शमन योजना-2018 —विकास प्राधिकरणों तथा अवैध निर्माणकर्ताओं के बीच शमन की प्रक्रिया को गति प्रदान करें

शमन  योजना-2018  —विकास  प्राधिकरणों  तथा अवैध  निर्माणकर्ताओं  के  बीच  शमन की  प्रक्रिया  को गति  प्रदान  करें

लखनऊ :– उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शास्त्री भवन में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा दिए गए शमन योजना-2018 के प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया।

उन्होंने कहा कि नगरीय क्षेत्रों में हो चुके अवैध निर्माणों में बड़े पैमाने पर निजी पूंजी निवेश किया गया है, जिसके चलते विकास प्राधिकरणों तथा अवैध निर्माणकर्ताओं के बीच निरन्तर विवाद की स्थिति बनी रहती है। इस स्थिति का कोई न कोई समाधान निकालना होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे यह भी सुनिश्चित करें कि भविष्य में अवैध काॅलोनियों का निर्माण न हो।

मुख्यमंत्री ने आवास एवं विकास परिषद के अध्यक्ष श्री नितिन रमेश गोकर्ण को निर्देश दिए कि शमन योजना पर और कार्य किया जाए तथा इसकी कमियों को दूर करते हुए इसे प्रभावी बनाया जाए। विकास प्राधिकरणों तथा अवैध निर्माणकर्ताओं के बीच शमन की प्रक्रिया को तेज गति प्रदान करने के लिए आॅनलाइन व्यवस्था भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। इस योजना के लागू होने के उपरान्त प्राप्त होने वाले शमन शुल्क से सम्बन्धित काॅलोनियों में अवस्थापना सुविधाएं मुहैया कराने की सम्भावनाओं पर विचार किया जाए।

प्रस्तुतिकरण के दौरान श्री नितिन रमेश गोकर्ण ने बताया कि इस योजना के तहत केन्द्र, राज्य सरकार, विकास प्राधिकरण, आवास एवं विकास परिषद, स्थानीय निकाय तथा अन्य शासकीय एवं शासन के अधीन उपक्रमों की भूमि पर किये अवैध निर्माण शमनीय नहीं होंगे।

उन्होंने बताया कि सार्वजनिक एवं अर्द्ध-सार्वजनिक सुविधाओं, सेवाओं एवं उपयोगिताओं जैसे-सड़कें, रेलवे लाइन, पार्क एवं खुले स्थल, हरित पट्टी, सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट (एस0टी0पी0), इलेक्ट्रिक सब-स्टेशन, वाटर वक्र्स, बस-टर्मिनल तथा समरूप अन्य सुविधाओं से सम्बन्धित भूमि अथवा महायोजना/ज़ोनल प्लान में इन सुविधाओं हेतु प्रस्तावित भूमि पर किया गया निर्माण भी शमन हेतु पात्रता में नहीं माना जाएगा। इसके अलावा, विवादित भूमि पर किया गया अवैध निर्माण भी पात्रता क्षेत्र में नहीं शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अन्य प्रतिबन्धित श्रेणी की जमीनों पर किये गये निर्माण भी पात्रता क्षेत्र में नहीं आएंगे।

श्री गोकर्ण ने कहा कि महायोजना तथा ज़ोनल प्लान अथवा लेआउट प्लान में चिन्हित अथवा राजस्व अभिलेखों में दर्ज तालाब, जलाशय, नदी एवं नालों से आच्छादित भूमि पर किये गये निर्माण भी पात्रता क्षेत्र में नहीं आएंगे। उन्होंने शमन के लिए निर्धारित ‘कटआॅफ डेट’ के विषय में बताया कि भूमि का सब-डिवीज़न,जिसका क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से अधिक हो अथवा भवन (ग्रुप हाउसिंग भवनों को छोड़कर), जिसमें निर्मित अपार्टमेंट्स की संख्या-8 से अधिक हो, ऐसी सम्पत्तियों की सेल-डीड यदि रेरा लागू होने की तिथि अर्थात 1 मई,2016 से पूर्व हुई है, तो शमन के लिए पात्र होंगी,ऐसी सम्पत्तियां जिनकी सेल डीड 1 मई, 2016 के पश्चात हुई है, तो वे इस योजनान्तर्गत शमन के लिए पात्र नहीं होंगी।

आवास एवं विकास परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि किसी भूमि का सब-डिवीजन, जिसका क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर से कम हो अथवा भवन (ग्रुप हाउसिंग भवनों को छोड़कर),जिसमें निर्मित अपार्टमेंट्स की संख्या-8 या उससे कम हो, इस योजना के जारी होने की तिथि तक शमन के लिए पात्र होंगे। उन्होंने प्रस्तावित ‘उत्तर प्रदेश शमन योजना-2018’ तथा वर्तमान में प्रभावी शमन उपविधि-2009 के विषय में तुलनात्मक जानकारी भी प्रस्तुत की। प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने शमन शुल्क की तुलनात्मक दरों के विषय में भी विवरण दिया।

मुख्यमंत्री ने प्रस्तुतिकरण देखने के उपरान्त इसमें आवश्यक फेरबदल करने के उपरान्त इसे शीघ्र और प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिये। उन्होंने अवैध निर्माण को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के भी निर्देश दिये।

इस अवसर पर आवास एवं शहरी नियोजन राज्यमंत्री श्री सुरेश पासी, मुख्य सचिव डाॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, प्रमुख सचिव नगर विकास श्री एम0के0 सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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