विश्व पर्यावरण दिवस- पर्यावरणविद -रमेश गोयल

विश्व पर्यावरण दिवस- पर्यावरणविद -रमेश गोयल

विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून को राष्ट्रीय संस्था पर्यावरण प्रेरणा की सिरसा शाखा के तत्वावधान में बक्सवाहा जंगल बचाने के लिए स्थानीय जगदेव चौक पर संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष जल स्टार रमेश गोयल के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया और बक्स्वाहा जंगल न काटने की मांग की गई।

श्री गोयल ने प्रश्न किया कि पेड़/आक्सीजन जरूरी या हीरा। वास्तव में मध्य प्रदेश के छतरपुर इलाके में बक्सवाहा जंगल के नीचे दबे लगभग 50000 करोड़ के हीरा उत्खनन के लिए लगभग ढाई लाख पेड़ों को काटे जाने हैं। बक्सवाहा की ज़मीन के नीचे छिपे बहुमूल्य हीरों को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार ने एक निजी कंपनी को बक्सवाहा के जंगल 50 साल के लिए लीज पर दे दिए हैं क्योंकि इस ज़मीन के नीचे छुपे हैं पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे और इन्हीं हीरो को पाने के लिए 382.131 हेक्टेयर के जंगल का कत्ल किया जाएगा जिसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने स्वीकृति दे दी है।

स्थानीय लोगों ने सरकार के विरुद्ध आंदोलन आरम्भ कर दिया है। वन अधिकार कार्यकर्ता इस क्षेत्र में रहने वाले वन्यप्राणियों और आम लोगों के हित को देखते हुए पेड़ काटे जाने का प्रबल विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि बक्सवाहा बचाओ आंदोलन को देश भर के पर्यावरण प्रेमियों व कार्यकर्ताओं का समर्थन मिल रहा है। प्रकृति व पर्यावरण के विपरीत विकास के नाम पर किए जा रहे विनाश व काटे जा रहे अनंत वृक्षों के कारण ही “कोरोना” जैसी महामारी का प्रादुर्भाव हुआ है। सड़कों का जाल बिछाने, मार्गों को चौड़ा करने, नए उद्योग स्थापित करने, नई कलोनियां या शहर विकसित करने आदि के नाम पर प्रति वर्ष एक एक प्रांत में लाखों वृक्षों का कत्ल किया जा रहा है और पौधारोपण वृक्षारोपण के नाम पर औपचारिकताएं पूरी करते हुए अरबों रुपये का भ्रष्टाचार हो रहा है।

उन्होंने कहा कि अब से लगभग एक सौ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर 50% जंगल था जो अब 10% से भी कम रह गया है। जंगल मे रहने वाले लाखों #प्राणी #मोर,#हिरण,#नीलगाय,#बंदर बहुत से #पक्षी आदि अन्य #जीव सभी बेघर हो जाएंगे ,साथ ही #बुंदेलखंड की #जमीन से एक सुंदर जंगल का नामो निशान मिट जाएगा। जंगल से मिलने वाला लाखों टन फलों व अन्य भोज्य पदार्थोँ से वंचित होना पड़ेगा। आज के समय में ऐसे जंगल को निर्मित कर पाना असंभव है हमें इसे बचाना ही होगा I

उन्होंने कहा कि सोचिये पूर्ण गंभीरता से सोचिये कि यदि इसी प्रकार प्रकृति का दोहन होता रहा तो भविष्य में आप व आपकी भावी पीढ़ियां कंधों पर आक्सीजन सिलेंडर लेकर चलेंगे। आक्सीजन की महत्ता आपने मार्च 2021 से प्रत्यक्ष रूप से देखी व भुगती है। पेड़ों की कमी के कारण वर्षा भी अनियंत्रित व अनियमित हो रही है और विश्व भर में सामान्य हो चुकी प्राकृतिक आपदाओं का मूल कारण यही है।

उन्होंने जन सामान्य से अपील की कि मिलकर बक्सवाहा जंगल व इस प्रकार काटे जाने वाले अन्य वृक्षों को बचाने का प्रयास करें।

उल्लेखनीय है कि इस जंगल को बचाने के लिए संस्था की ओर से उपायुक्त महोदय को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्य न्यायाधीश के नाम ज्ञापन भी दिया गया था।

यह जानकारी देते हुए शाखाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह ने बताया कि इस संस्था पर्यावरण के सभी घटकों पर कार्य कर रही है। विश्व पर् दिवस पर ही “थैली छोड़ो थैला पकड़ो” अभियान का शुभारंभ किया गया है ताकि पोलिथिन मुक्त नगर व जिला बना सकें। इस अवसर पर सन्दीप खुराना, उपाध्यक्ष मोहित सोनी व नगर के पर्यावरण प्रेमी उपस्थित थे।

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