- September 14, 2018
शिल्पकारों के हाथों में जादू:— मुख्यमंत्री डॉ. सिंह
आठ वरिष्ठ शिल्पकारों को शिल्पगुरू पुरस्कारों से और 25 शिल्पकारों को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों से सम्मानित
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रायपुर — छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि हमारे देश के परम्परागत शिल्पकारों के हाथों में ऐसा जादू होता है कि वे दुनिया की साधारण से साधारण दिखने वाली चीजों को भी तराशकर बहुमूल्य कलाकृति बना देते हैं।
डॉ. सिंह राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार वितरण समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने की।
समारोह का आयोजन केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के हस्तशिल्प प्रभाग द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के ग्रामोद्योग विभाग और राज्य हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सहयोग से किया गया। मुख्यमंत्री ने समारोह में देश के विभिन्न राज्यों के जाने-माने आठ वरिष्ठ शिल्पकारों को शिल्पगुरू पुरस्कारों से और 25 शिल्पकारों को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों से सम्मानित किया।
ये पुरस्कार वर्ष 2016 के लिए घोषित किए गए थे। आज के समारोह को यादगार बनाने के लिए मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री सहित सभी वरिष्ठजनों ने इन पुरस्कृत शिल्पकारों के साथ सामूहिक तस्वीर भी खिंचवायी।
छत्तीसगढ़ के ग्रामोद्योग मंत्री श्री पुन्नूलाल मोहले और रायपुर के लोकसभा सांसद श्री रमेश बैस सहित केन्द्र और राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ के हर जिले में परम्परागत हस्तशिल्प की अपनी विशेषताएं हैं। यहां के शिल्पकारों ने बेलमेटल, ढोकरा शिल्प, और काष्ठ कला , टेराकोटा सहित कई विधाओं में शोहरत हासिल की है।
उन्होंने कहा कि शिल्पकारों को अच्छा बाजार दिलाने के लिए राज्य शासन द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी कलाकृतियों की बिक्री के लिए हस्त शिल्प की बिक्री के लिए शबरी एम्पोरियमों की स्थापना की जा रही है। वर्ष 2003 में इनकी संख्या केवल सात थी जो आज बढ़कर 17 हो गयी है।
दिल्ली और अहमदाबाद में भी छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प के विक्रय के लिए शबरी केन्द्र प्रारंभ किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिल्पकारों के लिए दिल्ली हाट की तर्ज पर छत्तीसगढ़ हाट का निर्माण किया गया है, जहां शिल्पकार साल के सभी 365 दिन अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन और विक्रय कर सकते हैं। इससे शिल्पियों को एक कलाकृतियों की बिक्री का सुनिश्चित स्थान मिला है।
उन्होंने कहा कि राज्य के उत्कृष्ट शिल्पकारों आर्थिक सहायता के रूप में प्रति माह पांच हजार रूपए की सहायता राशि भी दी जा रही है। इसके अलावा उन्हें अपने काम काज में वृद्धि के लिए तीन लाख रूपए तक कर्ज भी दिया जाता है। इसमें शिल्पकारों को डेढ़ लाख रूपए का अनुदान भी मिलता है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शिल्पकारों को प्रशिक्षण के लिए भी देश के अन्य राज्यों में भेजा जाता है। प्रशिक्षण का पूरा खर्च सरकार वहन करती है।
उन्होंने छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में शिल्प की विशेषताओं की जानकारी दी।
देश से 1.26 लाख करोड़ रूपए की कलाकृतियों का निर्यात
अब तक 17 लाख से ज्यादा परम्परागत शिल्पकारों का पंजीयन
समारोह की अध्यक्षता करते हुए केन्द्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने शिल्पकारों से आव्हान किया कि वे भारतीय संस्कृति और पूर्वजों से विरासत में मिली अपनी इस प्रतिभा को न केवल सुरक्षित रखें बल्कि उसे निरंतर आगे बढ़ाते हुए नई पीढ़ी को भी इन विधाओं में अच्छी तरह से तैयार करें।
श्रीमती ईरानी ने समारोह में बताया कि भारत से पिछले चार वर्ष में परम्परागत शिल्पकारों की एक लाख 26 हजार करोड़ रूपए की कलाकृतियों का निर्यात हुआ है। इससे हमारे देश के शिल्पकारों को आर्थिक ताकत के रूप में नई पहचान मिली है और विश्व के अनेक देशों में हमारी समृद्ध कला संस्कृति को पहचान मिली है।
उन्होंने बताया कि देश में 17 लाख से ज्यादा शिल्पकारों को पहचान पत्र दिए जा चुके हैं। राष्ट्रीय ओपन स्कूल और राष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय के माध्यम से अगर शिल्पकार और उनके बच्चों की पढ़ाई करते हैं तो उनके फीस का 50 से 75 प्रतिशत तक की सहायता भारत सरकार द्वारा दी जाती है।