- July 8, 2016
विद्वानों को चिन्तन करना होगा कि शिक्षा को रोजगार देने वाला कैसे बनाया जाये :- राज्यपाल श्री कल्याण सिंह
जयपुर——-राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि शिक्षा को रोजगार उन्मुखी और कौशल विकास का सघन बनाया जाये। शिक्षा से जुडे विद्वानों को इस पर चिन्तन करना होगा कि शिक्षा को रोजगार देने वाला कैसे बनाया जाये। श्री सिंह का मानना था कि यदि ऎसा हो जाएगा तो निश्चित रूप से आर्थिक परिवर्तन की क्रांति आ जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक राजकीय विश्वविद्यालय में रोजगार के मेले लगाए जायेगे। जिसकी राजस्थान विश्वविद्यालय से शुरूआत होगी।
कुलाधिपति श्री सिंह गुरूवार को यहां राजस्थान विश्वविद्यालय के कन्वोकेशन सेन्टर में आयोजित विश्वविद्यालय के 27वें दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने सफेद कुर्ता-पाजामा पहने छात्र एवं सफेद सलवार सूट व साडी पहने छा़़त्राओं को डिग्री व स्वर्ण पदक प्रदान किये। राज्यपाल ने दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय परिसर में बनने वाले पुस्तकालय भवन का शिलान्यास भी किया।
श्री सिंह ने कहा कि प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता नई पीढ़ी में विकसित करनी होगी। इसके लिए विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों को आधुनिक, उपयोगी और अद्यतन बनाना होगा।
कौशल उन्मुख पाठ्यक्रम भी शुरू करने होंगे, जो विद्यार्थी को जीवन में रोजगार दिला सके। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है, विद्यार्थियों को उचित परिवेश उपलब्ध कराये जाने की, उनकी प्रतिभा को निखारने की ताकि शोध व अनुसंधान में हमारे युवा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान स्थापित कर सकें।
कुलाधिपति ने कहा कि विश्वविद्यालय से विद्यार्थियों की औपचारिक शिक्षा की प्रतीकात्मक समाप्ति भले ही आज हो रही है, किन्तु व्यावहारिक जीवन की असली परीक्षा अब प्रारंभ होगी। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान जो सीखा है, भावी जीवन में उसका सही एवं सार्थक उपयोग करे। श्रेष्ठ, सफल व उत्कृष्ट भावी जीवन के लिए शुभकामनाएँ देते हुए राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं को निष्ठावान एवं ईमानदार बन कर उत्तरदायी एवं सुसंस्कृत नागरिक के रूप में राष्ट्र की सेवा करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में संचालित शोध गतिविधियाँ छात्र की आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक क्षमता को विकसित करने का साधन होती हैं। शोध को समाज उपयोगी बनाना होगा। विश्वविद्यालय की अनेक परीक्षाओं में बेटियाें की प्रभावी उपस्थिति पर संतोष व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने महिला शिक्षा पर ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता जताई।
श्री सिंह ने कहा कि युवा पीढ़ी में अधिकार भावना के साथ-साथ कर्तव्यों की भावना भी जागृत होनी चाहिए। युवाओं में नेतृत्व क्षमता को विकसित करने और उन्हें लोकतांत्रिक जीवन मूल्यों से परिचित कराने में छात्र संगठनों को सहयोगी बनना होगा। गुटबाजी से ऊपर उठ कर विश्वविद्यालयों में छात्र संगठनों को आपसी सौहाद्र्र और बंधुत्व का वातावरण बनाना चाहिए।
श्री सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय जैसे शिक्षारूपी रथ में शिक्षकों की भूमिका सारथी की भांति होती है। शिक्षक के आचरण व व्यवहार का प्रभाव विद्यार्थी पर पड़ता है। शिक्षकों का अपने विद्यार्थियों के साथ जीवंत सम्बन्ध होना चाहिए। शिक्षक केवल पाठ्यक्रम का शिक्षक मात्र न बनें बल्कि वह राष्ट्र के भावी जीवन के रूपान्तरण और राष्ट्र निर्माण के शिल्पकार की भी भूमिका निभाएं।
समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री श्री कालीचरण सर्राफ ने शिक्षकों का आहवान किया कि वे छा़त्र-छात्राओं को मानवता के मूल्य सिखाएं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाना हमारी प्राथमिकता है, इसके लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाये गए है।
विश्वविद्यालय के कुलपति श्री जे.पी.सिंघल ने कहा कि अब विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह नियमित रूप से आयोजित हो रहे हैंं और विभिन्न परीक्षाओं व पुर्नमूल्याकन के परिणाम भी यथा समय शीघ्रता से जारी हो रहे हैं। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सीनेट एवं सिंडीकेट सदस्य, विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, छात्र-छात्राएं व उनके अभिभावकों सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद थे।