- December 10, 2015
शिल्पकारों को शिल्पगुरू पुरस्कार और राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान – राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का स्वदेशी हस्तशिल्प हमारे जीवन का एक पोषित पहलू है। उन्होंने कहा कि उनकी व्यापक श्रेणियां राष्ट्र की विविधता और अनंत रचनात्मकता को दर्शाती हैं। श्री मुखर्जी ने कहा कि प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र और उप-क्षेत्र अपना व्यक्तिगत अंदाज और परंपरा रखता है जो इसके समाज की प्राचीन जीवन-लय का आधार है।
उन्होंने कहा कि भारतीय शिल्पकारों ने सदियों से पत्थर और धातु, चंदन और मिट्टी को जीवंत बनाने के लिए अपनी स्वयं की तकनीकों, पद्धतियों को विकसित किया। उन्होंने बहुत सी शताब्दियों पहले ही अपने समय से आगे की पूर्ण वैज्ञानिक और अभियांत्रिकी प्रक्रियाओं को अपनाया। राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी रचनाएं उनके समृद्ध ज्ञान और उच्च विकसित सौंदर्य बोध को प्रकट करती हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हस्तशिल्प मदों का उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करता है। हस्तशिल्प में न्यून पूँजी निवेश के साथ-साथ पर्यावरणीय संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा हमारी पारंपरिक कलाओं और शिल्पों का असाधारण पहलू है। उत्कृष्ट शिल्पियों ने बेहद गरिमा के साथ इन कलाओं को अपनी उत्तरवर्ती पीढ़ियों को प्रदान किया। श्री प्रणब मुखर्जी ने गांधी जी का उद्धरण देते हुए कहा कि गांधी जी ने कहा था, ‘’यदि हम अपने सात लाख गांवों को जीवंत बनाये रखना चाहते हैं और उनमें भिन्नता नहीं लाना चाहते, तो हमें अपने गांव के हस्तशिल्प को जिंदा रखना होगा। और तुम्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यदि हम इन शिल्पों को शैक्षिणिक माध्यम प्रदान करते हैं, तो हम एक क्रांति ला सकते हैं।‘’
राष्ट्रीय पुरस्कार और शिल्पगुरू पुरस्कार प्रदान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत के शिल्पियों के उत्कृष्ट योगदान की पहचान है। जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अपने उत्पादों के माध्यम से भारत के लिए अपनी सृजनात्मकता को प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर कुल अस्सी शिल्पियों को पुरस्कार प्रदान किया गया। राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले हस्तशिल्प समुदाय को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।