- February 26, 2023
विदेशी पंजीकृत जहाजों पर काम करने वाले भारतीय नाविकों के मानव अधिकारों का संरक्षण एक चिंता का विषय
नई दिल्ली————– राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के माननीय सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर मनोहर मुले ने आज कहा कि विभिन्न हितधारकों से सक्रिय सहयोग के बिना, भारतीय नाविकों के मानव अधिकार चिंता का विषय बने रहेंगे। वे भारतीय नाविकों के मानव अधिकारों पर आयोग द्वारा आयोजित एक ओपन हाउस चर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने पोत परिवहन मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, आप्रवासन महारक्षक, आप्रवासन प्राधिकरणों के साथ-साथ नाविकों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि उनके मानव अधिकारों के उल्लंघनों पर ध्यान दिया जा सके।
डॉ. मुले ने कहा कि जहाज मालिकों द्वारा करों से बचने हेतु विदेशी पंजीकरण के तहत अपने बेड़े को संचालित करने की प्रवृत्ति उनके जहाजों पर भारतीय नाविकों के मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामले में उनकी जवाबदेही तय करने में बाधा उत्पन्न करती है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है कि समुद्री उद्योग में काम करने वाले भारतीय नागरिकों को उनके मानव अधिकारों का उचित संरक्षण और संवर्धन हो सके। उन्होंने कहा कि आयोग देश में कई प्राधिकरणों के बीच एक समझ बनाने के उद्देश्य से कार्यरत है जो हाल के दिनों में नियमित अंतराल पर इन परामर्शों का आयोजन करता रहा है।
श्री अमिताव कुमार, डीजी शिपिंग, ने कहा कि 30 जनवरी, 2023 को कार्यस्थल पर महिला नाविकों के यौन उत्पीड़न के संबंध में शिकायतों की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है। शिकायतें डीजी शिपिंग, भारत सरकार की वेबसाइट पर दर्ज की जा सकती हैं।
श्री ब्रम्हा कुमार, संयुक्त सचिव, प्रवासी रोजगार और उत्प्रवासियों के महासंरक्षी, विदेश मंत्रालय ने कहा कि नाविकों को उनके पूर्व-प्रस्थान अभिविन्यास प्रशिक्षण (पीडीओटी) के हिस्से के रूप में विस्तृत जानकारी दी जाती है ताकि वे जान सकें कि किसी भी आपात स्थिति में किससे संपर्क करना है। सकारात्मक दिशा में, विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ई-माइग्रेट पोर्टल पर ओवरसीज रोजगार के लिए जाने के इच्छुक नाविकों के बारे में डेटा उपलब्ध कराया है। उन्होंने यह भी कहा कि संकटग्रस्त नाविक मंत्रालय की भारतीय समुदाय कल्याण कोष योजना के तहत सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. समुद्री उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए जागरूकता और अभियान कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। इसके अलावा, जहाजों पर महिलाओं के उत्पीड़न के मुद्दों से निपटने के लिए नाविकों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा सकते हैं।
2. नाविकों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में सभी नाविकों के बीच जागरूकता का प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए और प्रत्येक भर्ती एजेंसी में एक समर्पित कल्याण अधिकारी होना चाहिए जो समुद्री नाविकों के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान करे जब वे नौकायन कर रहे हों।
3. एनएचआरसी, डीजी शिपिंग और गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जैसे शैक्षणिक संस्थान भारतीय नाविकों के मानव अधिकारों पर एक व्यापक पुस्तिका तैयार करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।
एनएचआरसी सदस्य, श्री राजीव जैन, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री देवेंद्र कुमार निम और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ शिप ओनर्स एसोसिएशन, मैरीटाइम यूनियन ऑफ इंडिया, वीमेन सीफर्स फाउंडेशन, गुजरात मैरीटाइम यूनिवर्सिटी और गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों ने भी चर्चा में भाग लिया।