शिकार : संजय नेशनल पार्क में मृत बाघ पी-212 का पोस्ट मार्टम

शिकार  :  संजय नेशनल पार्क में मृत बाघ पी-212 का पोस्ट मार्टम

 विजय सिंह-   सीधी जिले के संजय नेशनल पार्क में मृत बाघ पी-212 की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से खुलाशा हुआ कि उसके जबड़े में शिकार के दांत ‘‘ कैनाईन ’’ टूटे हुये थे,  जिसकी वजह से वह आक्रमणकारी का मुकाबला नहीं कर सका और उसकी अस्वस्थ्यता ही कहीं न कहीं उसकी मौत का कारण बनी।21Sidhi1

टाईगर रिजर्व की उप संचालक श्रीमती अंजना तिर्की के अनुसार पी-212 के कंधों, जांघों, गर्दन में कुल 21 घाव पाये गये। जहर या बंदूक की गोली लगने से मृत्यु की संभावना नहीं बताई गई है। मृत्यु का कारण ट्रामैटिक शाॅक बताया गया है। उप संचालक श्रीमती तिर्की के अनुसार मृत बाघ पी-212 की टेरिटोरी में घुसपैठिये बाघ की पहचान कर ली गई है। 22 जुलाई 15 की रात्रि में कैमरा ट्रेस में उसके फोटो प्राप्त हुये हैं। यह वही बाघ है जो 7 जुलाई 2015 से मूल टेरीटोरी से हट गया था। सर्च पार्टियों द्वारा खोज करने पर छत्तीसगढ़ में उसकी उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं, जहां से उसने संभवतः शहडोल जिले को पार करते हुये बाघ पी-212 की टेरीटोरी में प्रवेश कर संघर्ष किया।

पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से खुलाशा हुआ कि पी-212 के शिकार के दांत ‘‘ कैनाईन ’’ पहले से ही टूटे हुये थे। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपनी सुरक्षा तो नहीं ही कर पाया, उसे अपनी भूख मिटाने के लिये शिकार करने में भी समस्या आ रही थी। पार्क प्रबंधन का कहना है कि तीन महीने पहले भी पी-212 का संघर्ष हुआ था, तब उसकी काॅलर आईडी बेल्ट टूट गई थी, उस समय उसे बेहोश कर चोटों का उपचार किया गया था। तब क्या चिकित्सकों ने जबड़ा खोल कर नहीं देखा था कि पी-212 के कैनाईन टूटे हुये हें ?

दुबरी अभयारण्य के डेवा बीट के कम्पार्टमेंट नं. 179 में बाघों की लड़ाई होना बताया जा रहा है। वहां से कैंप की एयर रेंज की दूरी अधिकतम 1 कि.मी. होगी। कैम्प में बाघ की सुरक्षा से जुड़े कर्मचारी तैनात रहते हैं। बाघ पी-212 के शरीर में आई चोटों से जाहिर है कि लड़ाई घंटों चली होगी। सवाल है कि कैम्प में तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों तक बाघों की दहाड़ नहीं पहुॅची ? बाघ की गतिविधि पर नजर रखने के लिये उसकी चहल कदमी वाले क्षेत्र में एक सैकड़ा से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, 19-20 जुलाई की रात हुई लड़ाई और घुसपैठिये बाघ की तस्वीरें क्यों कैद नहीं हुईं?

काबिले गौर तथ्य यह भी है कि इसी दरमियान दुबरी अभयारण्य में बाघों को ट्रेस करने का विशेष प्रशिक्षण संचालित हो रहा था। प्रशिक्षण के कारण विभागीय अधिकारी व कर्मचारी क्षेत्र में ही मौजूद थे, बावजूद इसके भी दो बाघों की लड़ाई की भनक तक उन्हे नहीं लग सकी ?

पी-212 एवं उसके शावकों की निगरानी के लिए बांधवगढ़ से दो हांथी आये थे | उनकी मौत कब-क्यों – कसे हुई ? यह बात गोपनीय रखी गई | पी-212 की मौत के बाद पार्क प्रबंधन ने पहली बार खुलाशा किया कि दोनों हाथियों की मृत्यु हो चुकी है | पी-212 के संसर्ग एक बाघिन ने 4 शावकों को जन्म  दी थी, उसके बाद तीन और शावकों के जन्म की खबर दी गई. क्या मौजूदा समय में पार्क में दो बाघिन हैं ? क्या दोनों के शावक सही सलामत हैं ? इस हेतु पार्क प्रबंधन के दावों को सही ना माना जाय. क्योंकि सूत्रों के अनुसार पहले के 4 शावकों का पता नहीं है | पार्क प्रबंधन द्वारा संजय नेशनल पार्क में 7 बाघ शावकों के दावे की विशेषज्ञ टीम द्वारा जांच की जरूरत है |

 सीधी जिले में पर्यटन उद्योग  के माध्यम से लोगों को रोजगार व  व्यसाय की आशा हुई थी, लेकिन पार्क प्रबंधन की नाकामी से वह भी क्षीण होती नजर आ रही है | इसके पहले सोन घड़ियाल के जोगदहा क्षेत्र में एक विशालकाय नर घड़ियाल को मरणासन्न अवस्था में जाल से मुक्त कराया गया था | दो प्रवासी हांथी बघवारी गाँव में बिजली करंट से मर गये | और अब संजय नेशनल पार्क को टाईगर रिजर्व का स्वरूप दे रहे पी-212 की मौत ने जिले की आशाओं पर तुषारापात कर दिया |

संजय नेशनल पार्क के संचालक के. रमन का प्रोटोकाल इतना सख्त है कि वह न तो स्वयं बात करते हैं और अधीनस्थों को सख्त मनाही है मीडिया कर्मियों से बात न करने की। ऐसा कौन सा रहस्य है जो जिसके उजागर होने का भय, पार्क संचालक को है ?पी-212 की मौत के बाद से पार्क प्रबंधन से जुड़े सभी अधिकारियों केअधिकृत मोबाईल फोन बंद हैं |

संपर्क-  पत्रकार
राज्य स्तरीय अधिमान्य
19, अर्जुन नगर सीधी

Related post

ग्यारह पुलिसकर्मियों को निलंबित

ग्यारह पुलिसकर्मियों को निलंबित

महाराष्ट्र —  ठाणे जिले में एक अदालत में दो सुरक्षा उल्लंघनों के बाद कथित चूक के…
फोन-पे को ट्रेडमार्क विवाद में अंतरिम राहत

फोन-पे को ट्रेडमार्क विवाद में अंतरिम राहत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फोन-पे को उसके डिजिटल भुगतान ब्रांड और एजीएफ फिनलीज इंडिया द्वारा ‘फोन…
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस

गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, अहमदाबाद पुलिस आयुक्त और अन्य को एक व्यक्ति द्वारा दायर…

Leave a Reply