- April 7, 2017
शिमला में ‘सतत व्यावसायिक विकास’ पर दो दिवसीय कार्यशाला
शिमला (सू०ब्यूरो)———राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व हि.प्र. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अन्तर्गत महिला एवं बाल विकास निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में बाल बालिका आश्रमों के संचालक स्टाफ तथा एकीकृत बाल संरक्षण योजना के तहत विभिन्न पदाधिकारियों के लिए ‘सतत व्यावसायिक विकास’ पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ शिमला में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्या सुश्री रूप कपूर ने किया। इस दौरान ‘बाल अधिकार-एक अवलोकन’ विषय पर जानकारी भी दी गई।
विभाग की प्रधान सचिव सुश्री अनुराधा ठाकुर ने कार्यशाला में विभाग से सम्बन्धित कार्यकलापों एवं बाल परामर्श के महत्व व एनसीपीसीआर के साथ सहभागिता के आधार पर बाल बालिका आश्रमों में बच्चों की मनोस्थिति को समझने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. निमेश जी देशाई निदेशक, इंडियन ह्यूमन बीहेवियरल एण्ड एलाइड साईंसिज, नई दिल्ली ने बाल संरक्षण संस्थाओं में मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
पीजीआई चंडीगढ़ से डॉ. आदर्श कोहली ने बच्चों की काउंसलिंग (परामर्श) विषय पर इसकी परिभाषा तथा इससे सम्बन्धित मुद्दे इत्यादि से सम्बन्धित जानकारी दी। इस कार्यशाला से बाल/बालिका आश्रमों में रह रहे बच्चों की मनोस्थिति को समझने में आसानी होगी।
डॉ. आशीष खन्ना सहायक प्रोफेसर आईएचबीएएस ने ‘विक्टिमज ऑफ चाइल्ड एब्यूज एंड लेवलज ऑफ केयर चिल्ड्रन विद डिस्ऐबिलिटी बारे रोल प्ले के माध्यम से जानकारी दी।
डा. विश्वदीप चटर्जी, प्रौफेसर एम्स दिल्ली ने नशे में संलिप्त व मादक द्रव्यों का सेवन करने वाले बच्चों के उपचार व पुनर्वास के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की ।
निदेशक महिला एवं बाल विकास मानसी सहाय ठाकुर ने धन्यवाद किया।
उन्होंने प्रतिभागियों से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कार्यशाला के दौरान च्व्ब्ैव् एवं किशोर न्याय अधिनियम बारे दिये गयें निदेर्शां का कार्यान्वयन प्रभावी तरीके करने को कहा ताकि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके। कार्याशाला में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किये गये।