- November 13, 2017
विश्व के राजनेता ठगों के गिरोह –शैलेश कुमार
भ्रष्टाचार विश्वव्यापी शब्द है इससे सिर्फ भारत ही नहीं विश्व पीड़ित है। लोकतान्त्रिक और राष्ट्रीय अध्यक्ष शासन प्रणाली के चुनाव में भ्रष्ट शब्द का स्लोगन रहना अनिवार्य है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकारें आती है, चली जाती है लेकिन भ्रष्टतंत्र यथावत फलता फूलता ही रह जाता है ।
देखे! भारत इस क्षेत्र में कितने पानी में है। चुनाव किसी भी देश की हो, वहां क्षेत्रवाद, वर्गवाद और रंगभेद होना है। अगर भारत में सुश्री मायावती और लालू प्रसाद यादव दलित तथा पिछड़े के नाम पर मुख्यमंत्री बने तो बराक ओबामा काले-गोरे का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
हर एक चुनाव में विपक्षी के आंखों में भ्रष्टाचार रूपी पानी की आंसू बहने लग जाती है और वही पार्टी जब सत्ता में आती है तो भ्रष्टाचार का तलवे चाटने लग जाती है। विपक्षियों का सिर्फ एक काम है सत्ताच्युत होने पर भ्रष्टाचार पर हमला और सत्ता पाने पर भ्रष्टाचार की गुलामी करना।
क्षेत्रीय स्तर पर इंडियन नेशनल लोकदल, राजद,सपा,बसपा, तृणमूल कांग्रेस,आम आदमी पार्टी प्रत्यक्ष उदहारण है।
भ्रष्टाचार कम करने के बजाय भ्रष्टाचार चरमसीमा पर पहुँच गया। आम आदमी पार्टी को छोड़कर सभी क्षेत्रीय दल उद्योगपतियों का जमकर शोषण किया है। यहाँ तक की उद्योगपतियों के फैक्ट्री में जबरदस्ती हिस्सेदारी ली है।
क्षेत्रीय दलों के कारण छोटे- मोटे उद्योगपति तो बोरिया बिस्तर समेट चुके है।
भ्रष्टाचार के क्षेत्र में विश्व मे भारत कितने पायदान पर है —
महा घपचपी देश –सोमालिया — उत्तरी कोरिया , अफगानिस्तान,22 वां स्थान म्याँमार, 26 वां स्थान ईरान,35 वां स्थान रसिया, 39 वां स्थान नेपाल, 43 वां स्थान पाकिस्तान, 45 वां स्थान बांग्लादेश,84 वां स्थान श्री लंका,96 वां स्थान भारत।
अमेरिका में बैंकिंग क्षेत्र में वित्तीय भ्रष्टाचार तो राजनीतिक भ्रष्टाचार ही है। 400 अरबपति के नीचे 150 मिलियन लोग है। जेल में 2.2 मिलियन कैदी है, जिसे निजीकरण करना भ्रष्टाचार है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के तहत 4 मिलियन सरकारी कर्मचारी और प्राइवेट ठीकेदार है जो भ्रष्टाचार का सूचक है।
“ड्रग- वार” से पुलिस और न्यायिक व्यवस्था भ्रष्ट है,अमेरिकी समाज में फॉक्स केबल न्यूज़ सबसे भ्रष्ट है। पूंजीपतियों को खुश करने के लिए सबसे बड़ा झूठा मीडिया है।
फ्रांस –फ़्रांस के हर विभाग में ठीक भारत की तरह भ्रष्टाचार घुसा हुआ है। सरकारी काम और ऑफिस के नाम से ही जनता गालियां देने लग जाते है। जज से लेकर कलर्क तक घूसखोर है। अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस, विदेश विभाग यहाँ तक की टैक्स की भी चोरी की जाती है।
इंग्लैंड –यूनाइटेड किंगडम धरती पर सबसे बड़ा भ्रष्टाचार की जगह है – रोबर्टो साविनिओ।
इटली — इटली वह स्थान नहीं है जहाँ आसानी से व्यापार की जा सके। वर्तमान में भ्रष्टाचार की सबसे बेकार स्थिति है। राजनेता चोरी करना नहीं छोड़ते है–सुप्रीम कोर्ट के जज।
सभी देशों की तरह भारत में भी भ्रष्टाचार निरोधक निदेशक है,दस्ता है,वेब पोर्टल है फिर भी तंत्र अनियंत्रित है।
यहां तो केंद्रिय मंत्री गबन कर जेल जाते हैं और तोह्फा में किसी आयोग का अध्यक्ष भेंट किया जाता है। भ्रष्टाचार को दबाने मे कांग्रेस तो दिल्ली विश्वविद्यालय से फेलोशिप किया हुआ है। घपला खुलासा करने वाले रेलवे ट्रैक पर मारे जाते हैं।
केंद्रीय सतर्कता आयोग की शपथ लेने के बाद हमने सभी हिंदी राज्यों के सतर्कता आयोग के ईमेल को फ्रंट पेज पर वेब किया है।
इस पर पूछताछ जा रही है। पूछताछ से यही आभास हो रहा है की सतर्कता आयोग के वारे में लोगो को जानकारी नहीं है। कहाँ है,पता क्या है। इसका क्या काम है। सूचना देने पर यह काम करेगा या परेशान करेगा?
इस पूछताछ से यही निष्कर्ष निकलता की सरकार ने अनमने ढंग से इस आयोग का गठन किया है। जिसे सिर्फ संवैधानिक रखा गया है। तलवार है लेकिन म्यान में भोथरा पड़ा है।
देश में यह प्रमाणित हो रहा है की ईमानदार अधिकारीयों को परेशान किया जाता है और बईमान अधिकारीयों को प्रोन्नति मिलती है।
इस अधिकारीयों के कारण ही सरकार के विरुद्ध जनमत तैयार होती है और सत्तारूढ़ को गट्टर में फेंक दी जाती है। वर्तमान में गुजरात के मुख्यमंत्री को ही ले लें। जिसे किसी कारणवश दंड देना पड़ा है।
यदि अमेरिका की मीडिया भ्रष्ट है तो भारत की मीडिया भ्रष्टतम है, यहां पर चुपके -चुपके चोरी- चोरी आँख मिचौली खेली जाती है यहाँ तो राष्ट्र के विरुद्ध भी विज्ञापनरूपी रुपयों को सलाम किया जाता है और एक से बढ़कर एक तर्क पेश किया जाता है।
भारत की मीडिया तो अपने रिपोर्टरों और कर्मचारियों को सुविधा देने में बईमान संख्या एक है.क्षेत्र के कार्यकर्ता को महिनों-महिनों वेतन नही देता है।
बैंक में भ्रष्टाचार,पुलिस में भ्रष्टाचार,सामान्य प्रशासन में भ्रष्टाचार रोम- रोम में भ्रष्टाचार भरा हुआ है। यह जिसके पास दाने के लाले पड़ रहे है उसे भी बैंक ऋण लेने के लिए अडोसी -पडोसी से ऋण लेना पड़ता है।
लेकिन विंडंबना देखिये ये ही लोग बडे चतुराई से सतयुग और त्रेता युग के मुनियों की तरह नारा देने में कितने वाकपट्टु हैं। हर कोने में ऐसे संत मिल जायेगें।
अगर अमेरिका में बैंक अमीरों की दया पर निर्भर है तो भारत में भी उद्योगपतियों की दया दृष्टि पर है। यहाँ तो कॉर्पोरेट गबनराज बन बैठे है। रिजर्ब बैंक बाप -बाप कर रहा है लेकिन इन कॉर्पोरेट पर कोई फर्क नही पडनेवाला है! अप्रवासी सुप्रीमो मालिया को देखें।
मालिया इंग्लैंड में भी आनन-फानन में जमानत लेकर इंग्लैंड की न्यायपलिका को धत्ता बता दिया जैसे सलमान खान ने मुंबई उच्च न्यायालय को खरीद लिया।
राजनीतिक भ्रष्टाचार में राष्ट्रपति निक्सन सेर राष्ट्रपति सिद्ध हुए तो हमारे देश में मुख्यमंत्री सवा सेर निकले। आज भी मुख्यमंत्री जेल प्रवासन पर हैं।
विश्व पर सरसरी निगाह डाले तो एक ही शब्द में निष्कर्ष निकलता है की – विश्व में एक ही समस्या है –बेरोजगारी ,बिमारी और लूट।
भ्रष्टाचार सिर्फ एक ही शर्त पर खत्म किया जा सकता है की देश के एक -एक मतदाता-्शपथ लें कि न लूंगा न दूंगा । लेने वाले को जेल भेजने के लिये सरकारी तंत्र “सतर्क्ता आयोग” को सक्रिय करना होगा। हम उसे हर तत्रों के भ्रष्ट लोगों कि सूचना देगें बदले में हमें ईमानदार कर्मचारी और अधिकारी मिलेंगें।
हमे यह भी शपथ लेना होगा कि -हम अपराधी,बदमाश, गुंडे,लफंगे, बईमान और भ्रष्ट नेताओं को वोट के बल पर राजनीति से बाहर करना है। -एक शब्द में -हम सुधरेंगे -तभी देश सुधरेगा.