• December 13, 2017

विद्युत क्षेत्र में प्रभावी विकास —रविशंकर शर्मा

विद्युत क्षेत्र में प्रभावी विकास —रविशंकर शर्मा

राजस्थान प्रदेश को विकसित राज्यों की श्रेणी में अग्रणी स्थान पर लाने के लिए तत्पर, दूरदर्शी, प्रतिभा सम्पन्न एवं जन आकांक्षाओं के प्रति संवदेनशील मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में गत चार वर्षों मंक राज्य का उल्लेखनीय सर्वांगीण विकास हुआ है।
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वसुन्धरा सरकार द्वारा विद्युत क्षेत्र में भी अनेक प्रभावी नीतिगत निर्णय लिए गए और उनका प्रभावी क्रियान्वयन किया गया है। परिणाम यह हुआ है कि ‘‘राजस्थान प्रदेश’’ विद्युत उपलब्धि में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ ‘‘सरप्लस पावर’’ वाला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।

राज्य में वर्तमान में औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं शहरी क्षेत्रों के घरेलू उपभोक्ताओं को तो प्रतिदिन 24 घंटे बिजली मिल ही रही है वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी घरेलू उपभोक्ताओं को 22 से 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है।

विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धिः-

राजस्थान प्रदेश की वर्तमान विद्युत की अधिष्ठापित क्षमता 19 हजार 381 मेगावाट है, जिसमें से 6 हजार 561 मेगावाट क्षमता की वृद्धि गत 4 वर्षों में ही हुई है।इन चार वर्षोें में न केवल विद्युत उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, बल्कि राज्य विद्युत उत्पादन निगम के विद्युत गृहों की दक्षता में भी वृद्धि की गई है।

वर्तमान में सूरतगढ में प्रत्येक 660 मेगावाट की 2 सुपर क्रिटिकल इकाइया (कुल क्षमता 1320 मेगावाट) एवं छबडा में प्रत्येक 660 मेगावाट की 2 सुपर क्रिटिकल इकाईया (कुल क्षमता 1320 मेगावाट) निर्माणाधीन है। इन निर्माणाधीन चार सुपर क्रिटिकल इकाइयों में से 2 इकाइयों में चालू वित्तीय वर्ष में ही वाणिज्यिक उत्पादन आरम्भ करने का लक्ष्य है इससे विद्युत उत्पादन क्षमता में 1320 मेगावाट की वृद्धि इसी वित्तीय वर्ष में प्रत्याशित है।

अक्षय ऊर्जा संवर्धनः-

राज्य सरकार की औद्योगिक निवेश सम्बन्धी मित्रता पूर्ण नीतियों के फलस्वरूप राजस्थान प्रदेश अक्षय ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन करने में भी देश में अग्रणी राज्य है। पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में निरन्तर उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। राजस्थान सरकार ने प्रदेश में 25 गीगावाट सौर ऊर्जा स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।

गत चार वर्षों में अक्षय ऊर्जा स्रोतों से 3 हजार 161 मेगावाट उत्पादन क्षमता में वृद्धि कर कुल 6 हजार 671 मेगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन संयंत्र स्थापित किए गए हैं। नई सौर ऊर्जा नीति 8 अक्टूबर, 2014 को जारी करने से राज्य में 6 सौर ऊर्जा पार्क, जिनकी कुल क्षमता 5 हजार 430 मेगावाट है, स्वीकृत किए गए हैं।

गत चार वर्षों में 1 हजार 592 मेगावाट सौर ऊर्जा, 1 हजार 63 मेगावाट पवन ऊर्जा व 6 मेगावाट बायोमास ऊर्जा क्षमता वृद्धि की गयी। इन्हें मिलाकर अब राज्य में सौर ऊर्जा 2 हजार 258 मेगावाट, पवन ऊर्जा 4 हजार 293 मेगावाट तथा बायोमास ऊर्जा 120 मेगावाट क्षमता स्थापित है।

अक्षय ऊर्जा विकास के लिए राजस्थान को भारत सरकार द्वारा 17 फरवरी 2015 को पुरस्कृत भी किया गया है।

सुदृढ़ एवं सुदक्ष प्रसारण तंत्रः-

राज्य का विद्युत प्रसारण तंत्र अत्यधिक सुदृढ़ एवं विकसित है। गत चार वर्षों में 103 नये ग्रिड सब-स्टेशन स्थापित कर कुल 23 हजार 363 एमवीए क्षमता विकसित की है। इससे राज्य में विद्युत की गुणवत्ता व उपलब्धता बढ़ कर 99.82 प्रतिशत हो गई है।

राज्य में पहली बार 132 के.वी. के 144 सब स्टेशनों का रख-रखाव कार्य निजी क्षेत्र को दिया गया है इससे प्रति सब स्टेशन 30 लाख रुपये वार्षिक बचत होगी। प्रसारण निगम में कार्मिकों की संस्थापन की पुनर्संरचना करते हुए मानक निर्धारित किए गए है, इससे 80 करोड रुपये वार्षिक बचत का अनुमान है। वित्तीय, पदार्थ व कार्मिक प्रबन्धक, प्रसारण तंत्र का रख रखाव व परियोजनाओं की निगरानी के लिए ई.आर.पी. सिस्टम को 4 नवम्बर, 2016 से जीवन्त कर दिया गया है।

विद्युत आपूर्ति में सुधार-

विद्युत वितरण तंत्र के सुधार के लिए फीडर सुधार कार्यक्रम एवं सब स्टेशन सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत 5 लाख ढीले तारों, 3.5 लाख टेढ़े पोलों की सुधारने एवं 4 लाख लम्बे स्पानों में पोल स्थापित करने, 7 हजार 107 नए सर्किट ब्रेकर, 8 हजार 946 नए रोस्टर स्विच, 4472 नए फीडर मीटर लगाने के साथ पुराने खराब उपकरणों को बदलने के कार्य द्वारा विद्युत आपूर्ति की गुणवता में सुधार करते हुए शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी 23-24 घंटे बिजली की आपूर्ति उपलब्ध कराई जा रही है।

विद्युत सुधार अभियान-

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं विशेषतः ग्रामीण क्षेत्रों में एवं किसानों को अच्छी क्वालिटी की व्यवधान रहित बिजली उपलब्ध कराने, उपभोक्ताओं की बिजली सम्बन्धी समस्याओं का त्वरित समाधान करने, विद्युत सुरक्षा छीजत के स्तर को 15 प्रतिशत तक लाने के लिए ‘‘मुख्यमंत्री विद्युत सुधार अभियान’’ गतिशील है।

इस अभियान के अधीन स्थानीय प्रशासन एवं जन भागीदारी से विद्युत सुधार कार्य मार्च, 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इस अभियान के समय पर क्रियान्वयन व मानिटरिंग के लिए जिला स्तर व राज्य स्तर पर उच्चस्तरीय कमेटिया गठित की गई है। इस अभियान के सफल क्रियान्वयन के फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों के 20275 फीडरों में से 8 हजार 899 फीडरों पर विद्युत छीजत घटकर 15 प्रतिशत से कम आ गई है।

निजी भागीदारी को प्रोत्साहनः-

राज्य में विद्युत वितरण क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उपभोक्ताओं की सेवाओं में सुधार एवं गुणवतापूर्ण बिजली उपलब्ध कराने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए निविदा प्रक्रिया द्वारा प्रथम चरण में कोटा शहर एवं भरतपुर शहर में सी.ई.एस.सी को डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेन्चाईजी के रूप में कार्य सौपा गया है। इसके अन्तर्गत कोटा शहर में 1 सितम्बर 2016 से तथा भरतपुर शहर में 15 नवम्बर, 2016 से कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। इसी क्रम में द्वितीय चरण में बीकानेर शहर में सी.ई.एस.सी. द्वारा 16 मई, 2017 से तथा अजमेर शहर में टाटा पावर द्वारा 2 जुलाई 2017 से कार्य आरम्भ किया जा चुका है।

इन शहरों में उपभोक्ता सेवाओं में लगातार सुधार हो रहा है और नए कनेक्शन जारी करने में लगने वाले समय में और विद्युत दोषों को दूर करने में लगने वाले समय में उल्लेखनीय कमी आई है। इन चार शहरों की विद्युत वितरण व्यवस्था निजी क्षेत्रों को साैंपे जाने से प्रदेश की विद्युत वितरण कम्पनियों को 280 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत होगी।

किसानों के हित में महत्वपूर्ण कदमः-

गत चार वर्षों में 1 लाख 60 हजार कृषि कनेक्शन दिए गए है। राज्य में कुल 13 लाख कृषि उपभोक्ता हैं। फरवरी 2010 तक आवेदित कनेक्शनों के मांग पत्र जारी किए जा चुके है। आगामी एक वर्ष में लगभग 68 हजार कृषि कनेक्शन जारी करने का कार्य प्रगति पर है। टीएसपी क्षेत्र में सभी लम्बित कनेक्शन को मार्च 2018 तक जारी करने का लक्ष्य है।

किसानों को बढ़ती आर्थिक सहायताः-

पूर्ववर्ती सरकार ने 5 वर्ष में किसानों को मात्र 8 हजार 320 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था, जबकि वर्तमान सरकार ने अपने चार वर्ष के कार्यकाल में ही दुगने से ज्यादा लगभग 24 हजार 593 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी है। सरकार द्वारा 13 लाख कृषि उपभोक्ताओं को लगभग 8 हजार 200 करोड़ रुपये वार्षिक अनुदान दिया जा रहा है।

राज्य सरकार द्वारा 12 अगस्त, 2017 से नई कृषि कनेक्शन नीति 2017 जारी की गई है जिसमेें किसानों की सुविधा के लिए अनेक प्रावधान सुनिश्चित किए गए हैं। किसानों के हित में बूंद-बूूूूंद/ फव्वारा/ डिग्गी सिंचाई पद्धति आधारित कृषि कनेक्शनों को सात वर्ष के स्थान पर तीन वर्ष पश्चात ही विद्युत दरों की सामान्य श्रेणी में परिवर्तन किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त समझौता राशि की दर को भी 2 हजार रुपये प्रति हॉर्स पावर से घटाकर 1 हजार रुपये प्रति हॉर्स पावर व 10 हॉर्स पावर से अधिक के लिए 500 रुपये प्रति हॉर्स पावर कर दिया गया।

उदय योजना ः-

वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति व कार्यकुशल में सुधार के लिए केन्द्र सरकार के सहयोग से राज्य में उदय योजना जनवरी, 2016 से लागू की गई है। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा विद्युत वितरण कम्पनियों के 62 हजार 422 करोड़ रुपये के ऋण भार को अधिग्रहीत कर लिया गया है। इससे विद्युत वितरण कम्पनियों पर लगभग 5 हजार 300 करोड़ रुपये ब्याज भार में कमी आई है। परिणाम स्वरूप इन कम्पनियों के 15 हजार 645 करोड़ रुपये के घाटे को कम कर 1 हजार 981 करोड़ रुपये तक लाया जा चुका है।

विद्युत सम्बन्धी शिकायतों का त्वरित निर्णयः-

राज्य की विद्युत वितरण द्वारा उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित निवारण करने के लिए केन्द्रीकृत कॉल सेन्टर खोले गए है। इनमें विद्युत आपूर्ति बिजली चोरी, ट्रांसफारमर जलने, सुरक्षा व्यवस्था में कमी, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के व्यवहार सम्बन्धी शिकायतों एवं अन्य तकनीकी प्रवृति की शिकायतों का समयबद्ध निवारण किया जाता है।

केन्द्रीयकृत कॉल सेन्टर की स्थापना ः-

वितरण कम्पनियों द्वारा उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित निवारण करने हेतु टोल फ्री केन्द्रीयकृत कॉल सेन्टर प्रत्येक डिस्कॉम मुख्यालय पर खोले गए हैं। इन कॉल सेन्टरों द्वारा प्रतिमाह लगभग एक लाख शिकायतों का समाधान किया जा रहा है।

उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति, बिजली चोरी, ट्रांसफार्मर जलने, सुरक्षा व्यवस्था में खामी, अधिकारियों तथा कर्मचारियों के व्यवहार से सम्बन्धित, शिकायतों एवं अन्य तकनीकी प्रकृति की शिकायतों का इन कॉल सेन्टरों के माध्यम से समयबद्ध तरीके से निवारण किया जाता है। विलम्ब होने पर उच्च अधिकारियों द्वारा समस्या समाधान हेतु शिकायत स्वयं अग्रसित होती है।

सोशियल मीडिया द्वारा सम्पर्कः-

सोशियल मीडिया जैसे ट्विटर, फेसबुक एवं वॉट्सअप द्वारा भी उपभोक्ताओं और आम जन से सम्पर्क किया जा रहा है। एक मानीटरिंग सेल का गठन भी किया गया है जो सोशियल मीडिया पर प्राप्त शिकायत के निस्तारण का प्रबन्ध करता है।

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