- November 26, 2018
शराबबंदी लागू होने के बाद घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न, सड़क दुर्घटना, आपसी कलह जैसे मामलों में कमी आई है:- मुख्यमंत्री
पटना———-:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अधिवेशन भवन में आयोजित नशा मुक्ति दिवस कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी ने मुख्यमंत्री को पौधा भेंटकर उनका अभिनंदन किया। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सैंड आर्टिस्ट श्री मानस कुमार साहू ने नशा मुक्ति से संबंधित बालू पर आकृतियां उकेरकर लोगों को जागरूक किया।
किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चों ने नशा मुक्ति से जुड़े जन जागरूकता गीत की प्रस्तुती दी। वहीं किलकारी बिहार बाल भवन की दो छात्राओं पूनम और खुशी ने शराबबंदी के संदर्भ में अपने अनुभव साझा किये। नशा मुक्ति दिवस में मध निषेध पर आधारित लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई।
इस कार्यक्रम में सभी पंचायतों के मुखिया को भेजे गए संदेश का अनावरण मुख्यमंत्री ने रिमोट के माध्यम से किया। मोबाइल पर जनता के नाम भेजे गये अपने ऑडियो संदेश का लोकार्पण मुख्यमंत्री ने मोबाइल का बटन दबाकर किया। पूर्ण शराबबंदी को स्थायी रूप से प्रभावी बनाने की दिशा में चलाए जा रहे निरंतर अभियान एवं की जा रही कार्रवाइयों में लगे लोगों तथा मद्य निषेध कोषांग के पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया।
अधिवेशन भवन में आयोजित नशा मुक्ति दिवस कार्यक्रम का वेबकास्टिंग के माध्यम से बिहार के सभी 38 जिलों में लाइव प्रसारण किया गया। इसके पूर्व अधिवेशन भवन प्रांगण में शराबबंदी से संबंधित बने सैंड स्कल्पचर एवं लगी प्रदर्शनी का भी मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नशा मुक्ति दिवस है और 2011 से ही हमलोगों ने 26 नवंबर के दिन बिहार में इसे मद्य निषेध दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। हमलोग चाहते थे कि लोग शराब का सेवन कम करें, इसके लिए निरंतर सामाजिक अभियान चलाया गया, साथ ही शराबमुक्त समाज बनाने की दिशा में लगे लोगों को हमलोगों ने पुरस्कृत करने का भी काम किया।
उन्होंने कहा कि 9 जुलाई 2015 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में महिलाओं ने एक कार्यक्रम के दौरान बिहार में शराबबंदी लागू करने की मांग की और हमलोगों ने 2015 के अंत में ही इस दिशा में काम प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने कहा कि उसी वर्ष 26 नवम्बर 2015 को ही मद्य निषेध दिवस के दिन हमने 1 अप्रैल 2016 से बिहार में चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी लागू करने की घोषणा की थी।
निरंतर सामाजिक अभियान चलाया गया, विभाग का नाम बदलकर मद्य निषेध किया गया, पाॅलिसी में परिवर्तन किया गया, शराब नहीं पीने और दूसरों को प्रेरित करने का संकल्प दिलाया गया, नारे लिखे गये और जगह-जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गये। एक करोड़ से ज्यादा बच्चों के अभिभावकों ने शराब नहीं पीने एवं दूसरों को शराब नहीं पीने के लिये प्रेरित करने का भी संकल्प लिया। 1 अप्रैल 2016 से बिहार में देशी शराब पर पाबंदी लगाई गयी। लोगों पर इसका असर इतना व्यापक हुआ कि 4 दिन के अंदर ही पूरे बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की घोषणा करनी पड़ी।
5 अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई, इसके बाद शराबबंदी से नशा मुक्ति के पक्ष में 21 जनवरी 2017 को मानव श्रृंखला बनायी गयी, जिसमें 4 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया, जो बिहार की आबादी के एक-तिहाई हैं। यह मानव श्रृंखला दुनिया के लिए नया रिकॉर्ड बना। इसके बाद इसी साल 21 जनवरी 2018 को बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ 14 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सात निष्चय योजना पर काम हो रहा है और नषा मुक्ति, दहेज प्रथा एवं बाल विवाह हमारे दृढ़ निष्चय का हिस्सा है। हमारी अपील है कि इस अभियान को कभी भी कुंद नहीं होने दें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ सरकारी तंत्र और कानून के भरोसे हमें पूर्ण कामयाबी नहीं मिलेगी बल्कि इसके लिए निरंतर सामाजिक अभियान चलाकर लोगों को सजग, सक्रिय और सतर्क करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के बाद भी चोरी-छिपे चंद धंधेबाज और विकृत मानसिकता के लोग छोटे बच्चों का उपयोग कर शराब की आपूर्ति करने में लगे हैं, जिन पर कार्रवाई हो रही है।
उन्होंने कहा कि उड़ीसा से आये सैंड आर्टिस्ट श्री मानस कुमार साहु अपनी कला के माध्यम से लोगों को जागृत करने में लगे हैं, यह काफी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चों को मैं धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने बहुत ही सुंदर तरीके से शराबबंदी से जुड़े गीत प्रस्तुत किये। मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के कथावाचन की तरह ही सभी स्कूलों में इस गीत को सुनवाइये ताकि लोग जागृत हो सकें।
शराब सेवन से स्वास्थ्य और समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के एक जिस्ट का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वल्र्ड हेल्थ आॅर्गेनाइजेशन के अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2016 में दुनिया भर में जितनी मौतें हुई हैं, उसमें 5.3 प्रतिशत मौत शराब सेवन से हुई है। शराब के कारण होने वाली मौतों में बूढ़ों की अपेक्षा युवाओं का मृत्यु दर अधिक है।
शराब सेवन करने वाले 20 से 39 आयु वर्ग के लोगों का मृत्यु दर 13.5 है। उन्होंने कहा कि टी0वी0, एच0आई0वी0 और मधुमेह से होने वाली मौत की तुलना में शराब सेवन से अधिक मौत हो रही है। वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट के अनुसार शराब 200 से अधिक बीमारियों को बढ़ाता है। शराब सेवन से कैंसर, एड्स, टी0वी0, लीवर, दिल की बीमारी, मानसिक बीमारी, आनुवांषिक बीमारियों के साथ ही मनुष्य हिंसक प्रवृति का शिकार हो जाता है।
दुनिया भर में जो आत्महत्याएं हो रही हैं, उसमें से 18 प्रतिशत सुसाइड की घटनाएँ शराब के कारण हो रही हैं। विश्व भर में 18 प्रतिशत आपसी झगड़ों में मौत, 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटना और 13 प्रतिशत मिर्गी के कारण मौत की घटनाएँ शराब के कारण ही हुआ करती हैं। मद्य निषेध विभाग और आई0जी0 प्रोहिबिशन वल्र्ड हेल्थ आॅर्गेनाईजेशन की इफेक्टिव रिपोर्ट की एक जिस्ट बिहार के एक-एक गाँव तक लोगों के बीच पहुँचा दें ताकि लोग शराब सेवन से होने वाली मौतों और बीमारियों से अवगत हो सकें। इसके साथ ही वे अपने पास-पड़ोस के लोगों से इसे साझा कर सकें।
जीविका दीदियों का भी यह दायित्व है कि वे वल्र्ड हेल्थ आॅर्गेनाईजेशन की इस रिपोर्ट को लोगों तक पहुंचाए क्यांेकि उन्हीं की मांग पर बिहार में शराबबंदी लागू की गयी है। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद घरेलू हिंसा, महिला उत्पीड़न, सड़क दुर्घटना, आपसी कलह जैसे अन्य कई मामलों में कमी आई है इसलिए लोगों को भटकने मत दीजिये। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से सबसे अधिक गरीब-गुरबों को फायदा हुआ है और पूरे बिहार में शांति का माहौल कायम है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग वकालत कर लोगों को भटकाने में लगे हैं, जिसे जानकर हमें आश्चर्य होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मद्य निषेध विभाग की दो दिन पहले ही हमने समीक्षा बैठक की थी। हमने कहा था कि शराब के अवैध धंधे में लगे लोग कहाँ, कितने और कैसे पकड़े जा रहे हैं, इसकी समीक्षा कीजिये। उन्होंने कहा कि समीक्षा के दौरान हमने यह भी निर्देष दिया था कि ड्राईवर-खलासी से लेकर शराब के कारोबार में लगे धंधेबाजों को भी पकड़िये। उन्होंने कहा कि आई0जी0 प्रोहिबिशन का तंत्र विकसित कर करीब डेढ़ सौ कर्मियों की तैनाती भी की गयी है।
प्रतिदिन अच्छी-खासी संख्या में शिकायतें दर्ज हो रही हंै और त्वरित कार्रवाई भी की जा रही है। आई0जी0 प्रोहिबिशन को इतनी ताकत दे दी गयी है कि अगर किसी भी थाने द्वारा मामले की इन्क्वायरी ठीक ढंग से नहीं की जा रही है तो उस मामले को वह स्वयं अपने हाथों में लेकर अग्रेतर कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के हर घर में इस वर्ष 25 अक्टूबर को बिजली पहुँचा दी गयी है और हर गाँव में विद्युत पोल पर एक टेलीफोन नंबर भी लिखा गया है, जिसके माध्यम से शराब के अवैध धंधे में लगे लोगों की सूचना कोई भी आदमी अपने मोबाइल के जरिये दे सकता है। सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा और जो कार्रवाई होगी, उस संदर्भ में शिकायतकर्ता से यह भी पूछा जाएगा कि वे कार्रवाई से संतुष्ट हंै या नहीं।
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक-एक चीज पर पैनी नजर रखिये और यदि कोई उच्च अधिकारी भी इस मामले में गड़बड़ी करे तो उस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे सेवा से मुक्त करने के साथ ही जेल भेजिए। उन्होंने कहा कि शराब का अवैध धंधा करने वाला शान से नहीं बल्कि सिर झुकाकर चलेगा और लोग उस पर थू-थू करेंगे। बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद पूरे देश में ऐसी स्थिति आ गयी है कि हर ओर शराबबंदी की मांग तेजी से मुखर होने लगी है।
तमिलनाडू में शराब से 18 से 20 हजार करोड़ रूपये की आमदनी होती है, बावजूद इसके जब करुणानिधि जीवित थे, तब वे कहते थे कि अगर बिहार में नीतीश कुमार शराबबंदी लागू कर सकते हैं तो फिर तमिलनाडू में हम क्यों नहीं कर सकते ? केरल में ईसाई समुदाय के लोगों ने हमें बुलाया और हमने उन्हें बताया कि शराबबंदी से बिहार आने वाले टूरिस्टों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। शराबबंदी के बाद भी 3 करोड़ से अधिक टूरिस्ट बिहार आये और 10 लाख से ज्यादा पर्यटकों का बिहार आगमन हुआ। उन्होंने कहा कि पहले वर्ष 1000 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ था लेकिन उसके बाद कोई चिंता ही नहीं रही। अर्थव्यवस्था का आकलन सिर्फ सरकार के खजाने से नहीं बल्कि लोगों की आर्थिक स्थिति से भी किया जाता है।
उन्होंने कहा कि डायरेक्टिव प्रिंसिपल और सुप्रीम कोर्ट का फैसला यह साफ कर देता है कि शराब का सेवन कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो सशक्त अभियान चल रहा है, उसमंे निरंतरता बनाये रखिये क्यांेकि जो धंधेबाजों के एजेंट हैं, वे लोगों को दिग्भ्रमित करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने से शराबबंदी की आवाज उठने लगी है इसलिए शराब के धंधे में लगे लोग परेशान हैं कि कहीं बिहार जैसी शराबबंदी पूरे देश में लागू न हो जाए। उन्होंने कहा कि न्याय के साथ विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, इससे कोई समझौता नहीं करेंगे लेकिन जब तक बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों सेे समाज को छुटकारा नहीं मिलेगा, तब तक विकास का पूरा लाभ नहीं मिलेगा।
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, मंत्री मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन श्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार, मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर विधायक श्री ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, आर्थिक अपराध इकाई के अपर पुलिस महानिदेशक श्री जितेन्द्र सिंह गंगवार, अपर पुलिस महानिदेशक सी0आई0डी0 श्री विनय कुमार, निगरानी के अपर पुलिस महानिदेशक श्री सुनील कुमार, आई0जी0 प्रोहिबिशन श्री रत्न संजय, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, उत्पाद आयुक्त श्री आदित्य कुमार दास सहित अन्य वरीय अधिकारी, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगण, जन शिक्षा निदेशालय के अधिकारी, जीविका दीदियाँ एवं किलकारी बिहार बाल भवन के बच्चे उपस्थित थे।