेड की शुगर मिल शामिल है, ने 369 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई की जबकि इस वर्ष सभी 11 मिलों ने करीब 500 क्विंटल गन्ने की पिराई की है।
किसानों को गन्ने की 90 प्रतिशत पेमेंट दे दी गई है और बाकी की पेमेंट शीघ्र ही रिलीज कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग को निर्देश दिए हैं कि करनाल सहित पानीपत मिल के नवीनीकरण का कार्य भी तुरंत चालू करवाया जाए ताकि आने वाले पिराई के समय में किसानों को कोई दिक्कत न हो।
***** फसल अवशेष——गन्नौर (सोनीपत)—
कृषि विज्ञान केंद्र जगदीशपुर के कृषि वैज्ञानिक डा. जेके नांदल ने किसानों को प्रोत्साहित किया कि वे फसलों के अवशेषों को जलाना छोड़ दें।
अवशेष जलाने से वायु में कार्बन की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि होती है, जिससे विभिन्न बिमारियां भी बढ़ती हैं। सांस के रोगियों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक होती है। फसल अवशेष जलाने से केवल नुकसान ही नुकसान है।
कृषि वैज्ञानिक डा. जेके नांदल नई अनाज मंडी में फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र विषय के तहत आयोजित खंड स्तरीय किसान संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।
डा. नांदल ने कहा कि फसल के अवशेषों को खेत में ही रहने देना चाहिए। रिपर मशीन तूड़ा बनाने के काम आती है, लेकिन अवशेष जलाने से तूड़ा कम होने लगा है। किसान पशु भी पालता है। ऐसे में उसके पशुओं के लिए तूड़े की जरूरत पूरी नहीं हो पाती, जिससे उसे महंगा तूड़ा खरीदना पड़ता है।
डा. जेके नांदल ने कहा कि फसल अवशेष जलाना सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि अवशेष जलाने से लाभदायक कीट मर जाते हैं। साथ ही पैदावार बढ़ाने के लिए कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण चील-कौवे आदि भी मर रहे हैं, जो हमारे पर्यावरण को शुद्ध रखने में मददगार रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जीरो ड्रिल से बीजाई व बहाई की जा सकती है। किसानों को सरकार 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर कृषि उपकरण उपलब्ध करवा रही है। कृषि उपकरणों की मदद से फसलों के अवशेषों का प्रबंधन कर मुनाफा कमाया जा सकता है।
उन्होंने जानकारी दी कि वैस्ट कम्पोजर की 20 रुपये की शीशी को 200 लीटर पानी में मिलाकर फांसों की जुताई करने पर फांस सही प्रकार से गल जाते हैं। इस तरह फांस जलाने की जरूरत ही नहीं रहेगी। वैस्ट कम्पोजर रि-जेनरेट होती है।
उप-निदेशक कृषि डा. अनिल सहरावत ने किसानों को बागवानी मिशन की ओर बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके तहत फल, फूल, सब्जियों की खेती की जा सकती है।
डेयरी अथवा मुर्गीपालन आदि को अपनाया जा सकता है।
खंड सहायक कृषि अधिकारी सूरजभान ने कहा कि 1 किलोग्राम धान पैदा करने में करीब 5000 लीटर पानी की खपत होती है। भूजल स्तर निरंतर गिरावट की ओर है। पिछले दो वर्षों में भूजल स्तर तीन मीटर नीचे चला गया है। अत: जल संकट से निपटने के लिए फसल विविधिकरण जरूरी है।
नाबार्ड से आये राजकिरण जौहरी ने किसानों को प्रोत्साहित किया कि वे फसल अवशेष जलाने की बजाय इनका प्रबंधन करें। इसके लिए कृषि उपकरण हैं, जिनकी प्रदर्शनी नई अनाज मंडी में भी लगाई गई है।
उन्होंने कहा कि अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होती है। इसके कारण पैदावार बढ़ाने के लिए फिर अधिक खाद डालने की जरूरत पड़ती है। इस प्रकार लागत बढ़ती जाती है और आय कम।
अवशेष जलाना किसानों के मुख्य कार्य खेती के लिए बेहद नुकसानदायक है। इस अवसर पर मत्स्य विभाग के अधिकारी बिजेंद्र सिंह ने किसानों को मछली पालन के लिए प्रोत्साहित किया।