- September 30, 2015
विशाखापट्टनम में 17वां अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन : ई-कनेक्टिविटी
जयपुर – संसदीय कार्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि विधान मंडलों के सत्रों और बैठकों की घटती संख्या संसदीय लोक तंत्र के लिए गंभीर चिन्ता का विषय है। उन्होंने कहा कि संसद एवं सभी राज्यों के विधान मंडलों को ई-कनेक्टिविटी से जोड़कर विभिन्न विषयों पर सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान किया जा सकता है।
श्री राठौड़ मंगलवार को विशाखापट्टनम में आयोजित 17वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 16वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन द्वारा की गयी 9 सिफारिशों में से अधिकांश की राजस्थान सरकार द्वारा पालना कर कार्यान्वयन रिपोर्ट प्रेषित की जा चुकी है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ई-कनेक्टिविटी से संसद एवं विधानमंडलों के सदस्यों को उनके द्वारा चाही गयी सूचनाएं अधिक सहजता एवं सुगमता से सुलभ हो सकेगी। उन्होंने बताया कि राजस्थान विधान सभा सचिवालय को कम्प्यूटीकृत कर विभिन्न प्रकार की सूचना सामग्री का डेटा बेस तैयार किया गया है। कम्प्यूटर पर सूचनाओं से सदस्यों को त्वरित गति से सूचनायें उपलब्ध कराने में सहायता मिल रही है। राजस्थान विधान सभा सचिवालय में इन्टरनेट एवं ई-मेल की सुविधा भी उपलब्ध है। राजस्थान विधान सभा की वेबसाइट पर कार्यसूची, कार्य सलाहाकर समिति के प्रतिवेदन, प्रश्न, विधानसभा की कार्यवाही के वृतान्त, प्रक्रिया नियमावली, अध्यक्ष के निर्देश, समितियों के आंतरिक कार्यप्रणाली नियम, नोटिस व फार्म आदि उपलब्ध कराने के साथ ही वर्ष 2010 से अब तक विधान सभा के प्रश्न ऑन लाइन उपलब्ध कराये गये हैं।
श्री राठौड़ ने सदन की बैठकों और अवधि को बढ़ाने के लिए सुझाव दिया कि संविधान के आर्टिकल 174(1) में संशोधन लाकर विधान मंडल की दो बैठकों के बीच 6 महिने के अंतराल को 4 महिने का किया जाने से सदन की 3 बैठकें बाध्यकारी होने के साथ-साथ सदन की बैठकों की संख्या में भी वृद्वि की जा सकती है।
संसदीय कार्य मंत्री ने विधान मंडल में अनुशासन और शिष्टाचार की अनिवार्यता हेतु नियमों का पालना करते हुए सभा की मर्यादा और गरिमा को बनाये रखने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने सुझाव दिया कि सदस्य वैल में आकर जानबूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित करने वाले सदस्यों का स्वत: ही निलम्बित किये जाने का प्रावधान किया जाये।
सीएसआई टीम ने ली पीसीपीएनडीटी के इमपेक्ट साफ्टवेयर की ली जानकारी
कम्पयूटर सोसायटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) की मुम्बई टीम ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा भू्रण हत्या की रोकथाम के लिए उपयोग में लिये जा रहे इन्ट्रीगेटेट मॉनीटरिंग ऑफ पीसीपीएनडीटी (इमपेक्ट) ऑनलाईन साफ्टवेयर की मंगलवार को स्वास्थ्य भवन में जानकारी ली।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक श्री नवीन जैन ने बताया कि प्रदेश में सूचना एवं प्रौधागिकी के उपयोग से विभिन्न चिकित्सा व स्वास्थ्य की योजनाओं एवं कार्यक्रमों का सीधा लाभ संबंधित लाभार्थियों को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की पालना सुनिश्चित करने के लिए इमपेक्ट ऑनलाईन साफ्टवेयर के बारे में सीएसआई के प्रतिनिधि डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ.दिनेश गोयल एवं अन्य ने विस्तार से जानकारी ली। राष्ट्रीय टीम को प्रदेश में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत् भू्रण हत्या रोकथाम के लिये किये जा रहे नवाचारों की विस्तार से जानकारी दी गयी है।
श्री जैन ने बताया कि इमपेक्ट साफ्टवेयर के समानान्तर ओजस एवं पीसीटीएस ऑनलाईन साफ्टवेयर के उपयोग से पीसीपीएनडीटी, जननी सुरक्षा योजना, ई-शुभलक्ष्मी, टीकाकरण एवं संस्थागत प्रसव आदि की गतिविधियों के संचालन में सुलभता एवं पारदर्शिता बढ़ी है।
राष्ट्रीय दल को परियोजना निदेशक पीसीपीएनडीटी श्री किशनाराम ईसरवाल, एनआईसी के मनोज प्रकाश, एनएचएम के आईटी सलाहकार श्री सोमेश सिंह एवं संबंधित अधिकारियों ने विस्तार से जानकारी दी।
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